प्रयागराज. गोल्डन ज्वैलरी से खासा लगाव रखने वाले जूना अखाड़े के 'गोल्डन बाबा' एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्हें शनिवार देर रात एक सिपाही को धमकी देने के आरोप में प्रयागराज पुलिस ने हिरासत में ले लिया। 6 जनवरी को सिपाही सतीश कुमार ने दारागंज थाने में इस मामले में FIR दर्ज कराई थी। मामले में बाबा (Golden Baba arrested) के साथ उनके तीन अनुयायियों को भी पकड़कर पुलिस ने रात दो बजे तक पूछताछ की। इसके बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। जहां से निजी मुचलके पर बाबा को रिहा कर दिया गया। गोल्डन बाबा को हिरासत में लिए जाने की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में साधु-संत भी थाने पर जमा हो गए थे।
फरियादी बोला- डर है की बाबा मेरी हत्या करा सकते हैं
फरियादी सिपाही सतीश कुमार की तैनाती संभल में है। इन दिनों कुंभ मेले में उसकी ड्यूटी लगी है। 30 नवंबर से वह गोल्डन बाबा उर्फ सुधीर मक्कड़ उर्फ बिट्टू की सुरक्षा में बतौर गनर तैनात था। आरोप है कि 5 दिसंबर को बाबा उसे लेकर गाजियाबाद जाने लगे। जब उसने बिना अनुमति जिला छोड़कर जाने से मना किया, तो उसे धमकी दी गई। इसके बाद गाजियाबाद से दूसरे राज्य ले जाने लगे। जब उसने दोबारा इनकार किया, तो चोरी के झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गई। सिपाही का कहना है, गोल्डन बाबा आपराधिक किस्म के हैं। उसे डर है कि वह उसकी हत्या करा सकते हैं। इसी शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया था।
जानिए कौन है गोल्डन बाबा ? (Who is Golden Baba)
'गोल्डन बाबा' का असली नाम सुधीर मक्कड़ है। उन्हें गोल्डन पूरी नाम से भी जाना जाता है। वे जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं। उन्होंने दिल्ली के गांधीनगर में कपड़ा व्यापार और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी किया है। कई अपराधिक मामलों में शामिल होने के आरोप भी उन पर लगे हैं।
पहनते हैं 27 लाख की डायमंड की घड़ी
गौरतलब है कि गोल्डन बाबा हर बार कुंभ में आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। दरअसल, वे 20 किलो की गोल्डन ज्वैलरी पहने रखते हैं। इसके अलावा 27 लाख की डायमंड की घड़ी भी पहनते हैं। बाबा का कहना है, जितना प्रेम उन्हें सोने के आभूषणों से है, उतना ही प्रेम शिव की आराधना में है। वे पिछले 25 सालों से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। इस बार की कांवड़ यात्रा के दौरान 25 निजी गार्ड हमेशा उनके साथ में चल रहे थे।
हर साल बढ़ जाता है शरीर पर सोना
गोल्डन बाबा के मुताबिक, सोने के आभूषण उनके इष्टदेव की तरह है। इसलिए उन्होंने सोना पहनने के शौक को अपना नियम बना लिया और कांवड़ यात्रा के साथ-साथ सोने के आभूषणों का वजन भी बढ़ाते चले गए।
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