"यार थोड़ी तो शर्म कर लिया करो, तुम द ग्रेट अयान के दोस्त हो। ये क्या फुद्दू से पिज्जा की फोटो अपलोड की है इंस्टा पर शर्मनाक। पिज्जा होता है, फार्महाउस, ओवरलोडेड। ये जो तुमने खाया है, मजाक है मजाक।" अयान बुरा सा मुंह बनाए बैठा था और उसके दोस्तों की मनचाही मुराद पूरी हो गई थी।
"भाई गरीब का बेटा हूं। पिज्जा के नाम पर मन बहला लेता हूं ऐसे ही। इतने में ऐसे 4-5 आ जाते हैं।"
"बेटा जिसका भी हो, भाई तो राजा का है न। भाई बोल दिया तूने अब बचा क्या। चल पिज्जा पार्टी डन।"
अयान की रेड बेंज स्टार्ट हो चुकी थी और फर्राटे से रोड पर दौड़ रही थी। उसके आसपास जिनका जमावड़ा था, जिन्हें वह दोस्त कहता था, दरअसल चापलूसों की भीड़ थी। उन्हें पता था कैसे उसका ईगो सहलाया जाए और अपना काम निकलवाया जाए। और अयान यह सोचकर खुश रहता कि वह सबको एक बराबर मानता है। गरीब दोस्तों को भी इतनी इज्जत और प्यार देता है, उन पर दिल खोलकर खर्च करता है।
शानदार रेस्त्रां में ऑर्डर प्लेस करने के बाद वे लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। अयान का ध्यान एक बारह-तेरह साल के लड़के ने खींचा, जो दस-बीस के नोटों को तरतीब से जमाने में बिजी था। पास ही आठ-नौ साल की एक लड़की खड़ी थी। दोनों ने साफ-सुथरे, सादे कपड़े पहने थे। गरीब थे पर भिखारी नहीं ही लग रहे थे। अयान को बढ़िया मौका दिखा। एक दोस्त को इशारा करके बोला, “चल रील बनाते हैं, वायरल करेंगे।”
"हेलो किड्स। हाऊ आर यू।" अयान उन दोनों के सामने ऐसे खड़ा हो गया कि वीडियो का एंगल सेट हो जाए, जो थोड़ी दूर से उसके दोस्त बना रहे थे।
"फाइन। थैंक्स।" लड़का मुस्कुराकर बोला।
"केन आई हेल्प यू।"
"नो। वी आर गुड।"
"क्या ले रहे हो।"
"सिस के लिए जिंजर बर्गर मील।"
"ओ हो। एनी स्पेशल ओकेशन?"
"यप। लिटिल सिस का बर्थडे।"
"हैप्पी बर्थडे प्रिंसेस।"
"थैंक्यू।" इतनी देर में पहली बार था, जब वह लड़की खुलकर मुस्कुराई। उसके गालों पर पड़ने वाले डिंपल बहुत प्यारे थे।
"एक काम करते हैं। तुम दोनों को एक-एक लार्ज मील मेरी तरफ से। कंसीडर इट माय बर्थडे गिफ्ट।"
"आपके ऑफर के लिए थैंक्स अ लॉट। बट सॉरी भैया, आज की ट्रीट मेरी तरफ से है। आप से नहीं चाहिए।" लड़के ने नर्म लहजे में कहा, पर अयान को अच्छा नहीं लगा। उसे लगा रील में जैसे बच्चे खुश होकर भावुक हो जाते हैं, वैसा ही कुछ होगा। एक दोस्त जो फेसबुक लाइव कर रहा था डायरेक्ट, बात संभालने के लिए पहुंचा।
