एक जमाना वो था जब लोग ट्रांसजेंडर का मजाक उड़ाते थे। लेकिन इस समुदाय के लोगों ने संघर्ष के बल पर समाज में खास मुकाम हासिल किया है। इस बात की मिसाल बेंगलुरु की त्रिनेत्रा हल्दर गम्माराजू हैं। वे कर्नाटक की पहली ट्रांसवुमन डॉक्टर के रूप में अपनी खास पहचान रखती हैं। बेंगलुरु में त्रिनेत्रा कभी अंगद गम्माराजू के नाम से जानी जातीं थीं।
त्रिनेत्रा ने विदेश में जेंडर चेंज करने के लिए सर्जरी करवाई। सर्जरी के बाद अंगद ने अपना नाम मां दुर्गा के नाम पर 'त्रिनेत्रा' रखा। अपने परिवार के सपोर्ट से त्रिनेत्रा डॉक्टर बनीं। त्रिनेत्रा कहती हैं - ''बचपन से मैंने अपने ट्रांसजेंडर होने की वजह से बहुत अपमान सहा है''।
त्रिनेत्रा की जिंदगी का सबसे यादगार पल वो था जब उन्होंने मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में प्रैक्टिकल सेशन के दौरान एक महिला की डिलिवरी करवाई। वे कहती हैं - 'अपनी गोद में मैं एक बच्चे को देखकर खुशी से झूम रही थी'। भविष्य में वे खुद सरोगेसी से मां बनने की ख्वाहिश रखती हैं। फिलहाल वे कस्तूरबा मेडिकल हॉस्पिटल, मणिपाल में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
कई बार त्रिनेत्रा का सोशल मीडिया पर लेस्बियन कम्युनिटी को सपोर्ट करने की वजह से भी विरोध हुआ है। वे ऐसे सभी लोगों की सोच लेस्बियंस के प्रति बदलना चाहती हैं जो उनके खिलाफ हैं। हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी पोस्ट में लिखा- 'छक्का', 'कज्जा' और ऐसे ही असंख्य नामों से अब तक लोगों ने मुझे सम्मानित किया। यह सब बीते दिनों की बात है क्योंकि अब मैं एक 'डॉक्टर' हूं।
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