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क्या आपकी आंखें भी फड़कती हैं? यदि हां, तो आपको अपनी सेहत के लिए फिक्रमंद होने की जरूरत है। लेकिन, क्या इसे आप शुभ-अशुभ मानते हैं? यदि हां, तो ऐसा बिल्कुल मत करें।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आईलिड ट्विचिंग यानी आंखों का फड़कना- तनाव, एंग्जाइटी या फिर थकावट से होने वाली परेशानी है। यह विटामिन-12 की कमी से भी हो सकती है। यदि लगातार दो हफ्ते से ज्यादा समय तक आंख फड़कती है, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। हालांकि ट्विचिंग सिर्फ आंखों में ही नहीं, शरीर के किसी भी हिस्से, मांसपेशियों में हो सकती है।
क्यों होती है ट्विचिंग?
ट्विचिंग छोटी मांसपेशियों में संकुचन की वजह से होता है। दरअसल, मांसपेशियां उन फाइबर्स से बनी हैं, जिन्हें आपकी नसें कंट्रोल करती हैं। किसी नस में स्टिमुलेशन या डैमेज होना ट्विचिंग की मुख्य वजह है।
आईलिड ट्विचिंग पलकों की मांसपेशियों में बार-बार होने वाली अनैच्छिक ऐंठन है। इसे मेडिकल की भाषा में ब्लेफरोस्पाज्म या मायोकेमिया भी कहते हैं। सामान्य तौर पर एक ही आंख और उसका ऊपरी हिस्सा फड़कता है। महिलाओं की आंखें, पुरुषों की तुलना में ज्यादा फड़कती हैं।
आंखों के फड़कने की सबसे बड़ी वजह आंखों पर जोर पड़ना है
नई दिल्ली, एम्स से डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि आईलिड ट्विचिंग की सबसे बड़ी वजह आई स्ट्रेन है, यानी आंखों पर ज्यादा जोर पड़ना है। यह स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल, लैपटॉप और कम्प्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से होता है। प्रोफेशनल्स में ये समस्या सबसे ज्यादा हो रही है, क्योंकि उनका स्क्रीन टाइम सबसे ज्यादा है।
तनाव ट्विचिंग को और बढ़ाता है। कोरोना के बाद से बच्चों में भी ये समस्या बढ़ी है, क्योंकि वे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। लगातार आंखें फड़कने से चश्मा लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसका इम्पैक्ट रेटिना, आईबॉल पर भी पड़ता है।
यदि आप दो घंटे स्क्रीन पर काम करते हैं तो 20 मिनट जरूर रेस्ट करें। न्यूट्रीशन और अच्छी डाइट भी बहुत जरूरी है। दोनों हाथों से आंखों को दो से तीन मिनट बंद करके योग करने से भी यह समस्या खत्म हो सकती है। मेडिटेशन भी फायदेमंद है।
ट्विचिंग नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के संकेत भी हो सकते हैं
यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन(UNLM) के इंफॉर्मेशन पोर्टल मेडिलाइन प्लस के मुताबिक आईलिड ट्विचिंग को लेकर परेशान नहीं, अलर्ट रहने की जरूरत है। यदि हमें ट्विचिंग का पता नहीं चल रहा तो चिंता की बात नहीं है। लेकिन, यदि ट्विचिंग का पता चल गया है तो ये नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के संकेत भी हो सकते हैं।
कुछ दवाओं को लेने से भी आंखें फड़कती हैं
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुछ दवाएं भी आंखें फड़कने की वजह बन सकती हैं, हालांकि ऐसे केस में दोनों आंखें फड़कती हैं। इनमें माइग्रेन की दवाएं, एंटीसाइकोटिक और डोपामाइन, उच्च रक्तचाप, अवसाद की दवाएं और एंटीथिस्टेमाइंस शामिल हैं।
गंभीर कारणों से भी होती है ट्विचिंग
क्या ट्विचिंग होने पर दवाएं लेनी चाहिए?
यदि कम समय तक ट्विचिंग होती है तो दवा जरूरी नहीं है। लेकिन, यदि दो हफ्ते से ज्यादा वक्त तक हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अलग-अलग मेडिकल पेपर्स के मुताबिक ट्विचिंग को कम करने के लिए दवाएं भी ले सकते हैं। लेकिन, डॉक्टर से सलाह के बाद।
दवाओं के नाम-
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों को कमजोर करता है
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