मुरादाबाद. भारत में तीन तलाक को क्रिमिनल ऑफेंस के दायरे में लाने के लिए बिल गुरुवार को लोकसभा में पास हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में इसे गैरकानूनी करार दिया था और इस पर सरकार को 6 महीने के अंदर कानून बनाने को कहा था। इस पर रोक के लिए भारत में मुस्लिम महिलाओं को काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। DainikBhaskar.com आपको इस कानून के लोकसभा में पास होने पर ट्रिपल तलाक पीड़िताओं के रिएक्शन बता रहा है।
कितना सख्त है ट्रिपल तलाक कानून?
-बिल के मुताबिक, एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी तौर पर गैरकानूनी ही होगा। जिसमें बोलकर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (यानी वॉट्सऐप, ईमेल, एसएमएस) के जरिये भी एक बार में तीन तलाक देना शामिल है।
-ऑफिशियल्स के मुताबिक, हर्जाना और बच्चों की कस्टडी महिला को देने का प्रॉविजन इसलिए रखा गया है, ताकि महिला को घर छोड़ने के साथ ही कानूनी तौर पर सिक्युरिटी हासिल हो सके। इस मामले में आरोपी को जमानत भी नहीं मिल सकेगी।’
-देश में पिछले एक साल से तीन तलाक के मुद्दे पर छिड़ी बहस और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने इस बिल का मसौदा तैयार किया। सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक को बुनियादी हक के खिलाफ और गैरकानूनी बता चुका है।
ट्रिपल तलाक देने पर सजा
- बिल के मुताबिक, "जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) देना गैरकानूनी और गैर जमानती होगा। तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की सजा के अलावा जुर्माना भी होगा। साथ ही इसमें महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी और गुजारा भत्ते का दावा भी कर सकेगी।"