आयुर्वेदिक लाइफस्टाइल:होली में चनबूट-ज्वार नहीं खाया तो अब भी समय हैं, सर्दी-खांसी और कफ को करेगा दूर

नई दिल्लीएक वर्ष पहलेलेखक: निशा सिन्हा
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  • उत्तरायण की वजह से सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है। तिरछी किरणें धरती पर सीधी पड़ने लगती है, इससे तेज गरमी महसूस होती है। इसका असर वातावरण के साथ शरीर पर भी नजर आने लगता है। ठंड के मौसम में पचने में भारी चीजों के खाने की वजह से शरीर में कफ बढ़ जाता है।

गरमी आते ही सर्दी में बना कफ पिघलना शुरू कर देता है। इसके बावजूद यह पूरी तरह से खत्म नहीं होता है। अधपका कफ गले में फंस जाता है और तकलीफ देता है। इस मौसम में दोपहर को गरमी और रात को ठंड लगती है। इससे ज्यादातर लोगों को सर्दी, खांसी और कफ की दिक्कत होती है।

कई बार दवाइयां लेने के बावजूद भी कफ नहीं निकलता है। खांसी होने लगती है, चिपचिपा और गाढ़ा बलगम निकलने लगता है। खांसने से गला छिल जाता है। गला छिलने की वजह से वहां पर इंफेक्शन हो जाता है, जो फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इससे फेफड़े और सांस से जुड़े अंगों पर बुरा असर पड़ता है।

छोटी उम्र में कफ की तकलीफ अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में कफ अधिक बनता है। बच्चों को ताकत के लिए दूध दिया जाता है लेकिन दूध से कफ बढ़ता है। साथ ही इसमें मिल्क पाउडर मिलाने से कफ और भी बढ़ जाता है।

मक्के को ज्वार की तुलना में भारी माना गया है। इससे मक्के के पॉपकॉर्न के बजाय छोटी ज्वार पॉप अधिक असरदार माना गया है। भले ही होली खत्म हो गई हो और आप किसी वजह से ज्वार या चनबूट नहीं खा पाए हैं, तो अब भी वक्त है। इस बदलते मौसम में दिन में गरमी बढ़ जाती है और रातें ठंडी हो जाती है। ऐसे में इसे खाना सेहत के लिए असरदार होगा। इस मौसम में होने वाली बीमारियों को दूर रखने का काम करेगा।

तिल के तेल में हींग डालकर ज्वार या चने को भून लें। इसमें नमक और हल्दी जरूर मिलाएं। हींग और तिल के तेल की वजह से गैस ( कच्चे चने और ज्वार से होने वाला गैस) नहीं बनेगा, पाचन खराब नहीं होगा और पेट फूलने की दिक्कत नहीं होगी। इसमें नमक और हल्दी गले में मौजूद कफ को दूर करेगा। इसे खाने से गले, पेट और फेफड़े में मौजूद कफ को खुरच-खुरच कर खुद ही निकलने लगते हैं

होलिका दहन के दिन लोग सुबह से भुना चना और ज्वार खाकर उपवास रखते हैं। यह अंदर के जमे कफ को निकालने का काम करता है। शाम को होलिका दहन के समय आग के पास खड़े होने से यह कफ पक जाता है और इससे छुटकारा हो जाता है।

आयुर्वेद में कहा गया है कि चिकने और भारी कफ से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो विपरीत गुणों वाली चीजों को खाएं। विपरीत गुणों से मतलब, हल्के आहार से है। यह आसानी से पचता है। ज्वार की धानी और चना पचने में हल्का और कफ खत्म करने वाला माना गया है। इसे खाने से खांसी की चिपचपाहट कम होती है और शरीर से निकल जाता है।

हर होली के बाद अपनाएं ये टिप्स

  • आंखों के अंदर कलर चला गया है, तो 2-3 बूंद गुलाब जल दिन में 4 बार डालें। आंखों को तेज राेशनी से बचाने के लिए सनग्लास पहनें। सप्ताहभर तक ऐसा करें।
  • मसूर की दाल का पाउडर, बादाम, सरसों या तिल के तेल, गुलाब जल मिलाकर उबटन तैयार करें। इसे स्किन पर लगाकर सूखने तक रखें। बाद में गुनगुने पानी से धो लें। रंग उतर जाएगा और त्वचा की नमी बरकरार रहेगी।
  • मुल्तानी मिट्‌टी, गुलाब जल के पेस्ट को चेहरे पर लगाएं,। सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। त्वचा का नेचुरल ग्लो बना रहेगा।
  • कलर निकलने के बाद नहा लें। इसके बाद शरीर पर नारियल या बादाम तेल से शरीर की मालिश कर लें। तेल को त्वचा में समाने दें। सनलाइट में मत निकलें।
  • होली के बाद 2-3 दिन तक ब्यूटी पार्लर नहीं जाएं।
  • दांतों पर होली के पक्के रंग लग जाएं, तो इसे निकालने के लिए तिल का तेल मुंह में लेकर 10 से 15 मिनट तक रखें। दिन में 2 बार ऐसा करें।
  • होली खेलने के बाद नाखून, बाल और त्वचा पर तिल का तेल लगाएं। कुछ दिन तक ऐसा करें।