हरा चना विटामिन A और C से भरपूर:एंटी ऑक्सीडेंट्स रहने से इम्युनिटी होती है बूस्ट, डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे तो इसका करें सेवन

नई दिल्ली2 महीने पहले
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सर्दियों में पालक, मेथी, बथुआ, सरसों, सोया के साथ एक और साग बाजार में खूब मिलती है। यह है चने की साग। यही नहीं, हरा चना भी मिलता है जो फोलेट, विटामिन A, C, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन और दूसरे न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि जब चने की साग मिल रही है तो फिर हरा चना कैसे मिल रहा। इसका कारण यह है कि कई बार खेतों में कुछ किसान रबी की फसल पहले लगा देते हैं तो कुछ बाद में। चने के पौधे जब बहुत छोटे होते हैं तो उसके ऊपरी भाग की मुलायम छोटी पत्तियां साग के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं। जब ये पौधे बड़े होते हैं तो इनमें दाने लगते हैं। इसे हरे चना को कहीं छोड़, छोला तो कहीं छोलिया और बूंट भी कहते हैं।

विटामिन A और C होते हैं भरपूर

डाइटीशियन डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि चरा चना और चने की साग में विटामिन A और C अधिक होते हैं। विटामिन-सी इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में रेड ब्लड सेल्स को असरदार बनाने का काम करता है। इससे हमारे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इनमें विटामिन A की भी मात्रा पाई जाती है। एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण होने के कारण स्किन भी चमकदार बनती है। विटामिन ए आंखों की बीमारियों के खतरे कम करता है। इसकी कमी से रतौंधी, आंख के सफेद हिस्से में धब्बे और आंख की दूसरी बीमारियों को खत्म करता है।

वजन कम करने में होता है सहायक

हरा चना में फाइबर भी प्रचुर होता है। इसे कच्चा या भून कर खाने पर देर तक भूख नहीं लगती। इसे पचने में अधिक समय लगता है। इसलिए नियमित रूप से डाइट में हरा चना को शामिल किया जाए तो वजन कम किया जा सकता है।

फील गुड हार्मोन बढ़ाता है हरा चना

ठंड के दिनों में सिरेटोनिन यानी फील गुड हार्मोन का स्तर घटने लगता है। इसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है। जब इसका लेवल नीचे आता है तो हमें आलस और निराशा महसूस होने लगती है। कई लोगों को तो सर्दियों में एंजाइटी, बेचैनी, हृदय के तेजी से धड़कने, सीने में दर्द होने जैसी शिकायतें होती हैं। हरा चना में फोलेट यानी विटामिन B9 होता है। डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि सर्दियों में सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर के कारण लोगों को डिप्रेशन जैसा अनुभव होता है। मूड स्विंग भी होता है। ऐसे में हरा चना खाने से डिप्रेशन से बाहर आने में मदद मिलती है। हरा चना को प्रेग्नेंट महिलाएं भी खा सकती हैं। हालांकि इसकी मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए।

ब्लड प्रेशर को रखता है कंट्रोल में

हरा चना में मैग्नीशियम और पोटैशियम की अधिक मात्रा पाई जाती है। इसलिए यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है। हमारा हार्ट हेल्दी बनता है। इसमें बीटा सीटोस्टेरोल केमिकल होता है जिसे प्लांट स्टेरोल भी कहते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में मदद मिलती है। इसके सेवन से प्रोस्टेट और दूसरे टीश्यूज में सूजन में कमी आती है।

मसल्स को मिलती है मजबूती

मेंटल और फिजकल हेल्थ के लिए प्लांट बेस्ड प्रोटीन जरूरी है। जब रेगुलर डाइट में हरा चना को शामिल करते हैं तो शरीर को भरपूर प्रोटीन मिलती है। मांसपेशियों को ताकत मिलती है। जिन महिलाओं को बाल झड़ने की समस्या होती है उन्हें हरा चना या चने की साग खाना चाहिए। इससे नाखून में भी चमक आती है।

फैटी एसिड्स का पावरहाउस है हरा चना

ताजे हरे चने को फैटी एसिड्स का पावरहाउस कहा जाता है। फैटी एसिड्स को ब्यूटरेट कहा जाता है। यह क्लोनोसाइट्स के लिए फ्यूल का काम करता है। यह हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बहुत उपयोगी होता है। कई तरह की क्रॉनिक बीमारियों जैसै डायबिटीज और कैंसर रोकने में भी यह मददगार बनता है।

100 ग्राम हरा चना में ये है न्यूट्रिशन

  • विटामिन A 20%
  • विटामिन C 70%
  • कैल्शियम 4%
  • आयरन 4%
  • फैट 3%
  • कोलेस्ट्रॉल 0 %
  • फाइबर 32 %
  • प्रोटीन 10 %
  • कैलोरी 180

हरा चना खाने के ये हैं फायदे

आंखों की रोशनी होती है तेज

विटामिन E से भरपूर

बालों, त्वचा की झुर्रियां होती हैं कम

डाइजेस्टिव सिस्टम को बनाता है बेहतर

वजन कम करने में मददगार

फाइबर से भरपूर

ब्लड शुगर रखे कंट्रोल

विटामिन C से भरपूर

एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक

इम्युनिटी को बूस्ट करे

हरा चना कैसे पकाएं

हरा चना को कच्चा या पकाकर खाया जाता है। जब चने के पौधे में दाने लगे होते हैं तब इसे भूनकर भी खाया जाता है। ग्रामीण इलाकों में इसे होरा या होरहा कहते हैं। हरा चना को सरसों के तेल में आसानी से पकाया जा सकता है। इसे दूसरी सब्जियों में ग्रेवी में भी मिलाया जाता है। बेसन में मिलाकर इसकी पकौड़ी बनाई जाती है। हरा चना की दाल भी बनायी जाती है। इसे उबालकर पहले मिक्सी में पीसा जाता है। फिर इससे दाल तैयार होती है।

चने की साग भी रेसिपी तैयार होती है। इसके लिए मुलायम पत्तियां लेनी होती हैं। इन्हें बंच में करके बारीक काटते हैं फिर इन्हें उबालते हैं। कड़ाही में सरसों तेल डालकर उबाले हुए चने की साग डालते हैं। इसमें लहसुन की कलियां डालते हैं। थोड़ी देर भुनने के बाद इसे उतार लिया जाता है। हरे चने की हलवा भी बनाई जाती है। होली के समय उत्तर भारत में कई जगहों पर हरे चने की बरफी बनाई जाती है। घी, खोया और ड्राई फ्रूट्स के साथ इसे बनाने पर लजीज डिश तैयार होता है।

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