पूजा अपनी जिंदगी की परेशानियों से कुछ पल के लिए छुटकारा पाने के लिए रोज़ किसी न किसी चैटरूम पर एक नया दोस्त ख़ोज लेती। वह कुछ दोस्तों से तो तीन चार दिन लगातार बात करती और कुछ दोस्तों से महज चार पांच मिनट में ही मन भर जाता।
बचपन से ही अपने माता-पिता के रिश्ते में चली आ रही अनबन को देखते हुए पूजा ने मन बना लिया था कि वह शादी करेगी तो अपनी पसंद के लड़के से। जिसके साथ दिल की बातें साझा करने से पहले उसे एक पल के लिए भी सोचना न पड़े। उसे डर था कि कहीं उसका वैवाहिक जीवन भी उसके माता-पिता की तरह दुख में न बीते।
बस इसी चाहत में वो न जाने कितने लड़कों से बातें करती। पर कभी भी उसे ऐसा महसूस नहीं हुआ, जैसा उस रात चैटरूम पर निखिल के नाम से आये हुए एक लंबे मैसेज पढ़ कर हुआ। मैसेज पढ़ते हुए पूजा को ऐसा लग रहा था, जैसे मानो निखिल कोई ऐसा शख़्स है,जो उसे बाखूबी जानता है।
मैसेज पूरा पढ़े बिना ही एक पल को पूजा के मन में ख़्याल आया, कहीं ये कोई जान पहचान वाला तो नहींं।
उसने तुरंत फेसबकु लॉगिन कर अपनी फ्रेंडलिस्ट में सर्च किया 'निखिल'। निखिल अरोड़ा! पूजा चौंकी। अरे ये तो वही लड़का था, जो बचपन में उसके साथ पढ़ता और साथ आता-जाता था। लेकिन कभी पूजा ने उस पर ध्यान ही नहीं दिया। पर आज निखिल का एक लम्बा चौड़ा मैसेज देख पूजा उसे एक अलग नज़र से देखने लगी थी।
बचपन में पूजा की पानी की बोतल को गले में लटकाकर उसके पीछे-पीछे चलने वाला निखिल अब एक मैगज़ीन में कॉपी एडिटर की जॉब करने लगा था। जिस तरह उसने अपने दिल की बातें उस एक लंबे मैसेज में साझा की थीं। पूजा अपना दिल वहीं हार बैठी थी।
वह निखिल को उसी के लहजे में एक ख़त लिखकर जवाब भेजना चाहती थी। इसलिए पूजा ने दो दिन का वक़्त लगा कर एक लम्बा टूटे-फूटे शब्दों को जोड़ कर शायरी भरा ख़त लिखा उसमें एक और शेर भी लिख दिया, जो उसने कहीं सुना था -
"मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले"
इस शेर के साथ शुरू होते अपने ख़त में उसने हर उस बात का जवाब देने की कोशिश की जो निखिल ने कही थी।
उसे उम्मीद थी कि जवाब में एक और ख़त आएगा और चेहरे पर मुस्कान लिए उस ख़त के बारे में सोचते सोचते न जाने कब नींद आ गई। सुबह सबसे पहले आंख खुलीं, तो उसने अपना फोन चेक किया, पर उसे कोई मैसेज का नोटिफिकेशन नहीं दिखा। शाम में जब पूजा से रहा न गया, तो उसने निखिल को फिर से एक मैसेज भेज दिया।
”कहां बिजी हो?”
उधर से कोई जवाब नहीं आया और इसी इंतजार में कई दिन गुजर गए। वह रोज अपना फोन इसी उम्मीद में देखती कि कहीं निखिल का कोई जवाब तो नहीं आया। अब उसका दिल किसी और से बात करने में भी नहीं लग रहा था। ऐसा नहीं था कि उसने कोशिश नहीं की, पर निखिल जैसी बात किसी और में नहीं थी।
उस दिन भी पूजा ने इसी उम्मीद में फोन उठाया। एक मैसेज तो था पर निखिल का नहीं, बल्कि उसके स्कूल के ग्रुप में। जिसमें अगले महीने होने जा रही ऐनुअल मीट के आयोजन का।
पूजा के सभी दोस्त वहां जाने वाले थे। पूजा ने सोचा कि इसी बहाने सबसे मुलाकात हो जाएगी और ठीक एक महीने बाद दिसंबर की 5 तारीख को वो भी स्कूल जा पहुंची। उसे उसकी पुरानी सहेलियां तो मिली ही और साथ ही उसने देखा कि एक 6 फीट का नौजवान उसकी तरफ बढ़ रहा था। वह निखिल था। पूजा के मन मन में बहुत सारे सवाल उठने लगे। निखिल ने उसके पास पहुंचते ही कहा कि, “मैं जवाब देना चाहता था, पर मेरे परिवार में किसी का देहांत हो गया था”।
ओह, माफ करना निखिल। यह कहकर पूजा के मन में एक साथ ही दुख और सुख दोनों ने एक साथ जगह ले ली।
उन दोनों नें ख़ूब बातें की और आपस में फोन नबंर भी लिए। अब पूजा की सारी शिकायतें दूर हो चुकी थी।
अगली सुबह पूजा के फोन में उसी चैटरूम पर एक नोटिफिकेशन था, जहां पहली बार निखिल का ख़त आया।
इस बार भी एक प्यार भरा ख़त था। जिसे पढ़ती हुई पूजा की आंखें बता रही थीं कि उसे निखिल के रूप में एक 'परमानेंट चैट पार्टनर मिल गया है।
- हेमा काण्डपाल “हिया”
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