"तुम्हें तो खुश होना चाहिए। क्या तुम नहीं चाहते ऐसा कोई एंजल मिले जो तुम्हारी बहन की बर्थडे विश पूरी करे। गिफ्ट भी दे।"
"नहीं। वह एंजल मैं खुद बनना चाहता हूं।" लड़के के चेहरे पर वही स्माइल पर आंखों में दृढ़ता थी।
"वॉव ब्रदर एंजल। कुडोज़।" कहता हुआ अयान वापस सीट पर बैठ गया। पर मूड खराब हो चुका था। दोस्त लोग भी भांप गए थे। फौरन वीडियो डिलीट कर चुके थे। वायरल यह भी हो जाता, पर हीरो वह बच्चा बन जाता।
"चलो हो गया हो तुम लोगों का तो शॉपिंग कर ली जाए।" मूड ठीक करने का यही तरीका उसको आता था।
दोस्तों की लार चुआने लगी। 2-3 ब्रांडेड शर्ट्स, एकाध जीन्स, बेल्ट, परफ्यूम उनको ही मिल जाने थे। आज का दिन ही लकी था।
मॉल में वे एक फेमस इंटरनेशनल ब्रांड के शो-रूम पहुंचे। चारों तरफ चकाचौंध लाइट्स के बीच बला की हसीन बालाएं घूम रही थीं। टाइट शर्ट्स और ट्राउजर्स, सलीके का मेकअप और लहराती जुल्फें।
"कॉल गर्ल्स होती हैं सारी। नए-नए तरीके ढूंढ लेती हैं कस्टमर फंसाने के। जानबूझकर ऐसी जगहों पर काम करती हैं, जहां अमीर ही आएं और बॉडी के हर कर्व की खुलकर नुमाइश करती हैं।" अयान गुस्से में फुंफकार रहा था।
"शश्श भाई, धीरे। सुन लेगा कोई।"
"सुन ले तभी तो बोला है और हिम्मत है तो उखाड़ ले जो उखाड़ सकता हो। आई एम द बॉस ऑफ बॉसेस।" साफ तौर पर उसका टारगेट वह सबसे सुंदर लड़की थी, जो सीप के मोती जैसी चमक रही थी और जिसकी मोटी काली चोटी पिंडलियों तक पहुंच रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी आंखों में पानी भर आया था। गम और गुस्से से आंखें, नाक और गाल सब लाल हो गए थे। वह फौरन वॉशरूम में घुस गई। कितनी ही देर चेहरे पर पानी मारती रही। वह सारी नजरें धो डालना चाहती थी, जो दिन-रात उसका वजूद तार-तार करती रहती थीं।
उसने घड़ी की तरफ नजर डाली, ऑफ होने ही वाला था। फटाफट वॉशरूम में ही ड्रेस चेंज की, सूती सलवार-कुर्ती पर बड़ा सा दुपट्टा फैलाया और बाहर निकल आयी।
मॉल की चकाचौंध पीछे छूट चुकी थी। अंधेरी बस्तियां शुरू हो गई थीं। नुक्कड़ की ही एक बेकरी से उसने पाइनएप्पल केक पैक कराया। दो बड़ी चॉकलेट्स, दो पनीर पेटिस और एक चिप्स का बड़ा पैकेट भी और जल्दी से घर पहुंची।
घर पर हर तरफ बलून्स बिखरे थे। पेपर रिबन से ‘हैप्पी बर्थडे परी’ लिखा गया था।
"प्रिंस यह सब तुमने किया?"
