मल्टी नेशनल कंपनी की छोटी ब्रांच थी ये, छुट्टी का दिन था। बुलाने पर सब आए तो, लेकिन काम ज्यादा होने की वजह से अपने-अपने हिस्से का काम करके भाग खड़े हुए। रागिनी और राहुल इस ब्रांच के बॉस थे। उनके बॉस इससे बड़ी वाली ब्रांच में बैठते थे। इन दोनों को उनके आने पर प्रेजेंटेशन देने के लिए रुकना था, पर बारिश के आसार देखकर उनका फोन आया कि आज वे नहीं आ सकेंगे।
रागिनी ने चैन की सांस ली और बाहर देखा। ऐसी झमाझम बारिश हो रही थी, कि जैसे आज ही सारे मेघों को धरती में समा जाना है। तभी एफ. एम. पर हो रहे प्रसारण पर ध्यान गया। “बारिश के कारण सभी सड़कों में पानी भर गया है। जो गाड़ियां सड़कों पर हैं, वो ब्लॉक खड़ी हैं। कब तक हमारे शहर...”
रागिनी ने ऐप्स पर कैब बुक करने की कोशिश की। लेकिन नतीजा वही जो लग रहा था। अब उसकी नज़र कांच के पार्टीशन के उस पार बैठे राहुल पर पड़ी। वो हंस-हंसकर अपने किसी दोस्त से बात कर रहा था। सहसा वो सहम गई। तो क्या बारिश रुकने तक और सड़कों से पानी उतरने तक उसे राहुल के साथ ऑफिस में अकेले...? कितनी बार इशारों में और फिर उसके उपेक्षित करने पर साफ शब्दों में अपने प्यार का इजहार कर चुका था वो। मगर रागिनी ने स्पष्ट शब्दों में बता दिया था कि प्यार का मतलब उसके जीवन के शब्दकोष में क्या है। क्यों वो अब प्यार पर यकीन कर
सकती है न..। हालांकि राहुल से ये सब कहने के बाद फूटकर रोई थी वो। सच तो ये था कि राहुल की नज़दीकियां उसे अच्छी लगने लगीं थीं। दिल के किसी कोने में उसके सानिध्य की प्यास जगने लगी थी। लेकिन जब राहुल उसे छुएगा तो क्या..अपनी ऊहापोह की इसी झल्लाहट में एक-दो बार तो कुछ लोगों के सामने भी झिड़क दिया है उसे। तो क्या राहुल भी उस लड़के की तरह..पल भर में रागिनी अपने अतीत के उस भयानक पन्ने पर पहुंच गई जो उसके मानस पर अटक गया है। उसे जितना भी झटकने का प्रयास करे, वो हटता ही नहीं। और आज तो परिस्थितियां भी वैसी ही बन गईं थीं।
जैसी पहले… वो भी तो यही कहता था कि प्यार करता है उससे। चाची का दूर का रिश्तेदार था वो। सब उसे जानते और भला मानते थे। परिवार की एक शादी में उसने रागिनी को देखा और तब से दीवानो की तरह उसके आगे-पीछे घूमने लगा। सिर्फ सोलह साल की थी रागिनी। उम्र के उस सपनीले मोड़ पर उसे भी उसकी बातें और दीवानगी लुभाने लगी। उसकी शादी का प्रस्ताव रखने पर रागिनी ने ये बात मम्मी को बताई। तब मम्मी ने प्यार से समझाया कि जैसे ही तुम दोनो पढ़ाई खत्म करके आत्मनिर्भर हो जाओगे, हम खुद शादी की बात करने उसके घर जाएंगे। रागिनी सहमत हुई और उसको बता दिया।
उस दिन ऐसी ही मूसलाधार बारिश थी। मम्मी-पापा घर पर नहीं थे। वो मिलने आया तो रागिनी को भी लगा कि प्यारी बातें करने का कितना अच्छा मौका है ये। उसने बताया कि मम्मी-पापा का बार-बार फोन आ रहा है कि बस घर पहुंचने ही वाले हैं। फिर शर्माते हुए कहा कि उन लोगों को पता है कि मैं बिजली कड़कने से डरती हूं, इसीलिए परेशान हो रहे हैं, पर अब तुम मेरे साथ हो तो कैसा डर?
