नमस्कार,
आप अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान बेहतर ढंग से रख सकें, इसके लिए हम ‘वीकली हेल्थ ब्रीफ’ लाए हैं। इसमें आपको मिलेंगे प्रमुख हेल्थ अपडेट्स, महत्वपूर्ण रिसर्च से जुड़े आंकड़े और डॉक्टरों की रेलेवेंट सलाह। इसे मात्र 2 मिनट में पढ़कर आपको सेहत से जुड़ी जरूरी जानकारियां मिलेंगी और आप परिवार का बेहतर ख्याल रख पाएंगी।
संबंध बनाने के समय सबसे ज्यादा रोमांस करती हैं महिलाएं
एक सर्वे में पता चला है कि संबंध बनाने के दौरान सबसे ज्यादा रोमांस महिलाएं करती हैं। वहीं, पुरुष नए साथी के साथ संबंध बनाने से रोमांचित होते है।
यूके की डेटिंग साइट इलिसिट एनकाउंटर की ओर से किए गए सर्वे में 2 हजार लोगों के उन 10 चीजों पर रिसर्च की गई। जिन्हें हम संबंध के बारे में सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।
यह भी पाया गया कि महिलाओं को लगता है कि संबंध बनाने से उन्हें आराम मिलता है। रिसर्चरों ने पुरुषों और महिलाओं से यह बताने के लिए कहा कि वे संबंध बनाने के बारे में सबसे ज्यादा क्या महसूस करती हैं। इसमें पता चला कि महिलाएं रोमांस की तलाश में अधिक होती हैं और पुरुष नए यौन साथी का अनुभव करके सबसे ज्यादा खुश होते हैं। वहीं, महिलाओं की दूसरी पसंद सेक्स से उनकी चिंता, तनाव दूर होता है।
इलिसिट एनकाउंटर्स डॉट कॉम की सेक्स स्पेशलिस्ट जेसिका लियोनी ने कहा पुरुषों और महिलाओं को सेक्स के बारे में सबसे ज्यादा आनंद लेने में बड़ा अंतर दिखाते हैं। दस में से आठ महिलाओं (82%) और तीन-चौथाई पुरुषों (74%) ने कहा कि अगर वे सेक्स के बारे में अधिक बात करते हैं और अपने साथी को बताते हैं कि वे सबसे ज्यादा उनके सेक्सुअल रिलेशन मजबूत होंगे।
हाइट बता सकती है, कैंसर का खतरा है या नहीं
कैंसर शरीर के कई हिस्सों को डैमेज कर सकती है। जब बॉडी में कोशिकाएं आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती हैं। तब ये बढ़ने लगती हैं, जो बॉडी के अन्य हिस्सों में फैल जाती हैं।
जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पनपने लगती है। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल के वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारी हाइट से भी कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल रिसर्चरों ने डाइट, वजन, फिजिकल एक्टिविटी और कैंसर के बीच संबंध देखा और पाया कि जिसकी लंबाई ज्यादा है, उसे डिम्बग्रंथि, प्रोस्टेट, पैंक्रियाज, कोलोरेक्टल, स्तन और गुर्दे के कैंसर का उतना ही अधिक खतरा है।
रिसर्चर सुसन्नाह ब्राउन का कहना है कि यह किसी व्यक्ति की हाइट ही नहीं है, बल्कि सिर से पैरों तक की दूरी भी कैंसर के खतरे को बढ़ाती है।
आभार जताने से तनाव कम होगा
अगर आप किसी का आभार जताते हैं, तो चिंता से मुक्त रहेंगे। आयरिश यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने 68 ग्रेजुएट छात्र 24 पुरुष और 44 महिलाएं को रिसर्च में शामिल किया। इनकी उम्र 18 से 57 वर्ष के बीच थी।
इस दौरान लैब में एक प्रयोगात्मक डिजाइन का इस्तेमाल किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को पहले तनाव के लिए उकसाया गया। इस दौरान उनकी कार्डियोवैस्कुलर रिएक्टविटी और रिकवरी को मापा गया।
रिसर्चरों ने पाया जिन लोगों ने तीव्र मनोवैज्ञानिक तनाव से उबरने के लिए आभार जताया उनके दिल ने कम रिएक्ट किया, जो दिल के लिए फायदेमंद हैं। विशेष रूप से हाई ब्लडप्रेशर, कार्डियोवस्कुलर बीमारी और कोरोनरी हार्ट डिजीज में बढ़ोतरी का कारण बनता है। यह रिसर्च जर्नल ऑफ़ साइको फिज़ियोलॉजी में पब्लिश की गई।
शराब पीने वाले बोलते हैं फर्राटेदार विदेशी लैंग्वेज
अक्सर लोगों के शराब पीने के बाद लोग ज्यादा बोलने लगते हैं। कभी कभी ऐसा भी होता है कि दूसरी भाषा बोलने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल, मास्ट्रिक्ट यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज लंदन के रिसर्चरों ने नीदरलैंड में कुछ जर्मन मातृभाषा वाले लोगों पर रिसर्च की।
