“अरे, ओ मैडम जी, इस पर अपना नंबर तो लिख दो,” संजय ने मालती से कहा।
मैडम सुनते ही मालती को लगा कि संजय जानबूझकर सबके सामने ऐसी टपोरी लैंग्वेज यूज कर रहा है। क्योंकि पहले दिन तो उसने मालती से बड़ी तमीज से बात की थी और चार दिन हुए नहीं कि इतनी बेतक्कलुफी पर उतर आया।
उसे गुस्सा इस बात पर भी आया कि संजय को यह पता था कि मालती को ‘मैडम’ सुनना पसंद नहीं। जब पहली बार संजय उसके पास पैम्फलेट के ऑर्डर लेने आया था तो एक स्टूडेंट के पेरेंट ने मालती को मैडम कह दिया था। तब मालती ने कहा था, “आप मुझे मालती या मैम बोलिए, मैडम शब्द मुझे पसंद नहीं।”
मालती को खूब अच्छे से याद है कि उस दिन तो संजय मैम-मैम ही कर रहा था और आज मैडम जी बुला रहा है।
यह सब सोचते-सोचते मालती के मुंह से निकला, “ओ, प्लीज, यह मैडम जी-मैडम जी क्या लगा रखा है? आपको मैंने अपनी डिटेल दे दी है। आपको पढ़ना नहीं आता क्या?” गुस्से से मालती का चेहरा लाल हो गया।
संजय कुछ कम नहीं था। उसने भी चुटकी लेते हुए जल्दी से अपने फोन को अपनी दुकान पर रखे म्यूजिक सिस्टम स्पीकर से कनेक्ट कर फिल्म 'हिचकी’ का गाना 'मैडम जी, गो ईजी’ फुल वॉल्यूम में प्ले कर दिया।
इस बार मालती के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कुराहट तैर गई, पर संजय को दांत फाड़ते देखकर वह अगले ही पल पैर पटककर चली गई।
संजय, ओओएच यानी आउट ऑफ होम मतलब ऐसे एडवर्टाइजमेंट्स, जो घर से बाहर लगते हैं जैसे होर्डिंग्स या बिलबोर्ड्स आदि के कैंपेन की एक कंपनी चलाता था। वहीं ग्राफिक डिजाइनिंग का शौक होने के चलते वो ब्रोशर और पैम्फ्लेट डिजाइनिंग का काम भी करता था। इसी काम की उसने एक शॉप दिल्ली के ही लोकल मार्केट में खोली थी, ताकि यहां से भी उसको क्लाइंट्स मिलते रहें।
मालती कॉन्वेंट स्कूल से पास आउट थी। उसे सर और मैडम जी वाली बातें ओल्ड स्कूल ऑफ थॉट्स लगतीं। वो देहरादून से दिल्ली आकर रहने लगी थी। लॉकडाउन में उसकी टीचिंग की जॉब चली गई थी। घर में खाली बैठी तो मम्मी-पापा को भी रिश्ता ढूंढने की जल्दबाजी होने लगी।
मालती को अपनी लाइफ में कुछ अलग करना था। वो एजुकेशनल स्टार्टअप खोलकर स्टूडेंट्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाना चाहती थी। इसी के लिए होर्डिंग्स और ब्रोशर एड देने के लिए वह संजय तक जा पहुंची थी।
मालती ने अपनी एजुकेशनल क्लासेस 'मैथ्स वर्ल्ड’ की पूरी प्लानिंग कर ली थी। दिन के समय 12वीं पास आउट स्टूडेंट्स के लिए वहकॉम्पिटिटिव ऑनलाइन क्लास लेगी और शाम को ऑफलाइन क्लास। मालती को अपने पढ़ाए पर फुल कॉन्फिडेंस था कि उससे अच्छी मैथ्स की ऑनलाइन क्लास दिल्ली-एनसीआर में कोई और नहीं ले सकता। उसने देहरादून में रहते हुए दिल्ली की कई ऑनलाइन क्लास को जॉइन करके चेक भी किया था। बस फिर क्या था, उसे अपना सपना पूरा करने ऐसे में दिल्ली तो आना ही था।