लेकिन उसे बातें नहीं कुछ और ही करना था। वो करीब आया तो रागिनी शर्माई पर उसके ज़िद्दी और सख्त स्पर्श के साथ ही सिर्फ चौंकी ही नहीं, दुखी भी हो गई – “ये ठीक नहीं है” लेकिन उसे तो कुछ कहना-सुनना नहीं बल्कि अपनी हवस पूरी करनी थी।
शरीर के घाव एक-दो महीने में भर गए और मन के घाव उसे सज़ा होने पर कुछ कम हुए। मम्मी-पापा के स्नेहिल संरक्षण में रागिनी ने खुद को पढ़ाई में झोंक दिया और आज इतना अच्छा पद प्राप्त कर लिया। लेकिन उनके लाख समझाने के बावजूद वो कभी खुद को शादी के लिए राज़ी नहीं कर पाई। उसे हमेशा यही लगता है कि किसी भी लड़के की छुअन उसे कभी सुख नहीं दे पाएगी। वो तो आज तक किसी लड़के के साथ अकेले होते ही सहम जाती है। तीन घंटे हो गए हैं और उस दौरान उसने खुद को समझाने की लाख कोशिशें कर डालीं हैं कि राहुल आराम से अपने कमरे में बैठा है, वो कुछ नहीं करेगा पर फिर भी वो पसीने-पसीने हो रही है। सहसा राहुल ने कमरे में प्रवेश किया।
“शीशे से तुम्हें परेशान देखा तो पूछने आया...” तभी रागिनी को चक्कर सा महसूस हुआ और वो कुर्सी पर ही लुढ़क गई। “मुझे ब्लड-प्रेशर लो की समस्या..शायद..” हड़बबड़ाया राहुल जल्दी से अपने कमरे में गया और कुछ नमकीन बिस्कुट लाकर रागिनी के मुंह में डाले। नमक भी चटाया पर रागिनी की स्थिति संभल नहीं रही थी। उसकी आंखें उलटने लग़ीं तो राहुल ने उसे गोद में उठा लिया और बाहर चला गया।
संयोग से उनके ऑफिस के बगल में नर्सिंग होम था और राहुल घुटनों तक पानी भरी सड़क पर उसे लेकर भागने लगा। वो है कि स्पर्श से अभिभूत है। महफूज़ महसूस करती सी कुछ पुलकित सी, कुछ लजाई सी..रागिनी को अपने ही भावों पर आश्चर्य हो उठा। बेड मिलने और ड्रिप लगने के बाद भी राहुल का कभी उसकी हथेलियों को हाथ में लेकर सहलाना तो कभी उसके सिर पर हाथ फेरते रहना उसे कितना आह्लादित कर रहा है..
हैरान-परेशान मम्मी-पापा पहुंचे तो पेसेंट के बिस्तर पर लेटी रागिनी के होंठों पर मुस्कान देखकर चैन की सांस ली। “तुम तो अब बिल्कुल ठीक लग रही हो।” पापा ने सिर पर हाथ फेरा। रागिनी ने राहुल की ओर इशारा किया – राहुल ने सिर्फ मेरी जान ही नहीं बचाई बल्कि उसके कारण आज मुझे ये भी एहसास हुआ कि मेरे मन की गिरहें खुल चुकी हैं। मैं अतीत के उस भयानक प्रेत की कैद से आज़ाद हो चुकी हूं। मम्मी-पापा राहुल की ओर मुड़े। उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे।
-भावना प्रकाश
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