सर्दी, गर्मी या बरसात, किसी भी सीजन में पके हुए भोजन को बार-बार गर्म कर खाना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। सर्दियों में खासकर लोग अधिक क्वांटिटी में खाना तैयार कर लेते हैं। फिर इसे रूम टेंपेरेचर पर ही कई घंटे रखते हैं और जरूरत के हिसाब से बार-बार गर्म करके खाते हैं।
डाइटिशियन डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि ऐसा करने से न केवल न्यूट्रिशन कम होता है बल्कि कुछ फूड टॉक्सिक भी हो जाते हैं।
पके चावल में भी रह सकते हैं बैक्टीरिया
कच्चे चावल में बैक्टीरिया के सेल्स होते हैं। चावल पकने के बाद इसे रूम टेंपरेचर पर रखा जाए तो 24 घंटे बाद इसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। ये बैक्टीरिया टॉक्सिक पदार्थ बनाते हैं।
जब दोबारा चावल को गर्म करते हैं तो बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं लेकिन टॉक्सिसिटी खत्म नहीं होती। दोबारा गर्म किया हुआ चावल या दाल खाने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इससे डायरिया भी हो सकता है।
विटामिन-सी युक्त खाने को बार-बार न करें गर्म
अगर आप विटामिन-C रिच फूड पकाते हैं और फिर इसे बार-बार गर्म करते हैं तो इससे न्यूट्रिशन कम हो जाता है। विटामिन-C को हीट सेंसेटिव माना जाता है। कुछ बैक्टीरिया जैसे स्टैफियोकोकस औरियस 30 से 35 डिग्री सेल्सियस में पनपते हैं। जब खाने को दोबारा गर्म करते हैं तो तापमान बढ़कर 46 डिग्री हो जाता है। ऐसे में खाना जहरीला हो जाता है। ऐसे खाने में न्यूट्रिशन भी नहीं रह जाता।
साग को दोबारा गर्म कर न खाएं
हर तरह की साग या हरी पत्तेदार सब्जियों में नाइट्रेट्स मौजूद होते हैं। यह नाइट्रेट टूटकर नाइट्राइट में बदल जाता है। जब साग को दोबारा गर्म करते हैं तो नाइट्राइट टॉक्सिक कंपाउंड बनाता है। इससे फूड पॉइजनिंग का खतरा होता है।
कुकिंग ऑयल को दोबारा गर्म न करें
इस्तेमाल के बाद कई बार लोग कुकिंग ऑयल को पैन या कड़ाही में छोड़ देते हैं। यह तेल कई तरह के बैक्टीरिया से रिएक्ट करता है। यह फैटी एसिड्स में टूटता है इस कारण से कई बार इसका टेस्ट खराब हो जाता है। जब इस्तेमाल किए हुए तेल को बार-बार गर्म करते हैं तो यह ट्रांस फैट में बदल जाता है जो सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।
अंडे को बार-बार न करें फ्राई
सर्दियों में लोग अंडे या उससे बनी कई डिशेज खाते हैं। कई लोग रात में तैयार डिश को सुबह में गर्म करके खाते हैं। डॉ. विजयश्री के अनुसार, अंडे को बार-बार फ्राई या बॉयल नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से इसके प्रोटीन कंटेंट में कमी आ जाती है। प्रोटीन भी नष्ट हो जाता है।
पीतल के बर्तनों में न खाना पकाएं, न गर्म करें
अगर पीतल के बर्तनों में खाना पकाते हैं तो अलर्ट रहें। खासकर नॉन फेज खाना बनाने में पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
दरअसल, पीतल के बर्तनों में सॉल्ट और एसिडिक फूड्स रिएक्ट करते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। इसी तरह एल्युमिनियम के बर्तन में न्यूरोटॉक्सिक मेटल होते हैं जो हमारे नर्वस सिस्टम को कमजोर करते हैं।
बार-बार दूध उबालने से कम होते हैं प्रोटीन
कई बार लोग दूध को उबाल कर रख देते हैं। जब जरूरत होती है तब दोबारा इसे गर्म करते हैं। ऐसा करने से उसमें मौजूद प्रोटीन कम हो जाता है। कई लोग बार-बार हाई टेंपरेचर पर दूध गर्म करते हैं जिससे न्यूट्रिएंट्स नष्ट हो जाते हैं। अधिक तापमान पर दूध में मौजूद B ग्रुप वाले विटामिंस खत्म हो जाते हैं।
डॉ. विजयश्री बताती हैं कि दो बार से ज्यादा दूध को नहीं गर्म करना करना चाहिए। ध्यान रखें कि बार-बार दूध उबालने में कई तरह के एसिड्स भी निकलते हैं जो सेहत के लिए ठीक नहीं होते।
ग्रेनाइट कोटेड बर्तनों में बनाएं खाना
नॉन स्टिक बर्तनों में PTEE (पॉलिट्रेटाफ्लोरो इथिलीन) या PFOA(परफ्लोरोओक्टानिक एसिड) पाए जाते हैं। PTEE एक प्लास्टिक पॉलिमर होता है जो 300 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पकने पर टॉक्सिन रिलीज करता है।
PFOA केमिकल नॉन स्टिक बर्तनों में बनाने से रिलीज होता है। इससे कई तरह के कैंसर हो सकते हैं। डॉ. विजयश्री बताती हैं कि टेफलॉन कोटेड नॉन स्टिक बर्तनों की जगह ग्रेनाइट कोटेड बर्तनों में खाना पकाना या खाना गर्म करना चाहिए।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई सूचनाओं को एक्सपर्ट की सलाह से लिखा गया है। उपयोग से पहले एक्सपर्ट से सलाह लें।
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