संजय ने पहले कुछ पैम्फ्लेट और ब्रोशर की डिजाइनिंग कर दी थी। मालती ने उसे अपने आसपास सर्कुलेट भी करवा दिया था। बहुत अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला था। तब उसे लगा कि कुछ स्कूल के आसपास होर्डिंग्स लगाकर ऑनलाइन क्लास की जानकारी दी जाए क्योंकि नया सेशन स्टार्ट होने में ज्यादा दिन नहीं थे।
“मालती आपको 'मैथ्स वर्ल्ड’ होर्डिंग्स में ऑनलाइन फीस को भी शामिल कर देना चाहिए। पहले फीस कम रखिए। अगर आपका काम अच्छा चल जाए, तो फीस बढ़ा देना। ऑनलाइन क्लास पर कोई भरोसा जल्दी नहीं करता तो आप एक वीक की क्लासेज फ्री दीजिए। इससे आपके पास स्टूडेंट ज्यादा जुड़ सकेंगे।” संजय ने मालती को वॉट्सऐप मैसेज किया।
मालती को संजय का वन वीक फ्री क्लास का आइडिया बहुत अच्छा लगा। पर उसने ये जाहिर नहीं किया। वह अब तक संजय को ‘मैडम जी’ वाली बात के लिए माफ तो नहीं कर पाई थी, पर संजय की इस बात ने मालती के चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान ला दी थी।
संजय ने अगले मैसेज में लिखा कि मैंने होर्डिंग के कुछ डिजाइन तैयार किए हैं। इनमें से एक फाइनल करने आज शाम को आप शॉप में आ जाएं।
बस इसी के चलते वो संजय से दोबारा मिली थी। इस गर्मी में उसे बार-बार घर से निकलना पसंद नहीं था और संजय था कि हर काम सामने दिखवाकर ही फाइनल करता।
मालती तय समय पर संजय की शॉप पर पहुंच गई। पर यह क्या संजय नदारद था। उसके शॉप पर काम कर रहे एक लड़के ने कहा, “सर, आपके ही काम से कंपनी गए हैं। आते होंगे। आप इंतजार करें!”
मालती ने संजय का काफी देर इंतजार किया, वह पसीने से भीग गई, पर संजय नहीं आया। इस बीच उसने संजय को कई कॉल भी किए, पर संजय ने एक भी कॉल रिसीव नहीं किया।
मालती उदास चेहरा लिए अपने रूम पर वापस आ चुकी थी। उसके होर्डिंग्स स्टूडेंट के नये सेशन से पहले लगने बेहद जरूरी थे, ताकि नए सेशन से बच्चे मालती की क्लास जॉइन कर सकें। यही मालती का सपना था, पर होर्डिंग्स की अभी डिजाइनिंग ही फाइनल नहीं हुई थी। यह बात सोचते-सोचते मालती को संजय पर गुस्सा आने लगा था।
इस बीच मालती के फोन में संजय का मैसेज आया- ‘प्लीज, मालती कम डाउन।’
मालती गुस्से में थी और अपने सपने को टूटते हुए देख रही थी। संजय का यह मैसेज उसे और चिढ़ा गया।
दरअसल, संजय उसकी सोसाइटी के नीचे खड़ा था। वह ‘कम डाउन’ कह रहा था और मालती को लगा वह ‘काम डाउन’ की बात कर रहा है।
अगले कुछ मैसेज ने मालती के चेहरे पर हंसी बिखेर दी थी।
मालती नीचे आ गई थी। संजय ने देरी से आने के लिए माफी मांगी और कहा कि अगर आप आज डिजाइन फाइनल कर देंगी, तो मैं रात तक पूरे शहर भर में होर्डिंग लगवा दूंगा।
संजय अपने हाथों में कई डिजाइन लेकर मालती के सामने खड़ा था। मालती ने मन ही मन सोचा, यह उतना भी खड़ूस और बुरा नहीं है जितना मैं सोच रही थी।
खैर, मालती ने सभी डिजाइन देखे।
पर यह क्या सभी डिजाइन में स्पेलिंग मिस्टेक थी। 'मैथ्स वर्ल्ड’ की जगह 'मैथ्स वर्ड’ हो गया था। होर्डिंग्स के शब्द इंग्लिश में थे तो सभी में से ‘L’ गायब था। मालती संजय की तरफ कार्ड लगभग फेंकते हुए चीखी, “तो ये हैं आपके डिजाइन?”
