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झारखंड के एक गांव में 65 साल की रंथी देवी को डायन समझकर घर से निकाल दिया गया। उन्हें बिना कपड़ों के सारे गांव में घुमाया गया। रंथी देवी इस अपमान से पूरी तरह टूट चुकी थीं। हालांकि कुछ दिनों बाद 600 स्व सहायता समुह की महिलाओं ने गांव की पंचायत के सामने उन्हें सम्मान दिलाने की पहल की। गांव के लोगों ने इन महिलाओं से वादा कि अब कभी डायन प्रथा के चलते किसी महिला को अपमानित नहीं किया जाएगा। गांव वालों ने रंथी देवी के पैर छूकर उनसे माफी मांगी। जो लोग इस अपराध में शामिल थे, उन्हें जेल भेज दिया गया।
इस घटना ने रंथी देवी के जीवन को बदल दिया। अब वे सम्मान के साथ गांव में रहती हैं। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो डाटा के अनुसार, डायन प्रथा के चलते 2019 में 27 महिलाओं की जान गई थी। 2017 में 41 लोग और 2018 में इसी कुप्रथा के कारण 26 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन डायन प्रथा के खिलाफ झारखंड सरकार का गरिमा प्रोजेक्ट महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है।
इस प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को अपने जीवन-यापन चलाने के लिए कई अवसर मिल रहे हैं। जिससे वे आत्मनिर्भर बनी हैं। रंथी देवी भी इस स्व सहायता समुह की सदस्य हैं। वे ये मानती हैं इस प्रोजेक्ट के आने से लोगों की मेरे प्रति सोच बदली हैं। वे अब मुझे डायन नहीं समझते। गरिमा प्रोजेक्ट के तरह झारखंड के 500 गांवों में लगभग 1,149 महिलाओं को नियुक्त किया गया है जो गांव की कमेटी द्वारा महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
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