कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के इस्तेमाल को लेकर महिलाएं ज्यादातर समय उलझन में रहती हैं। फैमिली प्लानिंग और अपनी सेहत को सोचकर उन्हें यह तय करना हमेशा मुश्किल होता है कि क्या उन्हें ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेनी चाहिए? हालांकि, डॉक्टर्स इन पिल्स को सेहत की नजर से पूरी तरह सुरक्षित और बर्थ कंट्रोल का बेहतर ऑप्शन मानते हैं। इन सबके बीच कई महिलाएं इस बात को लेकर भी आशंकित रहती हैं कि पेरिमेनोपॉज के दौरान कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेने की जरूरत है या नहीं। इस गंभीर सवाल का जवाब दे रही हैं नवी मुंबई स्थित रिलायंस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अनौष्का बागुल।
तय नहीं है पेरि-मेनोपॉज की उम्र
डॉ. बागुल कहती हैं, ‘हर महिला की फर्टिलिटी पर निर्भर करता है कि वो किस उम्र तक मां बन सकती हैं। एक तय टाइम पीरियड की बात करें, तो महिलाएं 40 से 60 साल की उम्र में कभी भी मेनोपॉज की स्थिति में आ जाती हैं।’ कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स कब बंद कर दी जाए, इसे लेकर कुछ तय नहीं है लेकिन अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए इसका इस्तेमाल जरूरी है। जब तक आपके पीरियड्स पूरी तरह खत्म नहीं हो जाते हैं, तब तक कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेते रहने में कोई बुराई नहीं है। फिर, चाहे आप उम्र के किसी भी पड़ाव में हो। डॉ. बागुल के मुताबिक अगर मेनोपॉज स्टेज में कोई महिला इर्रेगुलर पीरियड की समस्या से गुजर रही हैं, तो कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेना है या नहीं? इस सवाल का जवाब लेने के लिए डॉक्टर से मिलें, ताकि इर्रेगुलर पीरियड्स के कारणों का पता चल सके। अगर किसी महिला को छह से बारह महीने तक पीरियड्स नहीं आते हैं, तब ये माना जा सकता है कि उनके पीरियड्स बंद हो चुके हैं।
कौन से टेस्ट हैं जरूरी?
डॉ. बागुल के मुताबिक, मेनोपॉज स्टेज की उम्र में पीरियड्स इर्रेगुलर होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार ये पेरिमेनोपॉज कारणों की वजह से होता है, तो कई बार हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से भी पीरियड्स में गड़बड़ी हो सकती है। ऐसी स्थिति में एक्सपर्ट्स अब्डोमिनल इंट्रा वैजाइनल चेकअप करते हैं। इस टेस्ट से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि पीरियड्स में गड़बड़ी की वजह सर्वाइकल, यूट्रस या ओवरी से जुड़ी तो नहीं है। अगर ये सारी चीजें ठीक रही, तो डॉक्टर सोनोग्राफी, अल्ट्रा सोनोग्राफी, प्रोलेक्टिन, हार्मोनल टेस्ट, थायरॉइड टेस्ट कराने को बोलते हैं।
क्या पेरिमेनोपॉज में कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेना सही है?
डॉ. बागुल कहती हैं कि अगर परिवार पूरा हो चुका है और आप अब बच्चे नहीं चाहती हैं, तो पिल्स लेना सबसे बेहतर विकल्प है। इस दौरान 50 माइक्रो ग्राम से भी कम एस्ट्रोजन वाले लो डोज पिल्स ले सकती हैं। डॉ. आगे कहती हैं कि पेरिमेनोपॉज स्टेज में कई महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग की शिकायत देखी जाती है। ऐसे में, हार्मोनल बैलेंस बेहतर करने के लिए डॉक्टर्स लो डोज ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेने की सलाह देते हैं, जिससे इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या दूर होती है। इस स्टेज में गर्भनिरोधक दवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन ऐसा कोई भी कदम एक्सपर्ट की सलाह लिए बिना नहीं उठाना चाहिए। इससे समस्या और बढ़ सकती है।
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