इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) को सफल बनाने में डाइट जरूरी भूमिका निभाती है। पति-पत्नी दोनों को आईवीएफ प्रेग्नेंसी से पहले शरीर को तैयार करना होता है। तब जाकर एक स्वस्थ बेबी का जन्म हो पाता है। आज वर्ल्ड आईवीएफ डे पर जानते हैं कि आईवीएफ को सफल बनाने के लिए क्या खाएं और क्या नहीं।
आईवीएफ और डाइट का कनेक्शन
भोपाल के बंसल अस्पताल में गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. दीप्ति गुप्ता पिछले कई सालों से इन्फर्टिलिटी पर काम कर रही हैं। वे कहती हैं कि उनके पास महीने में कम से कम 15-25 प्रतिशत कपल इन्फर्टिलिटी की शिकायत लेकर आते हैं। ऐसे पेशेंट आईवीएफ ट्रीटमेंट की ओर जाते हैं।
डॉ. दीप्ति का कहना है कि किसी भी खास तरह की डाइट को लेकर यह नहीं कहा जा सकता कि बहुत फायदा होता है, पर कपल को हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल पर ध्यान देना जरूरी है। पुरुषों में स्पर्म काउंट, मूवमेंट और शेप को बेहतर रखने के लिए डाइट का खास ख्याल रखा जाता है और महिलाओं में एग क्वालिटी के लिए डाइट पर जोर देना जरूरी है।
महिला और पुरुष दोनों के लिए डाइट
डॉ. दीप्ति का कहना है कि वे पुरुष जो अल्कोहल, स्मोकिंग और बॉडी बिल्डिंग के लिए रोजाना स्टेरॉयड लेते हैं, उनमें स्पर्म की क्वालिटी कमजोर होती है। कमजोर स्पर्म बेबी कंसीव करने में मुश्किल पैदा करता है। ऐसे ही महिलाओं को प्रोसेस्ड फूड जैसे वाइट ब्रेड, केक, रिफाइंड शुगर, ट्रांस फैट से दूर रहना चाहिए। इन्हें खाने से इंसुलिन बढ़ता है, जिससे एग की क्वालिटी कमजोर होती है। इसके अलावा महिलाओं को अपने वजन पर भी नियंत्रण रखना होगा, मोटापे से पीसीओडी होता है और कंसीव करने में दिक्कत होती है।
बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ में कंसल्टेंट डॉ. शिल्पा सिंगल के मुताबिक, आईवीएफ बेबी कंसीव कनरे का एक आर्टिफिशियल प्रोसेस है। इस वजह से इसमें काफी सावधान रहने की जरूरत होती है। आप जो खाना खाते हैं वह आपके हार्मोन, सीमन निर्माण, एग की संख्या, एग की क्वालिटी, गर्भाशय की परत की क्वालिटी और प्रजनन संबंधी अन्य प्रक्रियाओं का कारक होता है। ऐसे कपल जो आईवीएफ के जरिए इस सफर की शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए डाइट पहले से ज्यादा जरूरी हो जाती है।
आईवीएफ को सफल बनाने के लिए क्या खाएं?
आईवीएफ की सफलता एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार पर निर्भर करती है। इसके लिए, प्रोसेस की हुई चीजें, फास्ट फूड और शक्कर को कम करना चाहिए। सेहतमंद फैट्स जैसे साबुत अनाज, फल और सब्जियां और स्वच्छ प्रोटीन जैसे मछली, फलियां और कम वसा वाली पॉल्ट्री, एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार का हिस्सा होते हैं। साबुत अनाज और नट्स, गर्भाशय की परत को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं। सोया प्रोडक्ट्स अच्छे होते हैं और आईवीएफ करवा रही महिलाओं के लिए ये सभी फूड फायदेमंद होते हैं।
नट्स और ड्राई फ्रूट्स
नट्स और ड्राईफ्रूट्स, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का एक बड़ा स्रोत हैं। नट्स में सेलेनियम की उच्च मात्रा होती है। ये मिनरल एग की क्वालिटी को सुधारते हैं। कद्दू के बीज जिंक के अच्छे स्रोत होते हैं, जो शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार के लिए जरूरी हैं। यह एंटी-ऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स को दूर रखते हैं और शरीर में एग के प्रोडक्शन को बढ़ाते हैं। फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए हमेशा हर सुबह नट्स और ड्राई फ्रूट्स को दूध के साथ लें।
हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियां फोलिक एसिड और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत हैं, जो ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। ये गर्भपात और आनुवंशिक असामान्यताओं की आशंका को कम करता है। बेहतर परिणामों के लिए डाइट में पालक, ब्रोकली, केला और मेथी जैसी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों के फायदेमंद गुण स्पर्म की अच्छी गुणवत्ता बनाने में भी मदद करते हैं।
लहसुन
लहसुन फर्टिलिटी बढ़ाने वाला मसाला है और एंटीऑक्सीडेंट, सेलेनियम को बढ़ाता है। लहसुन शरीर में एस्ट्रोजन बैलेंस को भी बनाए रखता है और फर्टिलिटी में सहयोग करता है। यह पुरुषों में शुक्राणु की गति को बढ़ाने में भी मदद करता है। रोजाना इसे डाइट में शामिल करने से कंसीव करने की संभावना बढ़ जाती है।
