ऑयल पुलिंग को हिंदुस्तान में गंडुश के नाम से जानते हैं। इन दिनों यह थेरेपी जर्मनी में काफी ट्रेंड में है। महिलाएं हमेशा सुंदर दिखने की चाहत रखती हैं, उन्हें इस थेरेपी को आजमां कर देखना चाहिए। इसमें सिर्फ तिल के तेल का कुल्ला करना होता है। यह आयुर्वेदिक तरीका सुंदरता के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है।
मुंह में न रखें पंद्रह मिनट से ज्यादा
तिल के तेल का कुल्ला खाली पेट करना चाहिए। इसे करने से पहले पानी से मुंह साफ कर लें। एक या दो चम्मच (10 मि.ली.) तिल के तेल को मुंह के अंदर लें। इसे मुंह के अंदर एक बार अच्छी तरह घुमाएं। अब तेल को हिलाए बिना 10 से 15 मिनट तक मुंह में रहने दें। इस दौरान में मुंह में बन रहा लार तेल में मिक्स होता रहेगा।
लार के बढ़ते जाने से मुंह में द्रव की मात्रा बढ़ने लगेगी। इस प्रक्रिया के दौरान नाक और आंख से पानी जैसा निकलने तक इसे मुंह में ही रखें। संभव हो सके, तो तिल के तेल को करीब 15 मिनट तक मुंह में ही रखें। इसके बाद इसे मुंह से बाहर निकाल दें। फेंकते समय इसका रंग हल्का हो, तो समझें कि थेरेपी का असर दिखाया है। तिल की जगह नारियल के तेल का भी उपयोग किया जा सकता है।
हानिकारक बैक्टीरिया को मुंह से बाहर निकालेगा
इस थेरेपी को ज्यादातर लोग डेंटल हेल्थ से संबंधित मानते हैं। तिल के तेल के कुल्ले को करने से मुंह के अंदर के सभी बैक्टीरिया बाहर निकल आते हैं। अगर 15 मिनट से ज्यादा देर तक यह तेल मुंह के अंदर रखा जाए, तो इसके अंदर मौजूद टॉक्सिन्स मसूढ़ों द्वारा सोखने की आशंका बढ़ जाती है। तिल के तेल कुल्ला करने के बाद गुनगुने पानी से मुंह को साफ कर लें। उंगली से मसूढ़ों की मालिश भी करें।
एक बार करें और पाएं ढेरों फायदें
मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया का असर फेफड़े और दिल पर पड़ता है। इस थेरेपी को करने से कई बीमारियों से दूर रहते हैं और पेट में किसी तरह के संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। यह पाचन प्रक्रिया काे भी दुरुस्त रखता है। आंखों की रोशनी के लिए भी यह अच्छा माना जाता है। इसे करने से नजर जल्दी कमजोर नहीं होती।
महिलाएं इसे रोजाना करें, तो बालों का झड़ना और सफेद होना कम होगा। रोजाना ऑयल पुलिंग करने वाली युवतियों की त्वचा मुलायम और सुंदर रहेगी। चेहरे पर झुर्रियां नहीं आएगी इस वजह से वे लंबे समय तक युवा दिखेगी।
वीकेंड में तो जरूर करें
अगर व्यस्तता की वजह से गंडुश रोज नहीं कर पाते हैं, तो इसे वीकेंड पर या सप्ताह में दो बार जरूर करें। दस से 15 दिन तक लगातार किए जाने से सेहत पर इसका असर साफ नजर आएगा। रिसर्च यह भी कहती है कि एग्जिमा, ब्रोंकाइटिस में भी यह थेरेपी असरदार है।आर्थराइटिस, किडनी और हार्ट डिसीज में भी आराम मिलता है। जिन लोगों को लंबे समय से सिरदर्द और साइनस रहा है उसकी तकलीफ भी इसे करने से दूर होती है।
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