सुप्रीम काेर्ट में 21 साल की लड़की के अबॉर्शन का मामला पहुंचा। लड़की की शादी नहीं हुई है, वह कॉलेज में पढ़ रही है और अनसेफ सेक्स की वजह से वो प्रेग्नेंट हो गई है। काेर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से ये मामला देखने को कहा।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि चूंकि 29 हफ्ते का गर्भ है, अबॉर्शन के बाद भी बच्चा जीवित रहेगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत एम्स को सेफ डिलीवरी करने को कहा। साथ ही बच्चे को जन्म के बाद CARA को सौंपने की इजाजत दी ताकि कोई कपल उसे गोद ले सके।
वेलेंटाइन डे पर अनसेफ सेक्स के मामले हर साल बढ़ते हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 12 करोड़ 10 लाख औरतें बिना प्लान के प्रेग्नेंट होती हैं। इनमें से 30 प्रतिशत का अंत अबॉर्शन है।
हमारी एक्सपर्ट हैं गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रोमिका कपूर और फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. पूजा।
सवाल: अनसेफ सेक्स क्या है?
जवाब: जब एक पुरुष और महिला बिना किसी प्रिकॉशन के रिलेशन बनाते हैं तो इसे अनसेफ सेक्स कहते हैं।
सवाल: इस समय किस तरह का प्रिकॉशन ले सकते हैं? जवाब: महिलाओं के लिए कॉपर टी और पिल्स हैं तो वहीं पुरुष कंडोम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल: अनप्लान्ड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए क्या उपाय करें?
जवाब: अनप्लान्ड प्रेगेंसी से कई बार तमाम प्रयासों के बाद भी बचना मुश्किल हो जाता है, लेकिन हमें अपने लेवल पर सारे प्रिकॉशन लेने चाहिए। जैसे…
अनमैरिड लड़की के लिए प्रेग्नेंसी आज भी सोसाइटी में कलंक है। अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इस केस को ही देख लें। अगर लड़की शादीशुदा होती तो क्या उसे अबॉर्शन के लिए कोर्ट पहुंचना पड़ता। इस मामले को देखकर लगता है कि लड़की ने डर की वजह से अपने प्रेग्नेंसी की बात छिपाई होगी। जब मामला बिगड़ा तभी वो कोर्ट पहुंची।
आजकल की जेनरेशन को लगता है कि वो सबसे मॉर्डन हैं, उन्हें पता है कि वो क्या कर रहे हैं। वो रोकना-टोकना पसंद नहीं करते हैं। इस वजह से वे सेक्स को लेकर भी एक्सपेरिमेंट करते हैं। मल्टीपल पार्टनर का कॉन्सेप्ट भी उन्हें गलत नहीं लगता। इन्हें अलार्म करने के लिए एजुकेट करना जरूरी है ताकि अनसेफ सेक्स से बचा जा सके। इससे अनप्लान्ड प्रेग्नेंसी से बच सकते हैं।
सवाल: मैंने सुना है कि अनसेफ सेक्स से प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है, यह कितना सही है?
जवाब: फीमेल की बॉडी में फैलोपियन ट्यूब के जरिए एग्स अंडाशय से गर्भाशय तक जाते हैं। ट्यूबल इन्फेक्शन को सल्पिंगिटिस कहते हैं। यह तब होता है जब वजाइना से होते हुए बैक्टीरिया फैलोपियन ट्यूब तक पहुंच जाएं। इससे ट्यूब संक्रमित हो जाती हैं और उसमें सूजन आ जाती है। अनसेफ सेक्शुअल रिलेशन के जरिए यह बैक्टीरिया फीमेल बॉडी में घुस जाते हैं। यह महिलाओं में इनफर्टिलिटी की एक मुख्य वजह भी है।
भारत में हर रोज अबॉर्शन की वजह से करीब 8 महिलाओं की मौत हो जाती है। यूएन के डेटा के अनुसार 67% महिलाओं की जान अनसेफ अबॉर्शन की वजह से जाती है। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है।
इसलिए प्रिकॉशन से जुड़ी कुछ बातों को स्टोरी के दूसरे हिस्से में समझते हैं।
सवाल: हर तरह के प्रिकॉशन के बावजूद अगर कोई अनमैरिड महिला प्रेग्नेंट हो गई तो उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
जवाब: प्रिकॉशन के बावजूद अगर कोई अनमैरिड महिला प्रेग्नेंट हो गई है तो….
यूथ जो रिश्ते में है उन्हें इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
सवाल: कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स खाना क्या हर महिला के लिए सुरक्षित है?
