स्मोकिंग करना भले ही आपकी नजर में कूल है और आप घर के कॉमन एरिया और नॉन-स्मोकर्स ऑफिस कलीग्स के साथ स्मोक करते हैं तो अनजाने में ही आप अपने परिवार वालों और ऑफिस के लोगों की बीमार बना रहे हैं। पैसिव स्मोकिं या जिसे सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी कहते हैं सेहत के लिए उतनी ही नुकसानदेह है जितनी कि फर्स्ट हैंड स्मोकिंग। डॉक्टर रवि भाटिया बता रहे हैं पैसिव स्मोकिंग के नुकसान और इससे कैसे बच सकते हैं आप।
पैसिव स्मोकिंग है बेहद खतरनाक
रिसर्च के अनुसार, पैसिव स्मोकिंग की वजह से हर 6 लाख लोगों की मौत होती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, अगर यही ट्रेंड रहा तो 2030 तक तंबाकू के कारण 80 लाख लोग मर सकते हैं। तंबाकू में 4 हजार खतरनाक केमिकल्स होते हैं। ये केमिकल्स पार्टिकल और गैस से बनते हैं। इनमें 50 केमिकल ऐसे होते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं। इस कंपाउंड में अमोनिया और सल्फर भी होता है, जो आंख, नाक, गले और फेफड़े के लिए खतरनाक है। जिन लोगों को सांस की परेशानी है, उनके लिए यह कंपाउंड बहुत ही ज्यादा खतरनाक साबित होता है। गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए पैसिव स्मोकिंग को बहुत ज्यादा नुकसानदेह बताया गया है। जो गर्भवती महिलाएं पैसिव स्मोकिंग का शिकार बनती हैं, उनके बच्चे किसी न किसी डिफेक्ट के साथ पैदा होते हैं। इतना ही नहीं, कई बार बच्चे मृत भी पैदा होते हैं।
स्मोकिंग से निकले 69 केमिकल्स पैदा करते हैं कैंसर
स्मोकिंग के दौरान सिगरेट से निकलने वाले धुएं का काफी भाग स्मोक करने वाले के भीतर जाता है। लेकिन इसके बावजूद, 66 प्रतिशत धुआं हवा में घुल कर उसे धूम्रपान जितना ही जहरीला बना देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तम्बाकू के धुएं में 7,000 से ज्यादा केमिकल्स होते हैं। इनमें से 69 केमिकल्स ऐसे होते हैं जोकि कैंसर पैदा कर सकते हैं। 250 से ज्यादा केमिकल सेहत को दूसरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं।
फर्स्ट हैंड स्मोकिंग जितनी ही खतरनाक सेकेंड हैंड स्मोकिंग
स्मोकिंग करने वाला इंसान की सांस नली में धुएं के साथ जितना टार और निकोटिन जमा होता है उससे कहीं ज्यादा टार, निकोटिन धुएं के साथ निकल कर हवा में पहुंचता है। हवा में मौजूद धुएं में पांच गुना ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया और कैडमियम होते हैं। इसमें जहरीली गैस हाइड्रोजन सायनाइड होती है जिसमें नुकसानदायक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड होता है और यह फेफड़ों तथा हृदय रोगों का मुख्य कारण होता है। इसलिए पास खड़े व्यक्ति के लिए सेकेंड हैंड स्मोकिंग हानिकारक है।
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए खतरनाक, अबॉर्शन का खतरा
सिगरेट का धुआं प्रेग्नेंट महिला और उसके अजन्मे बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होता है। इससे अबॉर्शन का भी खतरा रहता है। शिशु में कई बीमारियां और विकृतियां भी हो सकती हैं। अगर पैदा होने वाले बच्चे का पिता स्मोक करता है तो हो सकता है कि होने वाले बच्चे के क्रोमोजोम की विकृति हो सकती है। मां स्मोक नहीं करती लेकिन पिता स्मोक करता है तो भी बच्चे को सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
20 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है बीमारी का खतरा
अगर आप स्मोक नहीं करते हैं लेकिन आपके फ्रेंड सर्कल में कोई सिगरेट पीता है या फैमिली मेंबर स्मोक करता है तो आपको हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और अन्य बीमारियों का खतरा 20 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक है जितना सिगरेट पीना।
पैसिव स्मोकिंग से ऐसे बचें, सावधानी से सुरक्षा
जब आपका फैमिली मेंबर या फ्रेंड स्मोकिंग कर रहा हो तो उससे थोड़ी दूर रहें। हालांकि स्मोकिंग करने वालों को भी यह बात ध्यान में रखनी जरूरी है ताकि आपके करीबी अनजाने में बीमारी का शिकार न हो जाएं।
प्रेग्नेंट है पार्टनर तो दूर रहकर करें स्मोकिंग
अगर आपकी पत्नी मां बनने वाली हैं या कोई फ्रेंड प्रेग्नेंट है तो उसके आस-पास स्मोकिंग न करें। स्मोकिंग का धुंआ गर्भवती महिला के अलावा अजन्मे बच्चे के लिए भी हानिकारक है। अगर आपके घर में या आस-पास कोई छोटा बच्चा रहता है तो उसके सामने भी स्मोकिंग न करें।
स्मोक एरिया में स्मोकिंग से सेकेंड हैंड स्मोकिंग का खतरा टलेगा
अगर आप सर्वाजनिक जगहों पर स्मोकिंग करते हैं तो स्मोक एरिया में जाकर ही स्मोक करें। इससे आपके संपर्क में आने वाले बाकी लोगों को नुकसान नहीं होगा।
पैसिव स्मोकिंग को लेकर फैलाएं जागरुकता
सिगरेट और तंबाकू के सेवन को लेकर जागरूक रहना बहुत जरूरी है। अपने फ्रेंड सर्कल और फैमिली मेंबर्स को सेकेंड हैंड स्मोकिंग के नुकसान के बारे में बताएं ताकि वो भी इससे बच कर रहें।
बच्चों के लिए नुकसानदायक सेकेंड हैंड स्मोकिंग
साइड स्ट्रीम स्मोक बढ़ते बच्चों की सेहत के लिए भी नुकसानदायक है। उनका शरीर विकसित हो रहा होता है, स्मोकिंग से निकलने वाले केमिकल बच्चों के विकास को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करते हैं। सेकेंड हैंड स्मोकिंग के कांटेक्ट में आने वाले शिशुओं और बच्चों में सिगरेट के धुएं से होने वाली बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। पैसिव स्मोकिंग की वजह से बच्चों में दमा।
निकोटीन पॉजिटिव हो सकता है पैसिव स्मोकर्स का ब्लड, यूरिन सैंपल
सेकेंड हैंड स्मोकर्स के ब्लड और यूरिन के सैंपल निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और फॉर्मलाडेहाइड हो सकते हैं। आप जितनी देर तक स्मोक करने वालों के डायरेक्ट कांटेक्ट में रहेंगे आपको भी स्मोक से होने वाली बीमारियों का खतरा उतना ही ज्यादा रहेगा।
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