“हाय! मार ही डाला! वो देख चांद का टुकड़ा। ब्रो, ये बिल्कुल मेरे सपनों की तस्वीर है,” सैवी ने शादी में दुल्हन की तरफ से शामिल हुई एक लड़की को देखकर दिल पर हाथ रखते हुए कहा।
फिर उसका भाई प्रणव भी बोल उठा, “और वो दूसरी वाली, वो तो आग का गोला है, मेरे ख्वाबों की मल्लिका।”
बारात दरवाजे तक आ चुकी थी। धूम-धड़ाम के बीच बारातियों का स्वागत करने के लिए बड़े-बुजुर्गों के साथ युवा भी कतार बांधकर खड़े थे। खूबसूरत लड़कियों को देखकर लड़के खयाली पुलाव पका रहे थे।
लड़कियां भी कम न थीं, “देख-देख, हाउ टॉल एंड हैंडसम गाय!”
“यार, मुंडा ताड़ने के लिए तो तेरी दीदी की बारात बढ़िया है।”
“हां, एक से बढ़कर एक कूल और डैशिंग बंदे हैं।”
व्यवस्था कुछ ऐसी थी कि लड़कों को लड़कियां गुलाब दे रही थीं। कुछ लड़के भी जवाब में लड़कियों को गुलाब देने लगे। इस क्रम में कइयों की निगाहें मिलीं और लुभावने इशारों का आदान-प्रदान शुरू हो गया।
पर सैवी की नजरें एकटक दूर खड़ी मुस्काती उस लड़की पर ही गड़ी रहीं। वो उससे कुछ बात शुरू करने की कोशिश करता, इससे पहले ही डीजे के शोर ने सारा माहौल बदल दिया। कुछ लोग डांस में और कुछ डांस की फोटो लेने में व्यस्त हो गए।
सैवी ने देखा, वो लड़की पीछे की एक सीट पर बैठी थी। एक तीन-चार साल का बच्चा उसकी बगल में बैठा था, वो उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे समेटे उससे बात कर रही थी।
सैवी को कुछ निराशा हुई। फिर उसने सोचा, बच्चा किसी रिलेटिव का भी तो हो सकता है। तभी अचानक डीजे बंद हो गया। दुल्हन जयमाल लेकर आ रही थी। उसकी बहनें रास्ते में फूल बिखेर रही थीं। माहौल शांत हो गया था। सबका ध्यान दुल्हन की ओर था।
सैवी को मौका सही लगा। वो उस लड़की के बगल की खाली सीट पर बैठ गया। बात शुरू करता, इससे पहले बच्चा बोला, “मुझे पनीर टिक्का खाना है।”
“अभी लाती हूं, तुम यहीं बैठना।” फिर लड़की ने बच्चे के दूसरी ओर बैठे वीडियो बनाने में व्यस्त पुरुष से पूछा, “आप भी लेंगे?” उसने इनकार किया तो वह मुस्कुराकर चली गई।
सैवी ने बच्चे को दुलारते हुए पूछा, “आपका नाम?”
“शोनाय” बच्चा चहका।
“ये आपके पापा हैं? बच्चे ने ‘हां’ में सिर हिलाया।
तभी लड़की वहां पर आ गई। “थैंक यू मौसी,” बच्चे ने कहा, तो सैवी ने मन ही मन ‘थैंक गॉड’ कहा।
मंडप के नीचे शादी के कार्यक्रम शुरू हुए। कार्यक्रम चलते रहे और उस लड़की का सादा रूप, शालीन बातें और काम में लगी मोहक मुद्राएं सैवी का मन मोहती रहीं। पूरे समय वो बच्चा उसके साथ रहा।
उस लड़की की हर अदा में जादू था। मेवे का झऊआ उठाना हो या शगुन का थाल, वो ऐसे मुस्कान-सिक्त होंठों के साथ उठाकर देती जैसे नृत्य में कुछ उठाकर देने का अभिनय कर रही हो। चेहरे पर आ गए बाल झटकती तो लगता चांद बादलों से अठखेलियां कर रहा हो।
जब कोई काम न होता तो ढोलक लेकर बैठ जाती। उसकी सुरीली आवाज और ढोलक की थाप देती सुंदर लंबी उंगलियां सैवी के दिल पर थाप छोड़ती गईं। जो बच्चा उसके साथ था, उसकी मां दुल्हन की बड़ी बहन थी जो हर समय दुल्हन के साथ थी। पर भाभी तो बस दो बहने थीं। तो यह बच्चे की मौसी? कजिन होगी, सैवी ने सोचा।
आखिर सुबह बिदाई के कुछ पहले सैवी को वो एकांत में मिल ही गई। वो आरती का थाल रंगीन चावल से सजा रही थी। सैवी ने कुछ देर इधर-उधर की बातें की, जिनका वो मुस्कुराकर उत्तर देती रही। तभी उसके खुले बालों ने चेहरे को ढक लिया। उसके हाथ रंगे थे। सैवी ने उससे इजाजत लेकर उसके बाल कान के पीछे खोंस दिए। उसने मुस्कुराकर ‘धन्यवाद’ कहा।
इससे सैवी की हिम्मत बढ़ी और वो उसे इम्प्रेस करने के लिए किसी फिल्म का रोमांटिक डायलॉग याद करने लगा। फिर भावुक स्वर में पास पड़ा गुलाब उठाकर बोला, “आप इस गुलाब की तरह खूबसूरती की परिभाषा हैं, मेरी जिंदगी के गुलदस्ते में सजना पसंद करेंगी?”
