छोटी-छोटी बातों पर उखड़ जाना। सामने कौन बैठा है, इस बात का भी लिहाज न करना और गुस्से में मन का गुबार बाहर निकाल देना। ऐसा क्यों होता है यह एक बड़ा सवाल है ही, लेकिन इसे कैसे रोक सकते हैं, इस सवाल का जवाब जानना भी उतना ही जरूरी है। बात बात पर आने वाले गुस्से को कैसे ठीक करें, इसके बारे में बता रहे हैं सायकेट्रिस्ट, डॉ. धर्मेंद्र सिंह।
आपको स्ट्रेस क्यों होता है? किसी भी इंसान को तनाव तब होता है, जब काम उसके हिसाब से न हो। वो तनाव, घर की किसी चीज को ठीक से न रखने से लेकर खाना खाने के तौर-तरीकों पर भी हो सकता है। इस बारे में डॉ. धर्मेंद्र बताते हैं कि महिलाओं का जीवन बेहद व्यस्त होता है। उनकी जिम्मेदारियां तीज-त्यौहार या राष्ट्रीय छुट्टी के दिन भी कम नहीं होतीं। ज्यादातर महिलाएं सालोंसाल एक तरह का जीवन जी रही होती हैं, जिसमें सुबह से शाम तक खाना बनाने, खिलाने और खाने जैसे काम जुड़े होते हैं। दिनभर घर के तमाम काम निपटाते हुए जब उनके काम की कद्र नहीं होती, तो उनका स्वाभाव कुछ चिढ़चिढ़ा हो जाता है। अगर इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह मामला आगे चलकर गंभीर रूप ले सकता है। इसकी वजह से स्ट्रेस, एंग्जायटी होने की आशंका बढ़ जाती है।
क्या रनिंग से स्ट्रेस कम होता है?
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हर दिन 10 मिनट की जॉगिंग से मेंटल स्ट्रेस को कम करने में मदद मिलती है। हम फिजिकली जितने एक्टिव होते हैं, हमारा दिमाग स्ट्रेस से उतना ही दूर रहता है। रनिंग के दौरान एंडोर्फिन रिलीज होता है। यह हमारे मन से नेगेटिव फीलिंग को कम करता है। इसके अलावा जब हम रनिंग करते हैं, तब कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हॉर्मोन) कम होता है, जिससे मानसिक तनाव खुद-ब-खुद कम होने लगता है।
रनिंग या वॉक करने के और क्या फायदे हैं?
फिजिकल एक्टिविटी न करने के क्या नुकसान हैं?
डॉ. सिंह के मुताबिक, जो महिलाएं थोड़ा भी रनिंग, जॉगिंग या वॉकिंग नहीं करतीं, उन्हें कई तरह की शारीरिक चुनौतियों से जूझना पड़ता है। ऐसी महिलाओं को मोटापा, माइग्रेन, मेंसट्रूअल प्रॉब्लम, प्रेग्नेंसी में तकलीफ, स्ट्रेस, एंग्जायटी और लो इम्युनिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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