"हां दीदी। हम लोग आज पिज्जा ट्रीट पर भी गए थे।" प्रिंस चहक रहा था।
"मेरा भाई। प्यारा भाई, बड़ा हो गया है।"
"मैं भी बिग गर्ल हो गई हूं आज।" परी ने उसके गले में बांहें डाल दीं।
केक पर कैंडल सजाते हुए बार-बार नम्रा की आंखें भर आ रही थीं। उसके पापा काम की तलाश में कनाडा गए थे और वहीं के होकर रह गए थे। पहले साल-दो साल में एक चक्कर लगा भी जाते थे, लेकिन परी के जन्म के बाद बिल्कुल ही बन्द कर दिया था। दो लड़कियों का बोझ वह नहीं उठाना चाहते थे। एक शादी उन्होंने वहां भी कर रखी थी। प्रिंस को अपने साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन उसके सख़्ती से मना करने पर वे लड़-झगड़कर निकल गए थे। उसके बाद न ही लौटे, न पैसे भेजे दुबारा।
बीमार मां और दो छोटे भाई-बहन की जिम्मेदारी के चलते उसे आठवीं के बाद ही स्कूल छोड़ना पड़ा था। तबसे प्राइवेट ही पढ़ रही थी और जो छोटे-मोटे काम मिलते थे, वह कर लेती थी। जब तक ग्रेजुएशन नहीं हो जाता, कहीं जॉब के लिए अप्लाई नहीं कर सकती थी।
कोविड में मां भी उसका साथ छोड़ गईं। बीमार ही सही, उनके रहने से उसे तसल्ली थी। अब बिल्कुल अनाथ ही हो गई थी। अब वह मॉल में ठीक-ठाक सैलरी पर इंटरनेशनल मेंस ब्रांड में काम कर रही थी। बीस साल की उम्र में ही चालीस वाली परिपक्वता आ गई थी। जिन बच्चों के मां-बाप नहीं होते, उनका कोई बचपन नहीं होता।
"भैया, मॉम को कॉल करो। अभी करो। मेरी कॉल काट दी उन्होंने, हाऊ कुड शी डू दिज़ टू मी" अयान के आते ही बारह साल की शनाया ने उसकी तरफ किताब फेंककर मारी। वह लगातार चीखकर अंग्रेजी में न जाने कितनी गालियां दे रही थी।
"बच्चा यूएस में अभी रात है। सो रही होंगी मम्मा। सुबह बात करना।" अयान ने नरमी से समझाने की कोशिश की।
"नहीं। वह मुझे अवॉयड नहीं कर सकतीं। मुझे बात करना है बस।" शनाया ने कीमती ग्लास शो-पीस दीवार पर दे मारा।
घबराए हुए नौकर तुरंत सफाई में जुट गए।
वैसे तो यह आए दिन का था, लेकिन आज पहली बार अयान को उन दो प्यारे बच्चों का ध्यान आया। शनाया की उम्र का ही वह लड़का कितना सुलझा, समझदार, तमीजदार था और एक उसकी यह बहन… गुस्सा नाक पर ही रहता था। हर मांग पूरी होना जरूरी थी।
उनका ध्यान आते ही उसने मोबाइल निकाला और आज शूट हुई क्लिप देखने लगा।
"अरे ये तो प्रिंस और परी हैं।" सफाई करती मेड का ध्यान वीडियो ने खींच लिया था।
"तुम जानती हो इन्हें?"
"जी सर। बहुत प्यारे बच्चे हैं। अपनी दीदी के साथ रहते हैं। नम्रा बड़ी प्यारी लड़की है। एकदम परियों की शहजादी, पर बहुत दुखियारी।"
"क्या वह शनाया की पर्सनल अटेंडेंट बनने को तैयार होगी? शनाया को कंपनी मिलेगी तो उसका गुस्सा भी कम होगा। इस लड़की को कहना, वह अपने भाई-बहन भी साथ ला सकती है। दोनों टाइम खाना, पिक-ड्रॉप फैसिलिटी और बढ़िया सैलरी मिलेगी।" अयान ने जल्दी से सब तय कर लिया था।
और उम्मीद के मुताबिक अगले ही दिन नम्रा उसके सामने मौजूद थी। अयान को देखते ही उसका मुंह कसैला हो गया। कल की उसकी बातें उसके सिर में सुइयां चुभाने लगीं।
