महंगाई और GST के मुद्दे पर संसद में हंगामा करने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों से 27 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित सांसद फिलहाल गांधी प्रतिमा के नीचे 50 घंटे के धरना-प्रदर्शन पर बैठे हैं। यह धरना बुधवार सुबह 11 बजे से शुरू हुआ है जो शुक्रवार दोपहर 1 बजे तक जारी रहेगा। धरने पर बैठे 27 सांसदों में से 7 महिला सांसद हैं।
लोकसभा में कुल 81 महिला सांसद हैं जो कुल सांसदों के मुकाबले 14.92% हैं। वहीं राज्यसभा में 33 महिला सांसद मौजूद हैं। मगर संसद में महिला सांसदों की आवाज बहुत कम ही सुनाई देती है। 2019 में लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसके पहले बजट सत्र में मात्र 12% महिला सांसदों को ही बोलने का मौका मिला था।
महिला सांसदों का ये इल्जाम है कि सदन में उनकी आवाज नहीं सुनी जाती। वुमन भास्कर ने निलंबित टीएमसी सांसद मौसम नूर से इस मुद्दे पर बात की।
प्रश्न 1 - अपने निलंबन पर आपका क्या कहना है?
मैं अपनी पार्टी के बाकी सांसदों के साथ कई दिनों से महंगाई और जीएसटी के मुद्दे पर चर्चा करने की कोशिश कर रही हूं। हर दिन हम रूल 267 के तहत नोटिस दे रहे हैं, लेकिन हमारा नोटिस अप्रूव नहीं किया जा रहा है। हम सिर्फ एक ही चीज चाहते हैं कि सदन में इन मुद्दों पर चर्चा हो। ये हमारा संवैधानिक अधिकार है कि हम संसद में जनता के मुद्दों को उठाएं। हमने किसी भी प्रकार की भद्दी टिप्पणी नहीं की और न ही सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाया। इसके बाद भी हमें सरकार ने सदन से निलंबित कर दिया है।
माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है। हम चाहते हैं कि महंगाई और जीएसटी पर चर्चा हो। हमारा संसद के बाहर 50 घंटे का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
प्रश्न 2 - रूल 267 के तहत सदन में कितने नोटिस जारी किए हैं ?
18 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र की शुरुआत से ही तृणमूल कांग्रेस पार्टी रूल 267 के तहत हर दिन नोटिस जारी कर रही है।
प्रश्न 3 - संसद में नारेबाजी, प्रदर्शन करना मना है इसके बाद भी धरने की जरूरत क्यों पड़ी?
संसद की स्थापना ही जनता के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हुई है, हम भी यही करना चाहते थे। मगर सरकार हमारी आवाज को सुन ही नहीं रही इसलिए यह कदम उठाना पड़ा।
प्रश्न 4 - आजतक कितनी बार सदन में बोलने और सवाल पूछने का मौका मिला?
इससे पहले मैंने किसान बिल पर बात करने की कोशिश की थी, मगर बात करने का मौका नहीं मिल सका। मैं एक महिला सांसद हूं और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हूं। महिलाओं से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा करना जरूरी है लेकिन हम महिलाओं को कभी अपनी बात रखने का मौका ही नहीं मिल पाता।
बहुत बार मैंने अपनी बात सदन के सामने रखने की कोशिश की, मगर आजतक कोई ऐसा खास मौका नहीं मिल सका।
प्रश्न 5 - एक सप्ताह बाद सदन में जाने के बाद क्या करेंगी ?
सदन में दोबारा जाने के बाद फिर से रूल 267 के तहत नोटिस जारी करेंगे। महंगाई और जीएसटी के मुद्दे पर चर्चा हो यही हमारी मांग है।
प्रश्न 6 - अभी तक विपक्ष के किन मुद्दों पर बहस हुई है?
अभी तक सदन में किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा ही नहीं हुई है। पिछले एक सप्ताह से सदन स्थगित ही हो रहा है।
लोकसभा में मात्र 12 % महिला सांसदों को मिला बोलने का मौका
लोकसभा में वर्ष 2019 बजट सत्र में कुल 10 महिला सांसद को ही सवाल पूछने का मौका मिला था। लोकसभा में कुल 82 महिला सांसद मौजूद हैं, इस हिसाब से मात्र 12% महिला सांसदों को ही सदन में प्रश्न करने का अवसर मिला है।
2019 बजट सत्र में कुल सवालों के मुकाबले करीब 17% सवाल सिर्फ महिला सांसदों ने पूछे थे। जिसमें से 16.2 % मौखिक और 17.4% लिखित प्रश्न शामिल थे।
राज्यसभा में 30 % महिला सांसदों ने उठाए थे सवाल
राज्यसभा में वर्ष 2019 बजट सत्र की बात की जाए तो यहां लोकसभा के मुकाबले महिला सांसदों ने कम सवाल पूछे थे। यहां कुल प्रश्नों के मुकाबले 12% सवाल महिला सांसदों द्वारा पूछे गए। जिसमें से 12.5 % लिखित और 8% मौखिक प्रश्न शामिल रहे।
राज्यसभा में 33 महिला सांसद मौजूद हैं जिसमें से 10 महिला सांसदों ने बजट सत्र में प्रश्न किए थे। इस प्रकार 30% महिला सांसदों ने राज्यसभा में सवाल पूछे।
दोनों सदनों में निलंबित हुई ये महिला सांसद
लोकसभा से कांग्रेस पार्टी की दो महिला सांसद राम्या हरिदास और ज्योतिर्मणि को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित किया गया है। तृणमूल कांग्रेस की सुश्मिता देव, मौसम नूर, शांति क्षेत्री और डोला सेन और डीएमके पार्टी की कानीमोज्ही को एक हफ्ते के लिए राज्यसभा से निलंबित किया गया है। राज्यसभा से मंगलवार को विपक्ष के 19 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया था।
सबसे ज्यादा महिलाओं के मुद्दे पर बोलती हैं महिला सांसद
साल 2019 में लोकसभा में पेश हुए मुस्लिम वुमन बिल (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) और पोक्सो बिल ( प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस अमेंडमेंट) में सबसे ज्यादा महिला सांसदों ने हिस्सा लिया था।
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