श्वेता वर्मा और जमाल सिद्दिकी दिव्यांगों को यह महसूस नहीं कराना चाहते कि वे दूसरों से अलग हैं। ऐसे ही लोगों के लिए उन्होंने अपने वेंचर 'गिनीज प्लेनेट' की शुरुआत की। ये कपल पिछले दो सालों से सोशल वर्क कर रहा है। श्वेता ने पीएचडी की डिग्री ली। उसके बाद डिसएबिलिटी राइट्स और मेंटल हेल्थ पर फोकस किया। उनके काम पर उस वक्त ब्रेक लगा जब 2016 में उनके बेटे को मल्टीपल कंडिशन का पता लगा। उसकी कई सर्जरी भी हुईं।
श्वेता के अनुसार एक नई मां होने के नाते अपने दिव्यांग बेटे को संभालना मेरे लिए मुश्किल था। इसके लिए सबसे पहले मैंने दिव्यांग बच्चों को संभालने की ट्रेनिंग ली। लेकिन आज मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा बेटा स्कूल में दूसरों बच्चों के साथ बिल्कुल आम बच्चों की तरह घुल-मिल जाता है। इस कपल ने 2019 में गिनीज प्लेनेट की शुरुआत की ताकि वह युवाओं के साथ इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से खुलकर बात कर सकें। यहां डॉल के माध्यम से अपनी बात आम लोगों तक कही जाती है। इस गिनी डॉल की नौ उंगलियां और रेडियल क्लब हैंड हैं। इसे बारिश अच्छी लगती है और यह फुटबॉल खेलना पसंद करती है।
जब बच्चे इस डॉल को पकड़ते हैं तो उन्हें समझ में आता है इसका दाहिना हाथ बाएं हाथ से छोटा है जिसमें सिर्फ चार उंगलियां हैं। वह अपने इसी हाथ से बात करने लगती है। इस कपल का मुख्य उद्देश्य स्टोरीबुक्स और वर्कशॉप के माध्यम से दिव्यांगों के प्रति लोगों का नजरिया बदलना है। ये स्टार्ट अप अब तक 150 वर्कशॉप का आयोजन कर चुका है।
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