नोकझोंक वाला प्यार:शोनू के मैथ्स का फॉर्मूला और नीरा का संगीत उन्हें करीब ले आया, अब दोनों को मंजिल की तलाश थी

12 दिन पहले
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‘अफसाना लिख रही हूं, दिले बेकरार का’ फिर बगल के कमरे से आती नीरा के गाने की आवाज शोनू के मैथ्स के फार्मूले के साथ गुंथ गई। उसका पारा तो हाई होना ही था।

“बस, बहुत हो चुका, इस लड़की को सबक सिखाना ही होगा। समझती क्या है अपने आप को। सारे आर्ट वाले एक जैसे होते हैं। निठल्ले, न खुद पढ़ेंगे न दूसरे को पढ़ने देंगे।” वो पढ़ाई छोड़कर गुस्से में टहलने लगा।

‘मन करता है एक माइक मैं भी’ सोनू गुस्से में बुदबुदा ही रहा था कि अचानक उसे आइडिया आ गया।

उसकी आंखें चमक उठी। बस फिर क्या था। वो तुरंत पास की बड़ी सी म्यूजिक शॉप पर गया और एक माइक ले आया। यह माइक उसने अपनी मेज पर फिट कर दिया और चिल्ला चिल्ला कर मैथ्स के वह फार्मूले बोलने लगा जो उसे रटने थे।

नीरा के कमरे में यह पुराना गीत बज रहा था और वो अपनी धुन में मगन कुछ सोच रही थी। लैपटॉप के सामने बैठी हुई वो पहले ही उलझी हुई थी। माइक पर आती आवाज ने उसे और परेशान कर दिया। अब फार्मूले की आवाजें गीत की आवाज के साथ गुंथ गई थी।

“आज तो इसे सबक सिखा कर ही रहूंगी। समझता क्या है अपने आपको!” मैथ्स के ओलंपियाड की तैयारी कर रहा है तो क्या। सभी साइंस वाले एक जैसे होते हैं। नीरस, घोंचू। न खुद में कोई रस होता है न सरस चीज सुनने देखने का शौक। हम कलाकारों की कोई वैल्यू ही नहीं। हम भी म्यूजिक कॉन्पिटिशन की तैयारी कर रहे हैं। कॉन्पिटिशन भी कोई ऐसा वैसा नहीं। कंपोजिशन की थीम भी कितनी यूनीक है।”

“तू बिना मतलब गुस्सा कर रही है ब्रो, थीम तो यूनीक रखना ही पड़ेगा। इतने सारे लोगों में से केवल 10 को चुनना कोई मजाक बात थोड़े ही है।” नीरा की सहेली ने उसे शांत करते हुए कहा। नीरा की आदत थी कि वो तनाव के पल में खुद को ही खुद का दोस्त समझकर बातें करती थी।

“ब्रो, पहले ही कुछ समझ नहीं आ रहा था। सभी अपीलिंग पुराने गानों के तो रिमिक्स बन चुके हैं। एक तो ऐसे गाने ही बहुत कम हैं जिनके रिमिक्स बनाए जा सकते हैं। उस पर रिमिक्स में कुछ ऐसा हो जो पहले कभी... रिमिक्स के लिए कोई नया आइडिया...

तभी अनजाने में मैथ्स का फार्मूला बोलते शोनू की आवाज, गीत की धुन सुनाई देने के कारण रिदम में आ गई, तो गुस्से में बड़बड़ाती हुई नीरा की आंखें चमक उठीं।

“मिल गया आइडिया! छोड़ ब्रो। हम इस लड़के से लड़ाई नहीं करेंगे। इसने हमें हमारे कॉन्पिटिशन के लिए बिल्कुल नया धांसू आइडिया दे दिया है।”

नीरा ने आंखों-ही-आंखों में अपना इरादा बताया तो सोना की भी आंखें चमक उठी। बस फिर क्या था, लग गई दोनों सहेलियां अपनी नई इन्नोवेटिव कंपोजीशन की तैयारी में।

तभी दरवाजा खटका। दोनों समझ गई थीं कि कौन है। उनकी समस्या हल हो गई थी और गुस्सा शांत हो गया था, तो थोड़ी तफरी सूझी। बिना लड़ाई किए लड़कों को थोड़ा परेशान करने का मन हुआ। मीरा फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स निकालने चली गई।

सोना ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला। “आइए जनाब, बैठिए! आपका स्वागत है।” वह बिल्कुल 50 के दशक की नायिकाओं की तरह अभिनय करती हुई बोली।

तभी नीरा कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स भी ले आई। मेज पर रखते हुए बोली, “आप लोग पढ़-पढ़ कर थक गए होंगे, तो सोचा कुछ खिला-पिला कर आपका एंटरटेनमेंट किया जाए।”

दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रही थीं। और दूसरी तरफ चिल्ड कोल्ड ड्रिंक और वेफर्स देखकर लड़कों के मुंह में पानी आ गया। फिर भी वे थोड़े सतर्क हो गए। कहीं इन लड़कियों की उन्हें परेशान करने की यह कोई नई चाल तो नहीं! वे सोचने लगे।

