- सपा के असंतुष्ट नेता से पिछले दिनों हरियाणा में मिले थे अमित शाह
- इसी महीने के आखिर तक नई पार्टी बना सकते हैं अमर सिंह
लखनऊ. अमर सिंह उत्तर प्रदेश में सपा के एक बड़े असंतुष्ट नेता के साथ मिलकर नई पार्टी बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, नई पार्टी बनाने का मकसद 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के वोटरों को अपनी तरफ मोड़ना है। अमर की इस योजना को भाजपा का भी समर्थन मिला है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक सप्ताह पहले हरियाणा में सपा के इस नेता के साथ गोपनीय मुलाकात भी की थी।
लखनऊ दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा के दौरान मंच से विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधते हुए अमर सिंह का नाम लिया था। मोदी ने कहा था कि जिनकी नीयत साफ नहीं, वे पर्दे के पीछे कारोबारियों से मिलते हैं। अमर सिंह के पास इन सबकी हिस्ट्री है। अमर ने कहा था कि मैं मोदी का प्रशंसक हूं और आगे की जिंदगी उन्हीं के नाम है। हालांकि, उन्होंने ये साफ कर दिया कि अभी भाजपा में जाने का कोई इरादा नहीं है।
इसी महीने हो सकता पार्टी का ऐलान: सूत्रों का कहना है कि नई पार्टी का नाम तय कर लिया गया है। इसके अलावा पदाधिकारी भी चुने जा चुके हैं। 15 अगस्त के बाद कभी भी ऐलान हो सकता है। सपा नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा तवज्जो न मिलने से नाराज हैं। वह हाल ही में हुई समाजवादी पार्टी कार्यकारणी की बैठक में भी नहीं पहुंचे थे।
पश्चिमी यूपी पर फोकस : सूत्रों की मानें तो नई पार्टी का फोकस पश्चिमी यूपी पर रहेगा। लोकसभा चुनाव में नई पार्टी कुछ सीटों पर अपने कैंडिटेट उतार सकती है। इन उम्मीदवारों के समर्थन में भाजपा भी कैंडिडेट उतार सकती है। इससे सपा और बसपा दोनों के उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है। भाजपा के साथ इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है कि
नई पार्टी किन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी करे।
लगातार जिलों में सम्पर्क: सूत्रों का कहना है कि नाराज सपा नेता लोकसभा चुनाव को लेकर लगातार जनसंपर्क और सभाएं कर रहे हैं। उन्होंने पिछले 3 महीने में 30 जिलों में जनसंपर्क किया। भदोही दौरे पर जब वे गए, तो उनकी गाड़ियों का काफिला चर्चा में रहा। काफिले में निर्दलीय विधायक विजय मिश्रा भी शामिल थे। पिछले महीने वाराणसी दौरे पर उन्होंने यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर से बंद कमरे में मुलाकात की थी।
बिखर सकते हैं ठाकुर और यादव वोट : अखिलेश और मायावती के साथ आने के बाद राजा भैया ने सपा से दूरी बना ली है। अब अगर अमर सिंह भी नए दल के जरिए चुनाव में उतरते हैं तो ठाकुर वोट बसपा और सपा से कट सकते हैं। उधर, सपा के नाराज नेता यादव वोट काट सकते हैं। गठबंधन को नुकसान हो सकता है। सपा-बसपा से अलग हुए वोटों का फायदा भाजपा को भी मिल सकता है।
यूपी की 25 लोकसभा सीटों पर यादव-ठाकुरों का प्रभाव : उत्तर प्रदेश में 9 प्रतिशत यादव वोटर हैं, ये 10 लोकसभा सीटों पर असर डालते हैं। 7 फीसदी ठाकुर वोटर हैं, जो 15 सीटों पर असर डालते हैं।
यादव मतदाताओं के असर वाले जिले | ठाकुर मतदाताओं के असर वाले जिले |
सम्भल | गोरखपुर |
गौतमबुद्ध नगर | कुशीनगर |
मथुरा | देवरिया |
आगरा | आजमगढ़ |
फिरोज़ाबाद | मऊ |
मैनपुरी | बलिया |
एटा | जौनपुर |
फर्रूखाबाद | गाजीपुर |
इटावा | चंदौली |
कन्नौज | वाराणसी |
बदायूं | मथुरा |
बरेली | आगरा |
पीलीभीत | हरदोई |
आजमगढ़ | उन्नाव |
फैजाबाद | रायबरेली |
इलाहाबाद | बांदा |