पानी डेली रूटीन का एक जरूरी हिस्सा है। भूख को थोड़ी देर बर्दाश्त किया जा सकता है, लेकिन प्यास को कंट्रोल कर पाना मुश्किल होता है। ये तो हुई एक बात। दूसरी जरूरी बात यह है कि पानी पीते वक्त कितने बार हम उसे पीने के सही तरीकों पर ध्यान देते हैं? चलते-फिरते पानी पीने की हमारी आदत, सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। इस बारे में बात कर रही हैं आयुर्वेदिक डॉ. सोनिया।
पानी पीने की आदत कब नुकसानदेह हो जाती है?
पानी पीने को लेकर आयुर्वेद में कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं। यह स्थिति हमारी शारीरिक परेशानियों को बढ़ाने का काम करती है। खड़े होकर पानी पीने के दौरान हम जल्दी-जल्दी पानी पीते हैं, जिसकी वजह से शरीर पर ज्यादा दबाव पड़ता है। यह प्रेशर खाना निगलने के रास्ते से पेट में जाती है, जिसकी वजह से परेशानियां शुरू होती है।
खड़े होकर पानी पीना शरीर के लिए बुरा क्यों?
जोड़ों में शुरू हो जाता है दर्द - खड़े होकर पानी पीने की वजह से पानी तेजी से शरीर के अंदर जाता है। ऐसा होने पर शरीर के जोड़ों पर बुरा असर पड़ता है। लंबे समय तक पानी पीने की इस गलती को नहीं सुधारा गया, तो आगे चलकर शरीर में गठिया जैसी बीमारी हो सकती है।
अपच से जूझने लगता है शरीर - बैठकर पानी पीया जाए, तो पेट के मसल्स रिलैक्स रहते हैं। वहीं जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं, तो पेट के मसल्स में खिंचाव आता है। जिसकी वजह से अपच की शिकायत हो सकती है।
बढ़ जाता है किडनी का काम - खड़े होकर पानी पीने की वजह से पानी सीधे पेट के निचले हिस्से में चला जाता है। बीच में फिल्टर प्रोसेस पूरा नहीं होने के कारण, किडनी पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे किडनी संबंधी बीमारी हो सकती है।
रुक सकती है ऑक्सीजन की सप्लाई - खड़े होकर पानी पीने की आदत सांस की समस्या भी खड़ी कर सकती है। इस तरह से पानी पीने की वजह से फूड और विंड पाइप के जरिए फेफड़े तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावट आती है।
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