तभी नीरा बड़ी मासूमियत के साथ बोली, “आपने ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ फिल्म देखी है? हम लोगों ने तो कल ही देखी। उसी तर्ज पर आप लोगों से लड़ाई दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखिए ना, म्यूजिक की प्रैक्टिस शांत रहकर तो नहीं की जा सकती।”

नीरा तो अपनी सहेली के साथ उन लड़कों के साथ थोड़ी मस्ती कर रही थी, पर इससे आज शोनू ने पहली बार उसे ध्यान से देखा। वह बहुत सुंदर लगी। शोनू का सारा गुस्सा शांत हो गया।

फिर चारों बहुत देर गपशप करते रहे।

रात में नीरा का दरवाजा खटका। उसकी सहेली जा चुकी थी। नीरा समझ गई कि शोनू ही होगा। इस पी.जी. में केवल दो ही कमरे थे, जिनमें वे दो किराएदार थे। अब तक गेट पर ताला लग चुका होगा और मकान मालिक तो दो दिन के लिए बाहर गए हैं। कहीं हमारे शाम के व्यवहार के कारण ये कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली होने की कोशिश तो नहीं करने लगा? कहीं कुछ गलत हिंट तो नहीं ले ली।

तभी दरवाजा दूसरी बार खटका। नीरा ने अंदर से ही पूछा, “कुछ चाहिए?”

“जी नहीं, कुछ देने आया था। वो आज खाना बनाने वाली आंटी ने कुछ ज्यादा ही बेस्वाद खाना बनाया था। आप भी खा नहीं पाई होंगी। इसीलिए अपने लिए चिकन रोल लेने गया तो आपके लिए भी ले आया। यहां रखा है। आप दरवाजे की चेन खोले बिना ले सकती हैं।”

नीरा झेंप गई। शोनू को मालूम था कि वो उससे डर रही है। वो सच में खाना नहीं खा पाई थी। भूख तो लग ही रही थी। उसने खाना उठा लिया। पर दरवाजा पूरा नहीं खोला। सतर्कता अपनी जगह थी।

दूसरे दिन पानी अपनी पूरी ताकत से बरसने लगा। नीरा बड़ी देर से कॉरीडोर में खड़ी होकर कैब बुक करा रही थी। ऑडिशन का टाइम नजदीक आ रहा था और उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी। तभी शोनू ने देखा और परेशानी का कारण पूछा। नीरा के बताने पर उसने तुरंत अपनी बाइक निकाल ली। थोड़ी झिझक और आनाकानी के बाद नीरा मान गई।

सेलेक्शन होने पर नीरा इतनी खुश हुई कि सबसे पहले अपना इंतजार करते शोनू को ही झप्पी दी। फिर खुद ही झिझककर हट गई।

पर दिक्कतों ने तो जैसे उसका दामन पकड़ लिया था। कल ही अपने आइडिया को इम्प्लिमेंट करके रिकॉर्ड करके सुनाना था और उसके पास साथ देने के लिए कोई मेल वॉइस नहीं थी। उस पर रात में पावर फेल्योर हो गया। ए.सी. बंद तो दोनो घुटन भरे कमरे से निकलकर टेरिस पर आ बैठे।

अब तक नीरा का डर निकल गया था। बातें निकली तो दूर तलक गईं। अपने अपने संघर्षों के कारण घर का आराम छोड़कर पी.जी. में रह रहे दो अजनबियों ने अपनी सारी व्यथाएं बांट लीं।

“अगर आप चाहें तो मैं आपका साथ दे सकता हूं।”

“सच! आपको गाना आता है?”

“गाना नहीं आता, पर रिदम में बोल सकता हूं। मैथ्स के फार्मूले ही तो बोलने हैं रिदम में?”

और फिर लाइट आने पर विज्ञान और कला के दूर देशो में रहने वाले दो अजनबियों के पूर्वाग्रह खत्म हो चुके थे। वे एक-दूसरे के मन को समझ चुके थे। मिलकर इन्नोवेटिव रिमिक्स का एलबम बना रहे थे।

सुबह की पहली किरण के साथ जब शोनू ने अपने कमरे में जाने के लिए बाय किया तो नीरा का ध्यान गया कि उसने सतर्कता के सारे नियम तोड़ दिए थे। इतना अच्छा लगा था उसे एक साइंस वाले की संगत में।

उसकी आंखों में ये एहसास उतरते ही शोनू पहचान गया। वो नीरा के बहुत करीब आ गया, “एक बात पूछूं?”

“पूछिए”

“जैसे आपने मुझे पिछले कुछ घंटों का भरोसा दिया है, मैं आपसे सारी उम्र का भरोसा मांगना चाहता हूं। यकीन मानिए, हम एक दूसरे के पूरक बन सकते हैं। एक राह पर खुशी-खुशी चल सकते हैं।”

नीरा की मुस्कुराती पलकों में ‘हां’ थी और शोनू को उसका जवाब मिल चुका था।

- भावना प्रकाश

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