लेकिन अयान उसे पहचान नहीं पाया था। एकदम ढीले-ढाले कॉटन के सूट पर सलीके से दुपट्टा फैलाए, किसी भी तरह के मेकअप से खाली चेहरा, सिर पर जूड़ा, उसका हुलिया ही बदल गया था। कल की टाइट फिटिंग ड्रेस और मेकअप से एकदम अलग।
यह बात समझकर उसने राहत की सांस ली। और बिन वक्त गंवाए जॉब को हां कर दी।
यह शायद अयान की जिंदगी का सबसे सही फैसला था।
शनाया को पहली बार इतना प्यार और अटेंशन मिला था। उसके पापा नहीं थे, मम्मी ज्यादातर विदेशों में होतीं और अयान को अपने दोस्तों से फुर्सत नहीं होती। जिसकी कमी जमाने भर के गैजेट्स और पैसों से पूरी की जाती।
अब प्रिंस और परी कभी-कभी सर्वेंट क्वार्टर से गार्डन में खेलने आ जाते, पर बंगले में अंदर नहीं आते। नम्रा नहीं चाहती थी कि उन्हें लक्ज़री की आदत पड़े। लेकिन शनाया को उनके साथ बहुत अच्छा लगता था।
इस एक महीने में अयान का बंगला घर लगने लगा था और कहने की जरूरत नहीं, सीधी-सादी सी यह लड़की उसके घर के साथ-साथ दिल में भी उतरती चली जा रही थी। लेकिन नम्रा उससे जाने क्यों खिंची-खिंची रहती थी। लेकिन उसका यह रिजर्व रहना अयान की दीवानगी को बढ़ाता ही था। उसे वे लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं थीं, जो उसकी अमीरी और शक्ल देखकर उस पर बिछी जाती थीं।
"क्यों जानबूझकर इग्नोर करती हो मुझे? मजा आता है न, जिसके पीछे जमाना पागल है, वह तुम्हारा दीवाना है, यह सोचकर एन्जॉय करती हो न?" शनाया के लिए मैक्रोनी ले जाते हुए उसे रास्ते में अयान ने रोक लिया। उसके दिल की धड़कन उसके कानों में जोर-जोर से सुनाई दे रही थी, उसे लग रहा था, आज पूरी दुनिया सुन लेगी।
वह कैसे बताती कि वह भी उसे चाहती है, लेकिन उस जैसी लड़कियों के लिये उसके दिल में जो नफरत और हिकारत है, वह बरदाश्त नहीं कर सकती। उस दिन से डरती है, जब उसे पता लगेगा, पहले वह क्या करती थी। हालांकि मेहनत से रोजी कमाना कोई गुनाह नहीं, पर उसके विचार कितने बुरे थे ऐसी लड़कियों के प्रति, वह बखूबी जानती थी और यह भी कि कभी भी उसकी जॉब जा सकती है, वह शनाया को उसे देखने तक नहीं देगा, उसकी भाभी बनाना तो दूर।
"अब बोलोगी या मुंह में दही जमा है या मौन व्रत है?" बेल की आवाज पर अयान को नम्रा का हाथ छोड़ना पड़ा।
उसकी मम्मी ने सरप्राइज विज़िट दी थी और नम्रा ने घर को चमकाने से लेकर किचन सम्भालने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। न वह चाहती थी कि आशी मैम को शिकायत का कोई मौका मिले, न ही वह उनके सामने पड़ना चाहती थी, लेकिन फूल पत्तों से कब छिप सकता है।
"वॉव व्हाट अ ब्रेथ-टेकिंग ब्यूटी। जबसे आई हूं, शनाया से तुम्हारी तारीफें ही सुन रही हूं। अब देखकर यकीन हो गया कि मर्लिन मुनरो और मधुबाला की कमी तुम ही पूरी करोगी। ये कामवाली मासी के हुलिए में कहर ढा रही हो, प्रॉपर ग्रूमिंग के बाद तो कयामत बरपा दोगी। बेबी स्किन, ये बाल, ये रंगत, ये टेक्स्चर, ये फिगर सब बवाल है। अभी बीस में लगी हो मतलब अगले बीस साल छाई रहोगी तुम फैशन इंडस्ट्री में।" आशी मैम अपने गोल्डन डाई बालों में उंगलियां फंसाए बेशर्मी से उसको ऊपर से नीचे तक परख रही थीं, जैसे मंडी में बिकने वाला कोई जानवर हो सामने।
