महिला स्वास्थ्य:30 की उम्र के बाद कराएं ये 8 टेस्ट, पैप स्मीयर से यूटरस कैंसर का पता चलेगा, स्क्रीनिंग टेस्ट से संभव है डिप्रेशन का इलाज

डॉ. नमिता आर्य, स्त्री रोग विशेषज्ञ2 वर्ष पहले
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आमतौर पर महिलाएं अपनी सेहत के प्रति कम अलर्ट रहती हैं। उनकी प्राथमिकता उनका परिवार होता है। ऐसे में कई बार वे गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि वे अपनी हेल्थ के प्रति सजग रहें, ताकि बीमारी की समय रहते पहचान और इलाज हो सके। खासतौर पर 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को समय-समय पर अपना टेस्ट भी कराना चाहिए। इससे वे आसानी से पता लगा सकेंगी कि उनको हेल्थ संबंधी क्या परेशानी है। इसलिए 30 की उम्र के बाद हर महिला को अपने मेडिकल टेस्ट अवश्य करवााना चाहिए। यह कहना है स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नमिता आर्य का।

वे कहती हैं कि अगर आप अपनी हेल्थ को नजरअंदाज करती हैं तो ऐसा करना बंद कर दें। क्योंकि परिवार को खुश और हेल्दी देखने की पहली शर्त ही खुद की हेल्थ जरूरी है। इसकी वजह है कि परिवार के हर सदस्य की जरूरत का ध्यान रखना यानि उनकी सेहत, खान-पान और बच्चों की पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी आपके ही कंधों पर होती है।

विटामिन डी:

30 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए विटामिन-डी का टेस्ट करवाना बेहद जरूरी होता है। विटामिन-डी फैट में घुलने वाले प्रो-हार्मोन्स का एक ग्रुप है, जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों में पहुंचाता है। इसके अलावा बॉडी में विटामिन डी-3 की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।

थायराइड टेस्ट:

वर्तमान समय में 30 की उम्र के बाद महिलाओं को थायरॉइड का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। अगर आपको भी बिना वजह थकान, मसल्स पेन, भूख बढ़ने या घटने की समस्या हो रही है तो थायराइड टेस्ट के लिए टी-3, टी-4 और टीएसएच ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए।

बीएमआई टेस्ट:

नियमित बीएमआई यानि बॉडी मास इंडेक्स चेक करना बेहद जरूरी होता है। बीएमआई से यह पता चलता है कि शरीर का वजन लंबाई के अनुपात में ठीक है या नहीं। महिलाओं का आदर्श बीएमआई 22 तक होता है। इससे अधिक बीएमआई मोटापे और कमजोर मसल्स का कारण बन सकता है।

ब्लड प्रेशर टेस्ट:

30 के बाद महिलाओं में ब्लड प्रेशर की समस्या आम बात हो गई है। इसलिए महीने में एक बार बीपी चेक कराएं। हाई ब्लड प्रेशर के कारण किडनी, हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए बीमारी से बचने के लिए ये जांच नियमित रूप से महिलाओं काे जरुर कराना चाहिए।

हीमोग्लोबिन:

थकान, चक्कर आना और सिर में दर्द होना आम बात है। कई बार महिलाएं अपनी इच्छा से दवा और बाम का उपयोग कर लेती हैं, लेकिन यह स्थाई हल नहीं है। इसलिए महिलाओं में हीमोग्लोबिन टेस्ट करवाना चाहिए। टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर डाइट में बदलाव जरूरी है।

डायबिटीज:

अगर आपने उम्र का 30वां पड़ाव पार कर लिया है, आपका वजन ज्यादा है, डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री है और प्रेग्नेंसी के दौरान आपको डायबिटीज रही है तो साल में एक बार फास्टिंग और ब्लड शुगर लेवल चेक कराएं। बढ़ी हुई शुगर डायबिटीज का कारण बन सकती है।

पैप स्मीयर टेस्ट:

हर महिला को यूटरस से संबंधित टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। यूटरस कैंसर का पता लगाने के लिए टेस्ट किया जाता है, जिसे पैप स्मीयर टेस्ट कहा जाता है। इस बीमारी का अगर समय से पता चल जाए तो इसका इलाज भी संभव है।

डिप्रेशन टेस्ट:

महिलाएं परिवार और ऑफिस में इस कदर उलझी रहती है कि वह सही तरीके से अपने खान-पान और आराम का ध्यान नहीं रख पाती हैं। जिससे उनको डिप्रेशन होने लगता है। इसलिए डिप्रेशन को कम करने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना बेहद जरूरी होता है।

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