कोख पर जीका का खतरा:प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने क्रिटिकल, बच्चे को जिंदगी भर देखने-सुनने में हो सकती है परेशानी

नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: पारुल रांझा
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8 जुलाई 2021 को इस साल पहली बार केरल की एक 24 साल की गर्भवती महिला में जीका संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद कानपुर में ऐसे कई मामले सामने आए, जहां गर्भवती महिलाएं इस वायरस की चपेट में आईं। एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रेग्नेंट महिलाओं को इस वायरस से काफी सतर्क रहने की जरूरत है। अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में जीका वायरस से संक्रमित होती है, तो उसका बच्चा मानसिक रूप से कमजोर हो सकता है।

जीका से संक्रमित होने पर प्रेग्नेंट महिला और अजन्मे बच्चे को किस तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं आ सकती हैं? इससे बचाव के लिए क्‍या कर सकते हैं? कैसे इसे डायग्‍नोज किया जाता है? ऐसे तमाम सवालों के जबाब जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने हेल्थ एक्सपर्ट्स से विस्तार से बात की।

पेट में मौजूद बच्चे पर जिंदगी भर असर डाल सकता है जीका
कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के शरीर में ऑर्गन पहले तीन महीनों में डेवलप होते हैं। अगर उस वक्त वे संक्रमित हो जाएं तो जीका वायरस बच्चे की नर्व सेल्स पर असर डाल सकता है।

कई मामलों में बच्चे को माइक्रोसेफेली नाम की एक समस्या हो जाती है, जिसमें पेट में मौजूद बच्चे का मास्तिष्क और सिर सामान्य से आकार में छोटा हो जाता है। वहीं, बच्चे के मानसिक विकास के अलावा देखने और सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। कभी-कभी जोड़ों की समस्या भी पैदा हो सकती है। यानी अगर बच्चा जीका की चपेट में आ गया तो इसका असर लंबे समय तक रह सकता है।

1 लाख में 1 बच्चे को खतरा, अल्ट्रासाउंड में सिर का साइज देखकर लगाएं पता
संजय काला बताते हैं कि हमारे यहां जीका वायरस एशियन वैराइटी है, जो कि अफ्रीकी वैराइटी से कम घातक है। एक लाख में किसी एक बच्चे को इस तरह की एनॉमली होने का खतरा है। प्रेग्नेंसी के तीन महीने के बाद बच्चे की हेल्थ को लेकर खतरा बेहद कम हो जाता है।

अगर किसी भी प्रेग्नेंट महिला को वायरस का कोई लक्षण दिख रहा है है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कई रैपिड डिटेक्शन टेस्ट भी हैं, जिनसे संक्रमण का पता लगा सकते हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं को कम से कम छह माह की मॉनिटरिंग करना बेहद जरूरी है। अगर गर्भस्थ शिशु के सिर का आकार छोटा मिलता है, तो हर चौथे हफ्ते में उनका अल्ट्रासाउंड कराया जाएगा।

जीका के लक्षण

  • बुखार
  • सिर में दर्द
  • आंखें लाल होना
  • जोड़ों में दर्द
  • मसल्स पेन
  • थकावट
  • घबराहट

क्या प्रेग्नेंट महिलाओं के जीका से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा?
जयपुर के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल की एडिशनल डायरेक्टर व गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. शालू कक्कड़ बताती हैं कि जीका वायरस का संवाहक एडीज एजेप्टी नामक मच्छर होता है। इस मच्छर की वजह से ही डेंगू और चिकुनगुनिया भी फैलता है। इसमें 70 से 80% लोगों में लक्षण बहुत माइल्ड होते हैं। ये इतना भी खतरनाक नहीं होता, जितना इसे समझ रहे हैं। जीका वायरस संक्रमण प्रेग्नेंट महिलाओं को किसी भी तिमाही में हो सकता है।

इस बात का अभी कोई सबूत नहीं है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को इसके संक्रमण का ज्यादा खतरा हो या जीका पॉजिटिव मां से पैदा होने वाला हर बच्चा इससे जुड़े हेल्थ इश्यू को फेस करे। इसलिए कोई व्यक्ति पॉजिटिव आता है, तो उसे घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। सामान्य स्थिति में गर्भवती की अल्ट्रासाउंड जांच पहले, तीसरे, छठे और नौवें माह में कराई जाती है।

प्रेग्नेंट महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान

  • जीका के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।
  • हर 4 हफ्ते में अल्ट्रासाउंड करवाएं।
  • मच्छरों के काटने से बचने के उपायों का सख्ती से पालन करें।
  • जीका वायरस वाले एरिया में ट्रैवल करने से बचें।
  • जो महिलाएं प्रेग्नेंट हैं या प्रेग्नेंट होने की योजना बना रही हैं। उनके पार्टनर को जीका फैलाने वाले मच्छरों के काटने से खुद को बचाना चाहिए।
  • सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल जरूर करें।

जीका इंफेक्शन होने पर ब्रेस्टफीडिंग करें या न करें?
WHO के अनुसार बच्चों को जन्म के छह महीनों तक सिर्फ मां का दूध पिलाने की ही सलाह दी जाती है। मां अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा सकती है, क्योंकि स्तनपान के फायदे जीका के खतरे से कहीं ज्यादा हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेस्ट मिल्क से शिशुओं के जीका वायरस से संक्रमित होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। यदि किसी तरह का डर या शंका हो, तो डॉक्टर से जरूर राय लें।

बंदर में मिला था सबसे पहला वायरस
साल 1947 में अफ्रीकी देश युगांडा के जीका जंगल में जीका संक्रमण का पहला मामला एक बंदर में पाया गया था। इसी वजह से इसे जीका नाम मिला। बाद में यह इंसानों में फैला और दुनिया के अन्य हिस्सों तक पहुंचा।

कुछ स्टडी की मानें तो साल 1954 में इस वायरस ने देश में एंट्री कर ली थी। साल 2016 और 2017 में गुजरात और तमिलनाडु में जीका के मामले सामने आए। वहीं, 2018 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी जीका के 200 से ज्यादा मामले पाए गए।

इन राज्यों में जीका वायरस का प्रकोप

  • केरल
  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश

UP में जीका संक्रमितों की संख्या

  • लखनऊ-5
  • कानपुर -134
  • उन्नाव -1 मरीज

कैसे पहचानें जीका की चपेट में तो नहीं आप?
गौतमबुद्धनगर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ सुनील कुमार शर्मा बताते हैं कि जीका, डेंगू और कोरोना में लक्षण एक जैसे ही होते हैं। लेकिन कोरोना में बुखार के साथ खाने का टेस्ट, सूंघने में दिक्कत और सांस की समस्या हो सकती है। जबकि डेंगू के बुखार में ब्लड प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम होता है। जीका को डायग्‍नोज करने के लिए डॉक्टर आपसे ट्रैवल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछते हैं। टेस्ट के लिए ब्‍लड या यूरिन कलेक्‍ट करते हैं।

जीका से संक्रमित होने पर, ये करें

  • जीका वायरस संक्रमित व्यक्ति में एक सप्ताह तक रहता है।
  • लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें और ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट करवाएं।
  • अभी इसकी कोई दवा नहीं है, ऐसे में संक्रमित लोग अपनी सेहत का ख्याल रखें।
  • संक्रमित व्यक्ति आराम करें और पानी, कॉफी और जूस जैसी चीजें लें।