अगर मैं कहूं कि मुझे कविता लिखने और ऊल जुलूल शब्दों के समूह को घुमा फिराकर व्यंग्य की थाली में परोसने में रूचि है, या यूं कहें कि आदत हो गई है। तो शायद आप यकीन कर लेंगे कि ये बंदा फोकट्या है। वैसे, मुझे रुचि तो चित्रकला में भी थी, पर शब्दों को घुमाने की बेतुकी आदत की वजह से, चित्रकला में बिल्कुल भी रुचि न रखने वाले अंग्रेजी के टीचर की घुमावदार सोच का मुझे सामना करना पड़ा।
मैं अपने संस्मरण का बखान करूं। इससे पहले अंग्रेजी के टीचर का शब्द वर्णन जरूरी है। वो तो बिल्कुल गबदू थे। किसी अंडाकार तरबूज के ऊपर छोटी सी केरी रख दो और नीचे 2 पतली ककड़ी लटका दो। कोई लड़का अगर टाई को गले की जगह जेब में लटका कर घूमता हुआ दिखे तो सही, टीचर के थपेड़े उसकी दुनिया घुमा देते। हालांकि, ये बात अलग है कि टीचर खुद चाबी के छल्ले को जेब से आधा बाहर लटकाते, ताकि लोगों की नजर डिजाइनर एम (m) अक्षर पर जा सके। बच्चों ने उन्हें शक्तिमान के 'अंधेरा कायम रहे' बोलने वाले विलेन की उपाधि से सम्मानित कर दिया।
मुझे याद है, सन् 2015 के अप्रैल माह में उमस भरी गर्मी में दसवीं क्लास की शुरुआत हो चुकी थी, और हमारे हुनरबाज मित्रों ने पंखों की ऐसी-तैसी कर दी थी। उनका का लेक्चर था। टीचर एक-एक कर सभी बच्चों को पूरी क्लास के सामने बुलाकर अंग्रेजी का पाठ पढ़वा रहे थे। मेरी बारी आने वाली थी। बेखौफ, निडर, आत्मविश्वास से लबरेज, ख़ुद को रस्किन बॉन्ड के लगभग समझ चुका मैं, स्टेज पर पहुंचा। सीधे हाथ में किताब पकड़े और उल्टे हाथ की कलाई से पसीना साफ़ करते हुए पढ़े जा रहा था। आप यकीन करिये मुझे पसीना गर्मी की ही वजह से आ रहा था। तभी टीचर की नजर मेरे उल्टे हाथ की कलाई पर पड़ी।
मैंने जेल पेन से घुमावदार अंदाज में करस्यु राइटिंग में चेतन का सी (c) बनाया था, पर पसीने की वजह से उसकी हालत बिगड़ चुकी थी, और टीचर को c अब D नजर आने लगा था। पूरी क्लास के सामने बेवजह और बगैर मेरी बात सुने, उन्होंने मुझसे लेकर मेरे परिवार तक के हर शख्स के संस्कारों का पोस्टमार्टम कर डाला।
मुझे बहुत दुःख हुआ। सर ने भाषण दिया इसलिए नहीं, बल्कि इसलिए कि मैं सर की भावनाओं को समझ नहीं पाया कि सर आखिर इतना क्यों डांट रहे हैं? एक बिगड़ा हुआ टैटू ही तो है, वो भी सर की ही गलती है कि सर ने उसको D समझा। और अगर वो D भी है, तो दिक्कत कहां है आखिर? मैं डेस्क पर आकर बैठ गया, तभी मेरा एक मच्छर किस्म का दोस्त, पीछे से मुझे चॉक मारते हुए चिल्लाया, "दिव्यानी..." ।
अचानक याद आया, सारा मामला समझ चुका था, सर की लाडली का नाम दिव्यानी था। इसलिए सर हमारे परिवार की हर वो बात पूछनी चाही, जिसका कोई मतलब नहीं। लेकिन दिव्यानी नाम तो किसी का भी हो सकता है। उन्हें क्या पता मेरी गलफ्रेंड का भी नाम दिव्यानी है। दिव्यानी अक्सर C को D कर देती, लेकिन उस दिन दिव्यानी स्कूल नहीं आई। दिव्यानी अक्सर कहती ये तो दिल की बात है।
-चेतन राका
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