मूली ही नहीं इसके पत्ते भी फायदेमंद हैं। मूली के पत्तों में आयरन और फास्फोरस जैसे मिनरल्स होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकते हैं। मूली पेट के लिए अच्छी है यह शरीर के विषैले तत्वों को निकालने में मदद करती है। डॉक्टर अमित सेन बता रहे हैं मूली के फायदे।
चरक संहिता में कच्ची मूली को माना गया है त्रिदोष नाशक
आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' के 'हरितवर्ग' अध्याय में मूली (संस्कृत नाम मूलकं) के गुण-दोष बताए गए हैं। ग्रंथ के अनुसार, कच्ची मूली त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) नाशक है, जबकि पकी हुई मूली त्रिदोषकारक मानी गई है। मूली के पत्तों को काटकर अगर घी या तेल में पकाकर सब्जी बनाएं तो यह वायु दोष को खत्म करती है। यूएसडीए (United States Department of Agriculture) ने तो मूली को बेहतरीन लो-केलोरी स्नैक घोषित किया है।
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मूली में मौजूद पोषक तत्व
भारतीय वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार, 100 ग्राम मूली में नमी 94 ग्राम, कैलोरी मात्र 17, प्रोटीन 0.7 ग्राम, फैट 0.1 ग्राम, मिनल्स 0.6, फाइबर 0.8, कार्बोहाइड्रेट 3.4 ग्राम होता है। इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, ऑक्सेलिक व नाइकोटिन एसिड, आयरन, सोडियम, विटामिन A और विटामिन C भी पाया जाता है।
शरीर में जमा गंदगी को निकालती है मूली, कब्ज, बवासीर और शुगर में फायदेमंद
मूली एक जड़ वाली सब्जी है। लेकिन यह कई गुणों की खदान है। पीलिया रोग में मूली का सेवन फायदेमंद है। यह खून और शरीर को अन्दर से साफ करती है। अगर आपको कब्ज और बवासीर की समस्या रहती है तो मूली को रोज सलाद में लें। लिवर के लिए भी मूली फायदेमंद है। इसे शुगर रोगियों के लिए लाभकारी माना जाता है, क्योंकि मूली में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका अर्थ है कि इसे खाने से ब्लड शुगर के स्तर पर कोई असर नहीं पड़ता। ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसे श्वसन विकारों में भी मूली लाभकारी मानी जाती है।
गुर्दे की पथरी, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में फायदेमंद
आयुर्वेद में मूली को गुर्दे की पथरी दूर करने वाला माना गया है। अगर सूंघने की शक्ति कम हो रही है तो मूली उसमें सुधार करती है। इसका सेवन यूरिन की जलन को भी कम करता है। ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारियों में भी मूली लाभकारी है।
ल्यूकोडर्मा, ऑस्टियोअर्थराइटिस, हाई ब्लड प्रेशर है तो मूली खाएं
ल्यूकोडर्मा एक स्किन प्रॉब्लम है जिसमें त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाते हैं और त्वचा अपनी प्राकृतिक रंगत खो देती है। इसे विटिलिगो भी कहते हैं। अगर आपको यह समस्या है तो मूली के बीज के पाउडर को विनेगर के साथ लगाएं, इस घरेलू नुस्खे से सफेद दाग धीरे-धीरे कम होते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि यह नुस्खा हर किसी के लिए काम करे। अलग-अलग लोगों पर इसका असर अलग-अलग हो सकता है।
गठिया का ही एक प्रकार है ऑस्टियोअर्थराइटिस, इसमें कूल्हे, घुटने, गर्दन और पीठ के निचले हिस्से या हाथों के जोड़ों में दर्द होता है। इससे निजात पाने के लिए मूली का सेवन करें। मूली में विटामिन-K होता है, जो कार्टिलेज (मुलायम टिशू जो टखनों, कोहनी व घुटनों समेत शरीर के कई हिस्सों में पाया जाता है) और मेटाबॉलिज्म के लिए लाभदायक हो सकता है। यह कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है । मूली कैल्शियम और पोटैशियम जैसे खनिजों से भरपूर होती है और ये पोषक तत्व ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं।
मूली के पत्तों में भी हैं कई गुण
मूली के पत्तों में मौजूद फाइबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन को बेहतर करने में भी मदद कर सकता है। बता दें कि पाचन क्रिया भी इसी का एक हिस्सा है। मूली के पत्ते फाइबर से भरपूर होते हैं, इसलिए इसकी सब्जी खाने से पाचन बेहतर रहता है। मूली के पत्तों में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होता है इसलिए ये लिवर के लिए भी गुणकारी हैं। पीलिया के लिए एक दिन में मूली के पत्ते का आधा लीटर जूस पीने की सलाह दी जाती है।
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