उन दिनों की बात है जब सुजाता दसवीं में पढ़ती थी। अपनी बुआ के घर वह कुछ दिनों के लिए गई हुई थी। उसमें अल्हड़पन अपनी हमउम्र लड़कियों जैसा ही था। बुआ की इकलौती भतीजी होने के कारण उसे लाड़-प्यार भी खूब मिलता और वह सारे घर में फुदकती नजर आती। बुआ की अपनी भी दो बेटियां थीं, सविता और कविता। तीनों लड़कियां घर को सिर पर उठाए रखती। बुआ-फूफा के पारिवारिक मित्र माथुर साहब का बेटा तेजस बुआ की दोनों बेटियों के लिए बड़े भाई का रोल बखूबी निभाता, लेकिन सुजाता की मौजूदगी में चुप ही रहता। तेजस की चुप्पी सुजाता की दोनों बहनों की समझ के परे थी।
धीरे-धीरे सविता और कविता को अपने भाई के दिल की बात समझ आने लगी। वह जान गईं कि तेजस पर सुजाता के इश्क का भूत चढ़ गया है।
एक दिन सुजाता अपनी बहनों के साथ तेजस के घर गई और उसकी स्टडी टेबल पर रखी बुक्स उठाकर देखने लगी। पेज पलटते हुए उसने देखा कि किताब के कई पन्नों पर उसका नाम लिखा था। यह देख वह बुरी तरह चौंकी। तभी उसने सामने से तेजस को अपनी तरफ आते देखा। तेजस ने उसके हाथ से किताब छीनकर दूसरी किताबों के बीच रख दी, लेकिन सुजाता को ये पता चल गया था कि तेजस उसे चाहने लगा है।
सुजाता को भी तेजस का साथ अच्छा लगने लगा था। सुजाता ने ही पहले दिल की बात तेजस से कही थी। दोनों मिलने का कोई मौका न छोड़ते। एक दिन दोनों घर में अकेले थे, उस दिन पहली बार तेजस ने सुजाता को छुआ था। दोनों के लिए ये पल खास थे और उनके रिश्ते को और मजबूत बना रहे थे। दोनों के लिए अब अलग रहना मुश्किल हो गया था।
सुजाता अब तेजस की दुल्हन बनने के सपने देखने लगी थी। वह लगभग रोज ही तेजस से पूछती कि वह कब उसे दुल्हन बनाकर ले जाएगा, लेकिन तेजस अभी इसके लिए तैयार नहीं था। वह हर बार सुजाता को समझाता कि जैसे ही वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा, वैसे ही अपने माता-पिता को शादी की बात करने के लिए कह देगा।
सुजाता की चिंता तब बढ़ गई जब घर पर उसकी शादी की बात चलने लगी। तेजस का करियर सेट नहीं हो पा रहा था और सुजाता पर घरवालों का प्रेशर बढ़ने लगा था। वह घर पर कहती भी कैसे कि तेजस के सिवाय वो किसी से दिल नहीं लगा सकेगी। सुजाता के शादी के प्रेशर से बचने के लिए तेजस ने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी। सुजाता मिलने की बात करती, तो तेजस काम का बहाना कर टाल जाता।
सुजाता को समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे। आखिर उसने एक गंभीर फैसला लिया। उस दिन वह तेजस से आखिरी बार मिली और उसने दिल की भड़ास निकाल दी, “तेजस, तुम डरपोक हो। लोग अपने प्यार के लिए क्या नहीं करते, तुम अपने पैरों पर खड़े तक नहीं हो पाए, उल्टे तुमने तो मुझसे दूरी बना ली।”
तेजस के पास अपनी सफाई में बोलने के लिए कुछ नहीं था। वह सिर्फ इतना कह पाया, “मुझे थोड़ा वक्त और दे दो सुजाता।”
“अब मेरे वश में कुछ नहीं है तेजस, घर में शादी का प्रेशर बढ़ने लगा है। तुमने अपने डर के साथ जियो, मैं अब तुमसे कभी नहीं मिलूंगी। किसी और के साथ जिंदगी कैसे बिताउंगी ये तो पता नहीं, लेकिन तुम्हें मैं हमेशा एक डरपोक के रूप में ही याद रखूंगी।”
- शम्मी झा
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