जायफल के बराबर मिलता था सोना:रोम में काली मिर्च दिखाती रईसी, दालचीनी के लिए हुई जंग; बड़ी इलायची थी सेक्शुअल पावर का नुस्खा

नई दिल्ली17 दिन पहलेलेखक: मनीष तिवारी
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इंसान ने करीब 6 हजार साल पहले मसालों का इस्तेमाल शुरू किया। तब भारत और श्रीलंका जैसे मसाले दुनिया में किसी और देश के पास नहीं थे। इन मसालों की कीमत सोने से भी ज्यादा होती।

‘पैसे’ तब वाकई पेड़ पर लगते। इन्हीं मसालों की वजह से देश ‘सोने की चिड़िया’ कहलाया और गुलाम भी बना। हजारों साल पहले ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत की वजह भी यही मसाले बने, जिनसे दुनिया का नक्शा बदल गया।

आज ’फुरसत का रविवार’ है और किचन में जरूर कुछ मसालेदार बना होगा…तो चलिए मसालों के रोमांचक सफर पर चलते हैं और आयुर्वेदाचार्य डॉ. एस.पी. कटियार से जानते हैं 12 तरह के गरम मसालों के फायदे और नुकसान…

1- बेशकीमती काली मिर्च रोम में थी स्टेटस सिंबल

प्राचीन ग्रीस और रोम में काली मिर्च स्टेटस सिंबल थी। पैसों की जगह काली मिर्च से पेमेंट की जाती। 5वीं सदी के आखिर में तिब्बत की घाटियों में बसने वाले हूणों ने जब रोम की घेराबंदी की, तो रोम छोड़ने के लिए 3 हजार पाउंड यानी 1360 किलो काली मिर्च भी मांगी। 1590 में लिखी गई ‘आईने-अकबरी’में 50 शाही व्यंजनों की लिस्ट भी है जिनमें काली मिर्च डाली जाती थी।

2- 5 हजार साल से सोंठ खा रहे भारतीय

सूखी अदरक को ही सोंठ कहते हैं। सोंठ पहली सदी में भारत से जापान, 11वीं सदी में इंग्लैंड और 16वीं सदी में अमेरिका पहुंची। 14वीं सदी में इंग्लैंड में 450 ग्राम अदरक की कीमत एक भेड़ के बराबर थी। 16वीं सदी में यूरोप हर साल पूर्वी देशों से 2 हजार टन सोंठ यानी सूखी अदरक मंगवाता था।

3- मसालों की रानी छोटी इलायची

छोटी इलायची का दुनिया के सबसे पुराने और बेशकीमती मसालों में शुमार है। 5 हजार साल से इसकी खेती हो रही है। मूल रूप से दक्षिण भारत में इलायची की खेती होती है। भारत के अलावा श्रीलंका, चीन, तंजानिया और ग्वाटेमाला में इसकी पैदावार होती है।

4- बड़ी इलायची हल्दी और अदरक की रिश्तेदार

बड़ी इलायची जिंजर फैमिली (Zingiberaceae) से जुड़ी है, जिसमें हल्दी, अदरक समेत 1600 से ज्यादा प्रजातियों की जड़ी-बूटियां शामिल हैं। दुनिया की 50 फीसदी बड़ी इलायची अकेले सिक्किम में पैदा होती है।

5- जीरे और गाजर का एक ही परिवार

जीरा मूल रूप से इजिप्ट और ईरान में पैदा होता था। मसालों के कारोबार के दौरान हजारों साल पहले यह भारत पहुंचा। यह ऐपियेसी फैमिली का सदस्य है, जिसमें गाजर जैसी वनस्पतियों की 3800 प्रजातियां शामिल हैं।

6- दालचीनी की महक 5 हजार साल पुरानी

भारत में 5 हजार साल से से दालचीनी यूज हो रही है। यह ‘सीलोन सीनेमन’ पेड़ की छाल है। जिसकी खेती भारत, श्रीलंका और म्यांमार में होती है। दालचीनी और इसके तेल का इस्तेमाल खाना बनाने, शराब, परफ्यूम और दवाओं में होता है।

7- तेज पत्ता बढ़ाता है देसी जायका

पुलाव, बिरियानी और खीर से लेकर चिकन तक को सेहतमंद बनाने वाला तेज पत्ता जिस पेड़ से मिलता है, उसे स्वीट बे ट्री और बे लॉरेल जैसे नामों से जाना जाता है। भारत में इंडियन कैसिया ट्री नाम से इसकी प्रजाति पाई जाती है। यह मूल रूप से ग्रीस, रोम जैसे देशों से पूरी दुनिया में पहुंचा।

8- जायफल के बदले उतने ही वजन का मिलता था सोना

प्राचीन रोम में मसालों के साथ ही दवाओं और परफ्यूम में भी जायफल यूज होता था। जायफल और सोने की कीमत बराबर थी। मूल रूप से इंडोनेशिया के बांडा द्वीप में मिलने वाला जायफल अरब व्यापारियों के जरिए दुनिया तक पहुंचा।

9- जावित्री और जायफल जुड़वा मसाले

जायफल और जावित्री दोनों एक ही पेड़ से मिलते हैं, जिसे ‘मायरिस्टिका फ्रैगरैंस’ कहते हैं। इसके फल के बीज को जायफल और बीज को ढंकने वाली रेशेदार परत को जावित्री कहते हैं।

10- इंडोनेशियाई लौंग का रुआब

लौंग मूल रूप से इंडोनेशियाई है। 17वीं सदी में डच व्यापारियों ने इंडोनेशिया के 2 द्वीपों को छोड़कर बाकी हिस्से में लौंग की खेती तबाह कर दी, ताकि किल्लत पैदा हो और कीमतें बढ़ जाएं। 18वीं सदी में फ्रांसीसी व्यापारियों ने लौंग की तस्करी शुरू कर दी।

11- चक्रफूल है चीनी मसाला

चक्रफूल मूल रूप से चीन और वियतनाम में पाया जाता है। 15वीं सदी के आखिर में यह रूस के रास्ते यूरोप तक पहुंचा, फिर पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने लगा।

12- गाजर, धनिया की फैमिली मेंबर है हींग

हींग दाल में तड़के से लेकर अचार तक का जायका बढ़ाती है। इसका खानदान वनस्पतियों की दुनिया में 16वें नंबर पर आता है, जिसमें अजवायन, गाजर, धनिया, जीरा और सौंफ जैसी 3800 से ज्यादा प्रजातियां शामिल हैं। हींग के पौधे की जड़ से रिसने वाले गोंद का इस्तेमाल ही मसाले के तौर पर किया जाता है।

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सारे मसाले साफ कर लें। बड़ी इलायची, छोटी इलायची, सोंठ, दालचीनी, जीरा, काली मिर्च, लौंग, खसखस और तेज पत्ता धीमी आंच पर 2 से 3 मिनट भून लें। फिर थाली में फैलाकर ठंडा होने दें।

जायफल और जावित्री के टुकड़े भुने मसालों में मिला दें। इन मसालों को मिक्सी से बारीक पीस लें। मसाले पीसते समय 1 ग्राम शुद्ध केसर भी मिला सकते हैं।

अब आपका गरम मसाला इस्तेमाल के लिए बनकर तैयार है। आप इसे संतुलित मात्रा में अपने खानपान में शामिल करें और हेल्दी रहें।

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ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा

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