लाइब्रेरी में भीड़ बहुत कम थी। आज का दिन किताबें एकत्र करने के लिए सबसे अच्छा था। लवीना और रोहन ने सारी किताबें ढूढ़कर इशू करा लीं। एमबीए फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स रोहन और लवीना को मिलकर फाइनल एग्जाम का असाइनमेंट पूरा करना था। तय हुआ कि रोहन नेट से जानकारी खंगालकर उन्हें समराइज करेगा और लवीना पुस्तकों की, फिर मिलकर असाइनमेंट पूरा करेंगे।
लवीना ने किताबें बैग में डाली ही थीं कि रोहन ने बड़े ही रोमांटिक अंदाज में उसका बैग थामने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया। “इट्स ओके, मैं उठा सकती हूं,” लवीना मुस्कुराई।
“आप तो दुनिया जीत सकती हैं, लेकिन भार भी खुद उठाएंगी तो आपका ये खादिम किस दिन काम आएगा योर हाईनेस!” रोहन ने मदद के बहाने तारीफ का मौका नहीं छोड़ा।
लवीना ने हमेशा की तरह झूठी बेरुखी दिखाई, लेकिन रोहन हथियार डालने को राजी न हुआ, “ओके, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर मैडम, प्राउड ऑफ यू, लेकिन दो कदम साथ तो चल सकता हूं?”
“दो कदम क्यों, जहां तक की राहें साथ हैं, वहां तक साथ चल सकते हो। और हां, अपना काम खुद कर लेने में मैं कोई प्राउड वाली बात नहीं समझती।” लवीना के शब्द ही नहीं, उसकी भंगिमा, उसका लहजा भी इतना सधा हुआ था कि रोहन जैसा एक्स्पर्ट आशिक भी कुछ पल के लिए निरुत्तर हो गया। फिर भी वह लवीना के हॉस्टल के उस मोड़ तक उसके साथ बातें करता हुआ चलता रहा, जहां से ब्वॉयज हॉस्टल का रास्ता मुड़ जाता था।
लवीना के जाने के बाद वह आगे बढ़ा तो राकेश और हिना के सम्मिलित ठहाके ने स्वागत किया। “बहुत कठिन है डगर पनघट की...” जैसी फब्तियां काफी देर उसका पीछा करती रहीं।
अब रोहन के लिए ये प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता जा रहा था। लवीना से मिलने से पहले उसकी जिंदगी में दो और लड़कियां आ चुकी थीं। दोनो को इंप्रेस करने में उसे दो दिन से ज्यादा नहीं लगे थे, पर मिली का अपने पुराने बॉयफ्रेंड से पैच-अप हो गया इसलिए वो उसकी जिंदगी से चली गई और रेहाना को उसने खुद अलविदा कह दिया। कारण उसे भी नहीं पता, तो रेहाना को क्या बताता। पर लवीना सबसे जुदा थी। उसे जानने के बाद, उसे समझने के बाद रोहन को लगा कि ड्रीम गर्लफ्रेंड की उसकी तलाश मुकम्मल हो गई। ये अलग बात है कि दो साल हो गए साथ चलते, रोहन के दोस्तों के शब्दों में कहा जाए, तो लवीना ने उसे अब तक घास नहीं डाली थी।
शोनाय की बर्थडे पार्टी थी। दोस्तों के साथ पार्टी में मस्ती कुछ अधिक ही चल रही थी। लवीना रेड गाउन और आगे से शॉर्ट फ्लिक्स हेयर स्टाइल में गजब ढा रही थी। आज तो रोहन की नजर एक पल के लिए भी लवीना से हटने को राजी नहीं थी। पार्टी खत्म होने तक रोहन का धैर्य जवाब देने लगा। वह अपनी बाइक लवीना के ठीक बगल में खड़ी करते हुए बोला, “आज तो मैं तुम्हें घर तक छोड़ने चलूंगा ही। कोई ना नुकुर नहीं, चुपचाप बैठो पीछे।” रोहन को पूरा यकीन था कि उतने अधिकार से बोलने पर लवीना उसकी बात काट नहीं पाएगी।
“पर क्यों?” लवीना का जवाब अब भी उतना ही सपाट था।
“क्यों क्या जान! इतनी हॉट लग रही हो कि पूरे रास्ते आग लगाती जाओगी। एक ‘कूल गाय’ साथ होना चाहिए न दुनिया को तुम्हारी आग से और तुम्हें दुनिया की नजर से बचाने के लिए।” रोहन का अंदाज बेहद रोमांटिक था, पर लवीना पर उसका कोई असर नहीं हुआ।
वह पूरे आत्मविश्वास के साथ बोली, “अगर अपने भरोसे सुरक्षित लौटने का विश्वास न होता तो मैं पार्टी में आती ही नहीं। मुझे किसी की सुरक्षा की जरूरत नहीं है।”
अब रोहन का धैर्य जवाब दे गया, “मैं कब से तुम्हारे साथ रिलेशनशिप में आने के लिए अपना प्यार जाहिर किए जा रहा हूं और तुम हो कि… आखिर तुम किसकी तलाश में हो? क्या कमी है मुझमें जो...”