लेकिन बिन थोड़ा भी नर्वस हुए उसने अपने नाम के अनुरूप ही नम्रता से जवाब दिया, "सॉरी मैम। मुझे फैशन इंडस्ट्री में कोई इंटरेस्ट नहीं। मेरी फेमिली को मेरी बहुत जरूरत है। सर इतनी सैलरी देते हैं कि काम चल जाए। घर भी किराए पर दे दिया है तो थोड़ी सेविंग भी हो जाएगी।"
"स्टुपिड लड़की, मैं करोड़ों में खेलने की बात कर रही हूं और तुम पच्चीस हजार सैलरी और दस हजार के किराए में खुश हो। ऐसा ही एक बंगला, गाड़ी, सर्वेंट्स सब तुम्हारे लिए काम करेंगे। तुम्हारे भाई-बहन कोसेंगे एक दिन तुमको।"
"आपने इस काबिल समझा, उसकी बहुत शुक्रगुजार हूं। कोस लें भाई-बहन, मैं सह लूंगी। इस सेटिस्फेक्शन के साथ कि जब वे बड़े हो रहे थे, मैं उनके पास थी।"
"यू मोरोन। छोटे लोग, छोटी सोच। तुम्हारी असली जगह सर्वेंट क्वार्टर में ही है।" अब उन्हें वाकई ग़ुस्सा आ गया था। चोट शायद सीधे दिल पर लगी थी। वे पैर पटकती चली गईं।
उधर अयान ने, जो चुपके से ये सब सुन रहा था, आगे बढ़कर बेसाख़्ता ही उसका माथा चूम लिया। नम्रा एक पल को बुत सी बन गई। फिर खुद को सम्भालते हुए बोली, "सर, आपकी मम्मी सही कहती हैं। हम जैसी लड़कियां अपनी औकात में ही ठीक। और आपका जो प्रेम-प्यार है, वह भी हवा हो जाएगा यह जानकर कि मैं वही लड़की हूं, जिसे आप मानते हैं कि सेल्सगर्ल बनकर अमीरों को रिझाने के लिए टाइट कपड़े पहने मॉल में जॉब करती हैं। अब जो भी आप मां-बेटे का फैसला हो, मुझे मंजूर है। जॉब से निकालने के एक महीना पहले आप नोटिस देंगे, यह अग्रीमेंट में है।"
अयान सन्न रह गया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। नम्रा पर नहीं, अपनी गंदी सोच पर। बीस की यह लड़की, जो हर तरफ से हर मोर्चे पर जूझ रही थी। न कोई मददगार हाथ था, न ही पढ़ाई-लिखाई, न पैसा, फिर भी अमीर, पढ़े-लिखे उम्रदराज लोगों से हर मायने में बेहतर। विनम्र, सुलझी, समझदार, प्रेमिल, खुद्दार, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास से भरी अनिंद्य सुंदरी। हालात पर रोने की बजाय डटकर जूझने वाली और वह अमीर घर का बिगड़ैल शहजादा, जितना पैसा, उतनी छोटी मानसिकता। लड़कियों को कपड़ों और काम से तौलने वाला।
शाम को जब वह उदास बैठी अपनी जिंदगी के फैसले का इंतजार कर रही थी, अयान उसके पास आया। रोई-सूजी आंखें, बिखरे बाल, इस लड़के को वह नहीं जानती थी।
"मुझे मौका और वक्त दो नम्रा। तुम्हारे लायक बनकर दिखाऊंगा। फिर तुमसे तुम्हें मांगने की हिम्मत करूंगा। लड़कियों की इज्जत करना सिखाया है तुमने। पैसे से सब-कुछ नहीं खरीदा जा सकता, यह एहसास दिलाया है। तुम सा नहीं तो भी अपना बेहतर वर्ज़न बनने की पूरी कोशिश करूंगा। अगले सेशन से तुम रेगुलर कॉलेज जॉइन कर रही हो और मैं इस मामले में कोई बहस नहीं चाहता। तुम अभी भी मेरी एम्प्लॉयी हो और फ्यूचर बॉस भी। यह वादा है तुमसे और खुद से…”
वह बस अयान की आंखों में देखे जा रही थी। आंसू मोती की तरह गालों से फिसल रहे थे। उसे देखकर यकीन मजबूत कर रही थी कि दुआएं सुनी जाती हैं, पूरी होती हैं।
- नाज़िया खान
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