इसके लिए उन्होंने इन लोगों को कम मात्रा में शराब पिलाई। ये लोग डच यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे थे। सभी जर्मन बोलते थे और हाल ही में डच सीख रहे थे। इनके साथ कुछ डच लोगों को भी साथ लिया गया जो शराब नहीं पिए थे।
इन लोगों के बीच में बातचीत होने लगी। रिसर्चरों ने सभी की बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया। जब बातचीत शुरु हुई, तो जर्मन स्पीकर जो डच सीख ही रहे थे, डच लोगों के साथ फर्राटेदार डच में बोलने लगे। बाद में इन लोगों को खुद डच बोलने पर रेट देने को कहा गया। ये सभी लोग अपनी डच बोलने पर खुद हैरान थे।
इस तरह इनकी डच बोलने की क्षमता बढ़ गई। रिसर्चरों ने बताया कि शराब पीने के बाद डवल लैंग्वेज बोलने वाले लोगों की दूसरी भाषा का स्किल सुधर जाता है। जिससे वह शराब पीने के बाद फर्राटेदार उस भाषा को बोलने लगते हैं। शराब सेल्फ कॉन्फिडेंस को कई गुना बढ़ा देती है। इससे भी दूसरी भाषा को बोलने की क्षमता भी बढ़ जाती है। यह रिसर्च साइंस डेली में पब्लिश की गई है।
चींटियां लगाएंगी ट्यूमर और कैंसर का पता
चींटियां कैंसर का पता लगाएंगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि चींटियां यूरिन की गंध सूंघकर बताएंगी है कि कैंसर या ट्यूमर है या नहीं। रिसर्चरों ने बताया कि चींटियों की नाक नहीं होती है, उनके पास गंध की अविश्वसनीय फीलिंग होती है।
जिससे वो पता लगा सकती हैं। रिसर्च के दौरान रिसर्चरों ने चूहों पर मानव स्तन-कैंसर ट्यूमर के टुकड़े लगाए। इसके बाद उन्होंने फॉर्मिका फुस्का नाम की प्रजाति की 35 चींटियों को ट्यूमर वाले और बिना ट्यूमर वाले चूहों के पेशाब के नमूने लिए।
वहीं, चींटियों को कैंसर से पीड़ित चूहों के यूरिन से अलग चीनी के पानी की एक बूंद डालकर ट्यूमर की गंध का पता लगाने के लिए चींटी को ट्रेंड किया।
रिसर्च में सामने आया कि स्वस्थ चूहों की तुलना में चींटियों ने कैंसरग्रस्त चूहों की यूरिन के आसपास काफी अधिक समय बिताया।
पेरिस, फ्रांस में सोरबोन पेरिस नॉर्ड विश्वविद्यालय के रिसर्चर प्रोफेसर पेट्रीज़िया डी' एटोरे ने बताया, "चींटियों को बायो-डिटेक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि स्वस्थ व्यक्तियों को ट्यूमर से पीड़ित लोगों से अलग किया जा सके। यह रिसर्च जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बायोलॉजिकल साइंसेज में पब्लिश की गई।
कम पढ़े लिखे लोगों की मेंटल हेल्थ पर असर
दुनिया में 14 फीसदी लोग कम साक्षर या अपनढ़ हैं। ऐसे लोग चिंता, अवसाद और अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं। जिससे इन लोगों की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।
इग्लैंड की ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय की रिसर्च में यह बात सामने आई है। यूईए के क्लीनिकल मनोविज्ञान और मनोवैज्ञानिक चिकित्सा विभाग (सीपीपीटी) की टीम ने बताया कि महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर निरक्षरता का असर ज्यादा पड़ता है। दुनिया में निरक्षर महिलाओं का दो तिहाई हिस्सा हैं।
पिछले 50 वर्षों में साक्षरता दर में वृद्धि के बावजूद, वैश्विक स्तर पर अभी भी लगभग 77 करोड़ एडल्ट है, जो पढ़ या लिख नहीं सकते हैं। डॉ लुसी हुन ने का कहना है कि साक्षरता और मेंटल हेल्थ की वैश्विक स्तर की रिपोर्ट्स अध्ययन किया। जिसमें पाया कि कई देशों में साक्षरता और मेंटल हेल्थ का अच्छा रिलेशन है। वहीं, कम साक्षरता वाले लोगों में चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां ज्यादा थीं। यह रिसर्च ए-सिस्टमैटिक रिव्यू जर्नल मेंटल हेल्थ एंड सोशल इंक्लूजन में पब्लिश हुई है।
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