सहजन की फली, फूल और छाल गुणों से भरपूर:बढ़ती उम्र का असर करे कम , साइटिका, गठि‍या, लिवर के लिए फायदेमंद, यौन क्षमता बढ़ाए

13 दिन पहलेलेखक: भाग्य श्री सिंह
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सहजन का बोटेनिकल नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera) है। इसे मोरिंगा और ड्रमस्टिक भी कहते हैं। ड्रमस्टिक की सबसे ज्यादा पैदावार भारत में होती है। आयुर्वेद में फली वाली इस सब्जी को अमृत के समान गुणकारी बताया गया है। डॉ.अमित सेन बता रहे हैं सहजन के गुण।

यौन क्षमता बढ़ाता है सहजन का फूल
सहजन के फूल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीहेलिमिंटिक यानी कि कीट नाशक, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षित रखने वाला) और एंटीबायोटिक जैसे गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा, इसमें सूजन की समस्या को कम करने, कोलेस्ट्रॉल कम करने, यौन क्षमता को बेहतर करने और मांसपेशियों की समस्या से बचाव करने वाले गुण भी हैं।

पोषक तत्वों से भरपूर
एक अध्ययन के अनुसार इसकी पत्तियों में संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन, दूध से 3 गुना अधिक कैल्शियम, अंडे से 36 गुना अधिक मैग्नीशियम है। वहीं,पालक से 24 गुना अधिक आयरन, केले से 3 गुना अधिक पोटेशियम मिलता है। इसका प्रयोग सब्जी और अचार बनाने में होता है।

बढ़ती उम्र के असर को करे कम
डाइट में सहजन को या इसकी पत्तियों को शामिल कर सकते हैं। इसका सेवन आपके चेहरे पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं इसके बीज भी कम उम्र में त्वचा पर एजिंग के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।

पेट दर्द और अल्सर में फायदेमंद
सहजन या सहजन की पत्तियों का सेवन कई पेट संबंधी समस्याओं जैसे – पेट दर्द और अल्सर से बचाव कर सकते हैं। इसमें एंटी-अल्सर गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण इसके सेवन से अल्सर के जोखिम से बचाव हो सकता है। वहीं, ऊपर हमने पहले ही आपको जानकारी दी है कि यह लिवर की समस्याओं से भी राहत दिला सकता है । इतना ही नहीं इसकी छाल भी पेट के लिए उपयोगी है, यह पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद कर सकती है।

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तनाव कम करे सहजन का फूल
सहजन के फूल का उपयोग लाभकारी हो सकता है। दरअसल, सहजन के फूल में एंटीऑक्सिडेंट गुण मौजूद होते हैं। यह ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के जोखिम को कम कर त्वचा को स्वस्थ रख सकता है। हालांकि, इस विषय में सीधे तौर पर अभी शोध की आवश्यकता है।

साइटिका, गठि‍या, लिवर में फायदेमंद सहजन की छाल
सहजन की छाल का सेवन साइटिका, गठि‍या, लिवर में लाभकारी होता है। सहजन की छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्‍म हो जाते हैं। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में लाभ पहुंचता है। सहजन की जड़ से बना काढ़ा साइटिका के तेज दर्द में राहत पहुंचाता है। मोच आने पर सहजन की पत्ती को पीसकर इसमें सरसों का तेल डालकर आंच पर पकाएं और जहां मोच लगी है वहां लगाएं, इस नुस्खे से आपको जल्दी राहत मिलेगी।

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