सुंदर नाक पाने की चाहत महिला और पुरुष दोनों में है। महिलाओं में तो ऐश्वर्या, शिल्पा और प्रियंका जैसी नाक की चाहत रही है। यूके में नाक की सर्जरी की संख्या में लगातार कमी आ रही है? भारत में भी अगर ऐसा है, तो क्यों?
मास्क बन गया खास
भारत में भी कोविड के समय नोज सर्जरी यानी राइनोप्लास्टी में थोड़ी कमी आई इसकी कई वजहें थी। कोविड की प्रॉब्लम श्वसन तंत्र यानी सांस संबंधी अंगों से जुड़ी है। किसी की नाक की सर्जरी की जाती है, तो नाक में सूजन आती है, उसमें ब्लाकेज होता है और दूसरी कई वजहों से नाक को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
कोरोना के दिनों में मास्क को इग्नोर नहीं किया जा सकता और ऑपरेशन की स्थिति में मास्क पहनना सही नहीं है। यही वजह है कि कोविड के समय राइनोप्लास्टी में कमी आई, ऐसा मानना है गुरूग्राम स्थित पारस हॉस्पिटल के कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनदीप सिंह का।
एक दशक पहले ऐश्वर्या के नाक की दीवानी लड़कियां
सुंदरता बढ़ाने के लिए फेशियल कॉस्मेटिक सर्जरी करानेवाली लड़कियां अक्सर एक्ट्रेस या मॉडल से प्रभावित होती है। डॉ. मनदीप बताते हैं, “मुझे याद है, करीब दशक भर पहले एक लड़की राइनोप्लास्टी कराने आई और कहा- “मुझे ऐश्वर्या राय जैसी नाक चाहिए।”
कई लड़कियों को प्रियंका चोपड़ा और शिल्पा शेट्टी के नाक भी बहुत पसंद हैं।” चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए नोज सर्जरी 16 साल की उम्र होनी चाहिए क्योंकि इस समय तक चेहरे का विकास हो रहा होता है। यह जरूर है कि नाक की वजह से सांस लेने में या दूसरी तकलीफ हो रही हो, तो ऐसे केसेज में पहले राइनोप्लास्टी की जाती है।
मास्क के अंदर छिपा था चेहरा
फरीदाबाद स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुरेंद्र कुमार चावला के अनुसार, “यह सही है कि मास्क लगाए जाने की वजह से फेशियल कॉस्मेटिक सर्जरी से जुड़े केसेज में कमी आई। ज्यादातर समय मास्क के अंदर चेहरा होने की वजह से लोगों ने इस सर्जरी को टाला।
पर यह भी सच है कि केवल मास्क के अलावा भी दूसरे कारणों से लोग सर्जरी नहीं करा रहे थे। कई लोग काेविड संक्रमण की वजह से हॉस्पिटल में एडमिट नहीं होना चाहते थे। बहुत सारे लोग कोविड टेस्ट कराने से भी बचना चाहते थे। इसके अलावा कोविड के दौर में ऑपरेशन से जुड़े चीजों की अनुपलब्धता को इसकी दूसरी वजह में शामिल किया जा सकता है। ”
सांस से जुड़ी प्रॉब्लम में मददगार राइनोप्लास्टी
नजल सेप्टम डेविएशन की प्रॉब्लम में नाक के जिस छिद्र की तरह कार्टिलेज झुका होता है, उधर से सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे लोगों को खर्राटे लेने की भी शिकायत पाई जाती है। ऐसे लोगों को जुकाम होता है। कार्टिलेज के कारण नाक ब्लॉक होने की वजह से लोगों के स्पीच में दिक्कत होती है। इस प्रॉब्लम में भी राइनोप्लास्टी कराई जाती है।
लड़के दाढ़ी से छिपा लेते हैं चेहरे की कमियां
डॉ. सुरेंद्र कुमार चावला बताते हैं कि भारत में केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी बराबर संख्या में नाक का शेप सही कराने के लिए राइनोप्लास्टी करा रहे हैं। इसकी वजह है कि यह चेहरे का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। किसी के चेहरे पर पहली नजर नाक पर जाकर टिकती हैं। ऐसे में महिला ही नहीं पुरुष भी नाक में कमी नजर आने पर इसे ठीक कराना चाहते हैं।
फेशियल कॉस्मेटिक सर्जरी के मामले में लड़के गंजापन और नाक को सुधारना चाहते हैं। लड़के अपनी दाढ़ी से चेहरे की कई कमियों को छिपा लेते हैं लेकिन लड़कियों के साथ ऐसा नहीं है। लड़कियां अपने स्किन को लेकर ज्यादा सचेत हो गई है।
नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया में रुचि लेने के वजह से भी सर्जरी में कमी
प्लास्टिक सर्जन्स का यह मानना है कि आजकल लोगों में सर्जरी के बजाय नॉन सर्जिकल कॉस्मेटिक प्रक्रिया में रुचि दिखा रहे हैं। इसकी एक वजह है कि सर्जरी को लेकर मन में कई तरह के वहम होते हैं जैसे हॉस्पिटल में भर्ती होना, महंगा होने का डर, ऑपरेशन का भय। नॉन-सर्जिकल कराने वाले ज्यादातर लोगों को लगता है कि इस प्रक्रिया में किसी तरह का ‘कट’ नहीं लगेगा। इस वजह से चेहरे को सुधारने के लिए यह प्रक्रिया पसंद की जा रही है।
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