गर्मियाें के मौसम में गाय के घी के खाने के सही तरीके को सभी नहीं जानते हैं। सर्दियों में डाइजेस्टिव सिस्टम सही तरीके से काम करता है इस वजह से उस मौसम में गाय का घी आसानी से पच जाता है। गर्मियों में गाय के घी को खाने के बजाय वाह्यांतर यानी वाह्य प्रक्रियाओं में उपयाेग करना फायदेमंद माना गया है। ऐसे बाहरी उपायों से गर्मी, जलन, बेचैनी और पित्त की प्रॉब्लम में आराम मिलता है। गर्मी में जिन लोगों को बार-बार नकसीर फूटता है, उसके लिए गाय का घी काफी असरकार है। इस मौसम में दो तरह से गाय के घी का उपयोग किया जाता है- गाय के घी का नस्य और गाय के घी की मालिश ।
तलवे में गाय का घी लगाएं। कांसे की कटोरी लें। उससे पैर के तलवों को रगड़ें। ऐसा 4 से 5 मिनट करें। कटोरी में कालापन जमा हो जाएगा। यह कटोरी शरीर की गर्मी को सोख लेगी। जिन्हें ज्यादा गर्मी महसूस होती है, जिन्होंने बहुत पसीना आता हो, वे इस उपाय को करें। मेनोपॉज के कारण हॉट फ्लशेज या शरीर की सूजन या ब्लोटिंग की समस्या है, तो वे भी इसे जरूर करें।
आयुर्वेद के अनुसार अपच की सबसे बड़ी वजह समय पर भूख नहीं लगना है। भूख की कमी की वजह से पेट में सही मात्रा में डाइजेस्टिव जूस यानी पाचक रस का नहीं बनना है। खाने से पहले एक चम्मच गाय का घी और चुटकी भर नमक लेने से पेट से जुड़ी दिक्कतें दूर होती है। पेट की ब्लोटिंग, गैस बनना और एसिडिटी सब दूर हो जाती है। पेट की ब्लोटिंग की परेशानी में कमी नहीं आ रही है, तो गाय के घी और चुटकी भर नमक के साथ हींग को खाने के पहले लें। इसे भूख भी लगेगी, खाया खाना पचेगा और पेट अच्छी तरह साफ होगा
जिन लोगों को सोकर उठने के बाद सिर में दर्द की शिकायत रहती है। रात में नींद ठीक तरह से नहीं आती है, वे सोने से पहले गाय के गुनगुने घी को दोनों नासिका के अंदर इस घी का 3-3 या 5--5 बूंद डालें। इस समय सिर के नीचे तकिया नहीं रखें। ऐसा करने से पित्त की वजह से होनेवाला माइग्रेन का दर्द कंट्रोल में रहेगा । गहरी नींद आती है। हफ्ते में 3 से 4 बार इसका प्रयोग करें। ऐसा करने से बालों का झरना बंद होगा।
दांतों को मजबूत बनाने के लिए और मसूढ़ों के स्वास्थ्य के लिए भी गाय के घी का नस्य सबसे बेहतरीन उपाय माना जाता है।त्वचा की झुरियां को काम करने में भी यह बेहद कारगर है। ऐसा करने से त्वचा जवां दिखती है। इसे रोजाना करना जरूरी है। आंखों की रोशनी सुधारने और उनकी जलन को करना चाहते हैं तो इसे जरूर आजमाएं।
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