“सॉरी, मैडम जी!”
मालती को बस, मानो यही ‘मैडम’ शब्द सुनने की देरी रह गई थी। वो बड़ी मुश्किल से अपना गुस्सा रोके लगभग कांप रही थी।
जब-तक मालती आगे कुछ कहती, तब-तक संजय ने एक पैकेट उसके सामने कर दिया।
मालती चीखते हुए बोली, “यह क्या है अब नया?”
यह फाइनल डिजाइन का फोल्डर था। उनमें से एक डिजाइन खासतौर पर संजय ने मालती के लिए डिजाइन किया था। जिस पर मालती के फोटो के साथ 'मैथ्स वर्ल्ड’ की सारी इंफॉर्मेशन दी हुई थी। फोटो को ऑनलाइन क्लास की जानकारी देते हुए इस तरह डिजाइन किया गया था कि मालती का उसमें बच्चों को पढ़ाते हुए गजब कॉन्फिडेंस झलक रहा था।
वाउ, लुक्स अमेजिंग! मालती ने खुश होते हुए कहा...। मालती उस डिजाइन को देखकर खूब तेजी से हंसी और बोली अरे! यह क्या पोस्टर में से मैं निकल रही हूं...।
“हां, जैसे फटा पोस्टर निकला हीरो! ठीक वैसे ही पोस्टर में से निकली हीरोइन...” संजय ने कहा।
“यह पहले क्यों नहीं दिखाए आपने!: मालती ने खुशी जाहिर करते हुए कहा।
संजय ने बताया कि वह लेट इसलिए हो गया कि उसके साथी ने गलत प्रिंट करवा दिया था। जब उसने वहां जाकर देखा, तो कंपनी जाकर नया डिजाइन तैयार करवाया। इसी काम में देर हो गई।
पर मेरा फोटो आपके पास कैसे आया?
संजय बोला, “ओ मैडम जी मैं इसी बात के पैसे लेता हूं? ग्राफिक डिज़ाइनर हूं, आपके चमकते चेहरे के बिना पोस्टर किसी काम का नहीं लगता। इतने साल काम करने का फायदा क्या। मैंने आपके इंस्टा अकाउंट से आपकी ये खूबसूरत फोटो निकाली और छाप दी। वैसे तो ये चेहरा…” संजय मन ही मन कुछ बोला।
मालती ने पूछा, “आपने कुछ कहा?”
संजय ने झेंपते हुए झट से जवाब दिया, “नहीं नहीं मैडम जी।”
मालती एक बार फिर से चिढ़ गई और बोली, “आपको एक बार की कही बात समझ नहीं आती?”
संजय हंस कर बोला, “नहीं!”
“अगर ये मजाक है तो मैं कुछ नहीं कहूंगी।”
संजय ने मालती से कहा कि वो भी पहले कोचिंग क्लासेस के साथ काम कर चुका है, इसलिए उसे इस बारे में अच्छा आइडिया है। लेकिन जब से उसके पापा बीमार रहने लगे, उसने फैमिली प्रिंटिंग का काम संभाल लिया और अब उसे नए तरीके से आगे बढ़ा रहा है।
संजय उसे अपने काम के बारे में बताता रहा और वह सुनती रही।
“अच्छा चलता हूं मैडम जी,” कहकर संजय अपनी कार में बैठा।
इस बार मालती उसके 'मैडम जी’ कहने पर चिढ़ी नहीं, बल्कि शर्माते हुए सीढियां चढ़ गई थी।
अगले दिन तड़के सुबह शहर भर में 'मैथ्स वर्ल्ड’ के होर्डिंग्स लग चुके थे और मालती का फोन नॉन स्टॉप बजना शुरू हो गया था।
इतने सारे फोन कॉल्स में एक फोन संजय का भी आया। “मैडम जी, आपके यहां एडमिशन मिलेगा?” उसकी आवाज में शरारत झलक रही थी।
“मैं रोमांस की क्लासेस नहीं लेती।” मालती का जवाब था और दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।
- गीतांजलि
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