जवाब: कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स खाने से पहले डॉक्टर से जरूर मिल लें। गोलियां खाने के 2 हफ्ते बाद पूरा चेकअप करवाएं। अगर आपको हार्ट, डायबिटीज, अस्थमा, एनीमिया जैसी बीमारी है तो अपनी मर्जी से गोलियां बिल्कुल भी न लें।
सवाल: बिना डॉक्टर की पर्ची देखे क्या दुकानदार ये दवाएं बेच सकते हैं?
जवाब: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के अनुसार, अबॉर्शन की गोलियों को डॉक्टर के लिखे पर्चे के बिना बेचना जुर्म है। बेचने से पहले पर्चे की फोटो, बिल का रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
सवाल: पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करने से क्यों बचते हैं?
जवाब: कई शादीशुदा महिलाओं का कहना है कि उनके पति कंडोम यूज करना ही नहीं चाहते हैं। उन्हें लगता है कि कंडोम से उन्हें प्लेजर नहीं मिलेगा। आंकड़े बताते हैं कि देश में 10 में से सिर्फ 1 ही पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करता है। पुरुषों को नसबंदी के नाम पर शारीरिक कमजोरी, नामर्द होने और ताउम्र के लिए बोझ न उठा पाने या फिर किसी बीमारी की चपेट में आने का खौफ सताने लगता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS) के मुताबिक, फैमिली प्लानिंग करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है। 10 में से 4 महिलाएं अनवांटेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए नसबंदी करवाती हैं, जबकि नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या न के बराबर है।
सवाल: कंडोम यूज करने से अनप्लान्ड प्रेग्नेंसी से सौ प्रतिशत बचा जा सकता है?
जवाब: कंडोम प्रेग्नेंसी रोकने में सक्सेसफुल नहीं है। कंडोम का फेलियर रेट 30 प्रतिशत है। लेकिन बाकी चीजों में यह कारगर है। इसके इस्तेमाल से बैक्टीरियल इन्फेक्शन, ट्रांसफर होने वाले वायरस से बचा जा सकता है। एड्स के केस जब 80-90 के दशक में बढ़े थे तब डब्ल्यूएचओ ने कंडोम यूज करने के लिए पहल शुरू की थी।
सवाल: पीरियड्स के समय सेक्स करते हुए कंडोम यूज करना जरूरी है?
जवाब: नहीं यह एक मिथ है। अगर आप इस समय प्रेग्नेनेंट नहीं होना चाहती इसलिए पार्टनर पर कंडोम यूज करने का दवाब बना रही है तो आपको बता दूं इस दौरान आप ऐसे भी प्रेग्ननेंट नहीं होगी। यह किसी महिला का प्रेग्नेंट होने के लिए फर्टाइल समय नहीं होता है।
सवाल: क्या घरेलू मेथड से अबॉर्शन हो सकता है?
जवाब: नहीं। ये नुस्खे भी रिस्की है। कई महिलाएं आकर कहती है कि हमने बच्चे को गिराने के लिए काढ़ा पी लिया है, पपीता खा लिया है। कई बार इन उपायों से अबॉर्शन तो हो जाएगा लेकिन यूट्रेस इन्फेक्शन, ब्लीडिंग जैसी प्रॉब्लम होगी।
सवाल: किन परिस्थिति में अबॉर्शन करवाना देश में कानूनी है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डी. बी. गोस्वामी के मुताबिक भारत में कानूनी तौर पर नीचे लिखी परिस्थितियों में अबॉर्शन करवाया जा सकता है…
जिन रिश्तों को सामाजिक और कानूनी मान्यता नहीं है। अगर ऐसे रिश्तेदार महिला के साथ संबंध बनाते हैं, तो अबॉर्शन करवाया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के लिए सबसे प्रेफरेबल गर्भनिरोधक कंडोम ही है। ऐसे में नीचे लगे क्रिएटिव को पढ़कर कंडोम से जुड़ी जरूरी बातों को समझें और दूसरो को शेयर भी करें।
चलते-चलते
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फ्रांस की एक्स्ट्रा मैरिटल डेटिंग ऐप है ग्लीडन। इसे इस्तेमाल करने वाले भारतीयों की संख्या 2 मिलियन यानी 20 लाख पहुंच चुकी है। ग्लीडन को दुनियाभर में 10 मिलियन लोग इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में इस डेटिंग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि उनकी ऐप पर 20 फीसदी लोग भारतीय हैं। जो शादीशुदा होते हुए नए पार्टनर की तलाश में हमसे जुड़े हैं। रिसर्च में यह भी कहा गया कि कोविड के बाद यूजर्स की संख्या में 11 फीसदी की बढ़त हुई थी। (पढ़िए पूरी खबर)
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