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  • Women Lag Behind Men In Taking Heart Treatment, 13% Of Women Ignore Symptoms, Even After A Heart Attack, They Arrive At The Hospital 37 Minutes Late Than Men

2000 लोगों पर किया गया सर्वे:हार्ट ट्रीटमेंट लेने में महिलाएं पुरुषों से पीछे, 13% ने इग्नोर किए इसके लक्षण, हार्ट अटैक आने पर भी पुरुषों की तुलना में वे 37 मिनट देर से अस्पताल पहुंचती हैं

2 वर्ष पहले
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दिल की बीमारियों का खतरा जितना पुरुषों को होता है, उतना ही महिलाओं को भी है। लेकिन इस बीमारी को लेकर महिलाएं पुरुषों के बजाय कम गंभीर दिखाई देती हैं। मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनी हार्ट फ्लो द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, आमतौर पर कोरोनरी हार्ट डिसीज को लेकर ये धारणा है कि यह पुरुषों को होने वाली बीमारी है। जबकि यह बीमारी महिला और पुरुषों को समान रूप से प्रभावित करती है। कोरोनरी हार्ट डिसीज हर 8 में से एक पुरुष को तो हर 13 में से एक महिला को है। यह सर्वे ब्रिटेन के 2000 लोगों पर किया गया।

13% महिलाओं ने माना कि हार्ट की बीमारी के लक्षण दिखने के बाद भी उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। हर 4 में से एक महिला ने यह भी माना कि बिजी शेड्यूल के चलते उन्हें अपनी बीमारी के लिए डॉक्टर से पास जाना समय की बर्बादी लगी। कोरोनरी हार्ट डिसीज पता चलने के बाद महिलाओं में पुरुषों के बजाय 55% अधिक लक्षण देखे गए। उसके बाद उन्हें इलाज के लिए एक्सपर्ट के पास जाने की सलाह दी गई।

नॉर्थ वेस्ट एंग्लिया एनएचएस फाउंडेशन की कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट रेबेका शॉफिल्ड के अनुसार, आमतौर पर टीवी सीरियल में यह बताया जाता है कि कोरोनरी हार्ट डिसीज और हार्ट अटैक पुरुषों को आता है। उन्हें सीने में दर्द होता है और वे जमीन पर गिर जाते हैं। यहीं से महिलाओं के बीच इस धारणा ने जन्म लिया कि यह बीमारी पुरुषों को ही होती है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की सीनियर कार्डियक नर्स रेजिना गिबलिन भी यह मानती हैं कि दिल की बीमारी के लक्षण दिखने के बाद भी महिलाएं इलाज के लिए फौरन कदम नहीं उठातीं।

कोरोनरी हार्ट डिसीज से संबंधित वास्तविकता यह है कि ब्रिटेन में इस बीमारी से मरने वाली महिलाओं की संख्या उतनी है, जितनी हर साल ब्रेस्ट कैंसर की वजह से होती है। इस बीमारी के प्रति महिलाओं में जागरूकता की कमी के चलते उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद भी पता नहीं चलता। कई बार इसी वजह से उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता और जान चली जाती है।

लिवरपुल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल के कंसल्टेंट कॉर्डियोलॉजिस्ट टिम फेयरबेर्न के अनुसार, हार्ट अटैक के लक्षण नजर आने के बाद भी महिलाएं डॉक्टर के पास जाने में पुरुषों की अपेक्षा 37 मिनट ज्यादा देर करती हैं। कई बार इसी वजह से उनकी जिंदगी बचाना मुश्किल होता है।

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