“ओह! आज तुमने सीधी बात की है, तो चलो बात खत्म कर देते हैं,” कहते हुए लवीना एक खाली कुर्सी पर बैठ गई।
“तुम मेरे अतीत के बारे में क्या जानते हो?”
“कुछ नहीं, पर तुम तो जानती हो कि मेरा भी दो बार ब्रेकअप हो चुका है। जो भी अतीत है तुम्हारा उससे कब तक...”
“जो भी? मतलब तुम मेरे अतीत के बारे में जानना तक नहीं चाहते?” लवीना का स्वर तल्ख हो गया और रोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ।
“ओके सॉरी, बताओ क्या है तुम्हारा अतीत।” रोहन के स्वर में उम्मीदें उग आईं।
लवीना ने सिर पीछे घुमाया और अपने खूबसूरत कटे बाल हाथ से आगे की ओर समेट लिए। रोहन उसके गले के पीछे और पीठ के कुछ हिस्से का जला हुआ भयानक भाग देखकर सन्नाटे में आ गया।
“बहुत मदद करता था वह मेरी। मैं उसकी हर मदद को ठीक वैसे ही समझती और स्वीकार करती जैसे एक दोस्त को दूसरे दोस्त की। मेरी भारी किताबें उठाना, मुझे जरूरत पड़ने पर कहीं लेने-छोड़ने जाना और भी बहुत से काम। साथ ही वह अपने प्यार का इजहार भी करता रहता जैसा कि तुम करते हो। मैं भी इसे धीरे-धीरे दोस्ती को प्यार में बदलना समझकर इतने लविंग और केयरिंग प्रेमी को पाकर निहाल हुई जाती। और एक दिन…” इतना कहकर लवीना ने एक ठंडी सांस ली।
अब तक पूरी पार्टी की निगाहें उस पर जम चुकी थीं। “फिर ऐसी ही एक पार्टी में मेरा रूप उसके धैर्य के बर्दाश्त से बाहर हो गया। कुछ देर हम एक-दूसरे पर चुंबनों की झड़ी लगाते आलिंगन में बंधे रहे, फिर उसकी आगे बढ़ने की फरमाइश मुझे नागवार गुजरी। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मेरे इनकार के साथ उसकी मनुहार बढ़ती गई और मेरे स्पष्ट इनकार के साथ उसकी सोच भी स्पष्ट हो गई। उसने मेरे इतने सारे काम किए थे और उनके लिए चंद चुंबनों और कुछ देर के पैशनेट हग का पारिश्रमिक उसके हिसाब से बहुत कम था। इसी हिसाब की सजा थी वो एसिड, जिससे मुझे किस्मत से बहुत बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन कानूनी तौर पर उसे सबक सिखाने के साथ दो सबक मैंने भी सीखे।”
इतना कहकर लवीना ने रोहन के चेहरे पर अपनी पारखी नजरें गड़ाईं और दृढ़ स्वर में कहा, “एक- जब तक दूसरे के लिए पारिश्रमिक की परिभाषा स्पष्ट पता न हो, तब तक उससे कोई काम नहीं कराना है। दूसरा- जब तक अपनी और दूसरे की सारी भावनाएं और मंशाएं ठीक से पता न हों, तब तक किसी से भी, किसी भी तरह की रिलेशनशिप नहीं बनानी है।”
लवीना की कैब आ गई। रोहन की हलक में अटकी आवाज के निकलने की प्रतीक्षा किए बिना वो सैंडिल खटखटाती कैब की ओर बढ़ गई।
- भावना प्रकाश
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