झारखंड में रांची की रहने वाली देविका भादुड़ी को जब इस बात का अहसास हुआ कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का शिकार उसकी तीन साल की बेटी के लिए कोई मेडिकल सुविधा नहीं है तो उन्होंने यह तय कर लिया कि वे ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए कुछ करेंगी। जल्दी ही उन्होंने अपने प्रयासों से ऑट्रीट वेलनेस सेंटर की शुरुआत की। ये ऑटिज्म के मरीजों के लिए ऑक्यूपेशनल और स्पीच थैरेपी एड्स है।
देविका ने बताया कि 2008 में जब मेरी बेटी को ऑटिज्म हुआ तो हमें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि रांची में ऐसे बच्चों के लिए मेडिकल सुविधाओं की कमी है। तब मैं अपनी बेटी को कोलकाता, वेल्लोर और बेंगलुरु लेकर गई। वहां उसकी थैरेपी और ट्रीटमेंट हुआ। अपने साथ आई दिक्कतों को देखते हुए देविका और उनके पति एस के भादुड़ी ने सोचा कि क्यों न एक ऐसे वेलनेस सेंटर की शुरुआत की जाए जहां सारी सुविधाएं एक साथ मिल सकें। उनकी तरह किसी अन्य ऑटिज्म के शिकार बच्चों के माता-पिता को तकलीफों का सामना न करना पड़े। हालांकि इस काम के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत थी।
देविका और उनके पति ने सारे इंतजाम किए और इस सेंटर की स्थापना की। आज यहां ऑटिज्म के मरीजों को वो सारी सुविधाएं मिल रही हैं, जिनके बारे में पहले सोचा भी नहीं जाता था। उन्हें इस बात की खुशी है कि अब ऑटिज्म के मरीजों को लेकर दूसरे शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
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