पैर-हाथ में सूजन है। आंखों के नीचे त्वचा फुली हुई है। बॉडी के किसी पार्ट में स्किन को दबाते हैं तो वहां डिंपल निकल जाता है। स्किन चमकती है तो अलर्ट हो जाइए। ये लक्षण गंभीर बीमारियों के संकेत हो सकते हैं। वैसे कुछ सामान्य परिस्थितियों में भी सूजन हो सकता है। बावजूद इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
दरअसल, बॉडी के टीश्यूज में फ्लूड जमा होने को एडिमा कहते हैं। गर्मियों के दिन हैं। कई लोगों को पैर के निचले हिस्से में सूजन होना आम बात है। इसका कारण यह है कि टेंपरेचर अधिक होने से खून की नलिकाएं फैलती हैं। ऐसे में फ्लूड लीक होकर टीश्यूज में चले जाते हैं और सूजन हो जाता है।
हालांकि सूजन कैसा है, किस अंग में है और लक्षण क्या है इससे पता चलता है कि बीमारी गंभीर है या सीजनल। जैसे स्किन में सूजन, चेहरा, आंख, टखना सूज जाना, पैरों या दूसरे अंगों में दर्द होना, पानी खूब पीने पर भी पेशाब कम आना, वजन घटना या बढ़ जाना आदि ऐसे लक्षणों से पता चलता है कि एडिमा किस स्थिति में है। गंभीर स्थिति में यह किडनी के ठीक ढंग से काम नहीं करने, लिवर सिरोसिस, कीमोथेरेपी या डायबिटीज की दवाएं खाने, ब्लड क्लॉट करने, ब्रेन ट्यूमर आदि में भी हो सकता है।
प्रेगनेंसी में पैरों में आ जाता है सूजन
प्रेगनेंसी में कई ऐसे हार्मोन निकलते हैं जो फ्लूड को शरीर में बनाए रखना चाहते हैं। ऐसे में शरीर के टीश्यूज में सोडियम और पानी की मात्रा बढ़ जाती है। नतीजा चेहरा, हाथ, पैर, पिंडलियों में सूजन आ जाता है। पिंडलियों में बेतहाशा दर्द होने लगता है। गर्भवती महिलाएं जब आगे की ओर झुक कर आराम करती हैं तब कई नसों पर दबाव पड़ता है। इससे भी एडिमा होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान खून का थक्का जमना सामान्य बात है। इससे डीप वेन थ्राम्बोसायोसिस होने का रिस्क होता है। यह ब्लड क्लॉट डिसऑर्डर होता है जो शुरू तो पैरों से होता है जहां यह लाल चकते बना देता है। लेकिन यह ब्लड क्लॉटिंग आगे हार्ट या लंग्स में भी हो सकता है जो जानलेवा हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी पैरों में सूजन होता है।
पीरियड्स से पहले भी हो सकता है एडिमा
पीरियड्स के दौरान हार्मोन लेवल घटता-बढ़ता रहता है। जब प्रोजेस्टोरोन की मात्रा कम रहती है तब फ्लूड अधिक हो जाता है। इससे भी सूजन हो सकता है। ऐसी ही स्थिति मेनोपॉज के दौरान भी होती है। ऐसा देखा गया है जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाइयां खाती हैं उनका वजन तेजी से बढ़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन दवाइयों में एस्ट्रोजन होता है जिससे शरीर में फ्लूड अधिक जमा होता है।
किडनी की बीमारी होने पर भी सूजन
किडनी से होकर प्रतिदिन 1500 लीटर ब्लड जाता है। यह हर दिन 2 लीटर यूरिन को फिल्टर करता है। और फाइनल यूरिन को बाहर करता है। जिनकी किडनी डैमेज होती है उनके शरीर में ब्लड से जितनी मात्रा में फ्लूड और सोडियम बाहर होना चाहिए, नहीं हो पाता। इससे खून की नलियों पर दबाव पड़ता है। इसी कारण से फ्लूड टीश्यूज में चला जाता है। और व्यक्ति की आंखों और पैरों में सूजन हो जाता है।
थॉयराइड में भी रहें अलर्ट
रांची स्थित आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सुदामा प्रसाद बताते हैं कि जिन्हें थॉयराइड है उनमें हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में आंखों और पैरों में सूजन होने लगता है। नियमित रूप से थॉयराइड की दवाएं खाने से यह ठीक रहता है।
इन उपायों से रहेंगे फिट
डॉ. सुदामा प्रसाद का कहना है कि घर में ही कई ऐसे उपाय हैं जिनसे सूजन को रोका या कम किया जा सकता है। जैसे खाने में नमक की मात्रा कम लें। पोटेटो चिप्स, सोया सॉस, नूडल्स आदि खाने से परहेज करें। हमें पानी खूब पीना चाहिए। दरअसल, पानी कम पीने से सूजन और बढ़ जाता है। पेशाब बिल्कुल साफ और बदबू न हो। काम के दौरान हर घंटे 10 मिनट का ब्रेक लें ताकि पैरों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर रहे। आजकल पैरों में सूजन को कम करने के लिए कंप्रेशन सॉक्स या कंप्रेशन बूट्स भी पहने जाते हैं।
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