उसके चेहरे से प्यारी और सहज मुस्कान गायब हो गई और उसकी जगह एक वक्र मुस्कान होंठों पर आ विराजी, “खूबसूरती को पारिभाषित करते और कितने फूल हैं आपकी जिंदगी में?”
सैवी को झटका सा लगा। उसे ऐसे जवाब की कतई उम्मीद नहीं थी। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। किसी लड़की की तुलना फूल से करना उसे भोग्या समझने वाले युग की देन है। आधुनिक लड़कियां इसे पसंद नहीं करतीं। वो अपनी बात सम्हालने के लिए शब्द ढूंढ़ने लगा।
उसके चेहरे पर पछतावा देख उस लड़की की शालीन मुस्कान लौट आई। “किसी फूल की सुंदरता पर मुग्ध होकर उसे जीवन के गुलदस्ते में सजाने के इच्छुक लोग उसके बासी होने पर उसे फेंक दिया करते हैं। क्या आप उनमें से हैं?”
“बिल्कुल नहीं,” सैवी थोड़ा झेंपा, पर लड़की की मुस्कान देख उसकी उम्मीद फिर जगने लगी।
“मैं आपको पसंद करने...”
लड़की ने सैवी की बात को बीच में ही काटते हुए कहा, “क्या जानते हैं आप मेरे बारे में? क्या पसंद करने लगे हैं?”
लड़की ने सैवी की बात इतने आत्मविश्वास से काटी कि उसका आत्मविश्वास डोल गया, “जी वो..”
“छोड़िये, मैं ही बता देती हूं कि मुझमें पसंद आने लायक क्या है। मैं दीदी के यहां उनके बच्चे की आया की नौकरी करके अपनी मेडिकल की पढ़ाई का खर्च निकालती हूं। इस टाइप के इश्क को अफोर्ड करने के लिए मेरे पास न वक्त है न सामर्थ्य।”
सैवी उसे भौचक सा देख रहा था। उसे अब लड़की की मुस्कान प्रौढ़ उपदेशक सी नजर आने लगी।
लड़की ने जैसे सैवी का मन पढ़ लिया और उसे एक मौका देते हुए कहा, “हां, अगर कभी हमकदम बनने का विचार हो तो बता सकते हैं।”
सैवी कुछ देर उसे सम्मोहित सा देखता रहा। वो काफी आगे निकल गई थी। सैवी कुछ सोचकर दौड़कर उसके पास पहुंचा, “आप जहां से चाहें शुरू करें। मैं आपका हमराही बनकर आपको इश्क के मुकाम तक ले जाने की कोशिश तो कर सकता हूं?”
लड़की ने मुस्कुराकर अपना थाल सैवी को पकड़ा दिया, “नेहा नाम है मेरा। ये थाल उधर रख दीजिए और वो फूलों की टोकरी उठा दीजिए।”
सैवी अब शरारत के मूड में आ चुका था। उसने नेहा को छेड़ते हुए कहा, सुनो नेहा… मंडप सजा हुआ है। चलो, शादी कर लेते हैं।
नेहा ने शर्म से आंखें झुका लीं। उसकी मुस्कान में उसकी ‘हां’ छिपी थी।
- भावना प्रकाश
E-इश्क के लिए अपनी कहानी इस आईडी पर भेजें: db.women@dbcorp.in
सब्जेक्ट लाइन में E-इश्क लिखना न भूलें
कृपया अप्रकाशित रचनाएं ही भेजें
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.