फूड को एनर्जी में बदलने के प्रोसेस को ‘मेटाबॉलिज्म’ कहते हैं। ब्लड सर्कुलेशन, हार्मोनल बैलेंस, डाइजेशन और शरीर में सेल्स का जल्द से जल्द रिपेयर होना इसी पर आधारित होता है, इसलिए हेल्दी रहने के लिए मेटाबॉलिज्म का ठीक होना बेहद जरूरी है। ये कहना है डायटीशियन डॉ. हिमांशु राय का.
क्यों स्लो होता है मेटाबॉलिज्म ?
मेटाबॉलिज्म का स्लो या फास्ट होना शरीर की कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे शरीर की लंबाई, चौड़ाई, उम्र, फिजिकल एक्टिविटी और जेंडर। महिलाओं में मेटाबॉलिज्म स्लो होने के मामले पुरुषों की तुलना में ज्यादा पाए जाते हैं। डॉ. राय बताते हैं कि कम हाइट वाले लोगों का स्लो, जबकि अधिक हाइट वाले लोगों का मेटाबॉलिज्म फास्ट होता है।
महिलाओं की हेल्थ पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि मोटापा, हाइपोथायरॉइडिज्म, डायबिटीज या कब्ज झेल रही महिलाएं स्लो मेटाबॉलिज्म का शिकार होती हैं। खाना पचने में दिक्कत, शरीर में हमेशा थकान महसूस करना ये सब लक्ष्ण तभी नजर आते हैं, जब आपका शरीर खाने को एनर्जी में बदल पाने में ढीला पड़ जाता है।
पहचाने स्लो मेटाबॉलिज्म के लक्ष्ण
स्लो मेटाबॉलिज्म के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने, स्किन ड्राइनेस, हेयर फॉल, लगातार सिर दर्द, कमजोर याददाश्त, सेक्स की इच्छा में कमी, पीरियड्स में परेशानी, कब्ज, हाइपोथायरॉइडिज्म और हमेश मीठा खाने की तलब जैसी परेशानी देखी जाती है। इसका कारण बताते हुए एक्सपर्ट बताते हैं कि सुस्त मेटाबॉलिज्म होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-
ऐसे तय करें स्लो से फास्ट मेटाबॉलिज्म तक का सफर
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