डेयरी प्रोडक्ट्स
आमतौर पर डेयरी उत्पाद कैल्शियम, अच्छे वसा और विटामिन डी से भरपूर होते हैं। ये उत्पाद उन दंपतियों के प्रजनन स्तर में सुधार के लिए जरूरी हैं, जो तत्काल गर्भधारण करना चाहते हैं। ये शरीर को पूरा पोषण देते हैं और तेजी से गर्भधारण करने में मदद करते हैं। ग्रीक योगर्ट और मक्खन का सेवन करना अच्छा होता है।
बीन्स और दालें
बीन्स प्रोटीन और आयरन से भरपूर होते हैं। जब आप कंसीव करने की कोशिश कर रही हों तो बीन्स का सेवन करना बहुत जरूरी है, क्योंकि शरीर में आयरन का स्तर कम होने से हेल्दी एग का प्रोडक्शन कम होता है। बीन्स फर्टिलिटी की संभावना तो बढ़ाता ही है साथ ही कामेच्छा को भी बढ़ाता है।
केला
केले में विटामिन बी6 होता है और ओव्यूलेशन प्रोसेस को नियंत्रित करने में शामिल हार्मोन, जाइगॉट के निर्माण में मदद करता है। जब फैलोपियन ट्यूब में एग और स्पर्म फर्टिलाइज होता है तब इसे जाइगोट के नाम से जानते हैं। जब एग में स्पर्म फर्टिलाइज होता है तो इसे कंसीव होना कहता है और आपको जाइगोट के रूप में रिजल्ट मिलता है।
केला पोटेशियम और विटामिन सी का भी अच्छा स्रोत है। पोटेशियम और विटामिन बी6 की कमी की वजह से एग और स्पर्म की गुणवत्ता खराब होती है। इसलिए माता-पिता बनने के इच्छुक लोगों को नाश्ते में केला जरूर लेना चाहिए।
टमाटर
टमाटर एक जरूरी खाद्य पदार्थ है, जोकि शरीर में मेलाटोनिन के स्तर को बढ़ाता है। मेलाटोनिन बॉडी में स्ट्रेस के हार्मोन कोर्टिसोल को कम करने के लिए जरूरी है। यह आपको बेहतर नींद लाने में मदद करता है और हार्मोन की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। साथ ही यह लाइकोपिन का भी अच्छा स्रोत होता है जोकि स्पर्म क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। यह एक सुपरफूड है और इसे किसी भी रूप में लिया जा सकता है। जैसे टमाटर सूप/टमाटर प्यूरी या फिर सलाद या सैंडविच के रूप में भी खाया जा सकता है।
अनार
स्पर्म क्वालिटी को बढ़ाने के लिए बहुत ही जरूरी फूड है। जब पुरुष रोगियों को अनार का एक्सट्रैक्ट दिया गया तो अध्ययनों में लगभग 60% सुधार देखा गया। यह विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होता है।
क्या नहीं खाना चाहिए
चिप्स, सोडा, कैंडी को कहें न
जब आप कंसीव करने की कोशिश कर रही हों तो प्रोसेस्ड मीट जैसे सलामी, सॉसेज, बेकन, हॉटडॉग, कुकीज, चिप्स, सोडा, कैंडी और अन्य पैक आइटम आदि से बचना चाहिए। प्रोसेस की गई खाद्य वस्तुओं में बिना प्रोसेसे किए गए मीट की तुलना में अधिक हार्मोनल अवशेष होते हैं। यह स्पर्म की क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है।
आर्टिफिशियल स्वीटनर
ये सेहत के लिए खराब माने जाते हैं और आईवीएफ उपचार के दौरान इनसे बचना चाहिए, क्योंकि यह उपचार की सक्सेस रेट को कम करता है।
कच्चे अंडे
इनमें साल्मोनेला वायरस नाम का वायरस हो सकता है, जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है। इसलिए इलाज के दौरान पके हुए अंडे खाने की सलाह दी जाती है।
शराब
शोध बताते हैं कि बहुत अधिक शराब का सेवन प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। रेड वाइन बहुत ही थोड़ी मात्रा में लेना सेहतमंद हो सकता है, लेकिन इसके अलावा शराब शरीर में हॉर्मोनल संतुलन को बिगाड़ देती है।
धूम्रपान
धूम्रपान ना केवल फेफड़ों के लिए बुरा होता है, बल्कि प्रजनन को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए जब आईवीएफ के लिए जा रहे हैं तो इसे छोड़ने के बारे में विचार किया जाना चाहिए। ये बड़ी मात्रा में फ्री रेडिकल्स यानी वे कोशिकाएं जो शरीर को कमजोर करती हैं, उन का निर्माण करता है, जोकि सीधे तौर पर स्पर्म और एग्स को नुकसान पहुंचाते हैं।
अपनी डाइट में कैफीन की मात्रा को दिनभर में 2 छोटे कप तक सीमित कर दें। डॉ. दीप्ति का कहना है कि डिलीवरी के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे अखरोट, अलसी, सोयाबीन, फूलगोभी, सैल्मन फिश, टूना फिश और अंडे खाना चाहिए। ये बेबी की सेहत के लिए अच्छे होते हैं। डिलीवरी के बाद महिलाएं बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं तब भी खानपान का ध्यान रखा जाता है।
डॉ. शिल्पा सिंगल का कहना है कि डाइट को सफल बनाने में सिर्फ डाइट ही नहीं बल्कि हेल्दी लाइफस्टाइल और डॉक्टर की गाइडेंस भी जरूरी है।
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