82 साल की अकोल रानी नामासुधरा असम की रहने वाली हैं। उम्र के इस पड़ाव में सरकार ने उन्हें भारतीय नागरिक घोषित किया है। चार महीने पहले ही अकोल से 'द फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल' ने भारतीय होने का प्रमाण मांगा था। 9 साल पहले ऐसे ही एक समन की वजह से अकोल के बेटे अर्जुन ने सुसाइड कर लिया था। बेटे की मौत के 9 साल बाद आखिरकार मां को भारतीय नागरिकता मिली है। लेकिन इस पूरे प्रोसेस में परिवार ने क्या झेला उस दर्द को उनकी बेटी अंजलि ने बयां किया है।
22 साल पुराने केस के आधार पर किया गया था तलब
अकोल सिलचर से करीब 20 किलोमीटर दूर हरितिकर गांव की रहने वाली हैं। इसी साल फरवरी में ट्रिब्यूनल ने उन्हें नागरिकता को लेकर तलब किया था। तलब करने के लिए साल 2000 में रजिस्टर एक केस को आधार बना गया था। केस के अनुसार, अकोल भारत में 25 मार्च 1971 को अवैध तरीके से आई थीं। अकोल के अलावा उनके दोनों बच्चे अंजलि और अर्जुन को 2012 में ट्रिब्यूनल ने नागिरकता साबित करने के लिए समन भेजा था। समन से परेशान अर्जुन ने सुसाइड कर लिया। वहीं 2015 में ट्रिब्यूनल ने अंजलि को भारतीय नागरिक घोषित किया।
महिला के बेटे की मौत का जिक्र मोदी ने रैली में किया
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी असम प्रचार करने पहुंचे थे। वहां एक रैली में मोदी ने अर्जुन की मौत पर शोक जताया था। पीएम ने कहा था- 'मुझे बहुत दुख हुआ। कांग्रेस डिटेंशन कैंप के नाम पर ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन कर रही है। अर्जुन की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। वो उन लाखों लोगों के अधिकारों के लिए मरा, जो असम में डिटेंशन कैंपों में हैं। उसने अपनी जान कुर्बान कर दी। हम इसे बेकार नहीं होने देंगे।'
मेरी मां को मिला समन सदमे से कम नहीं
मीडिया से बात करते हुए अंजलि कहती हैं- जब फरवरी में मेरी मां को ट्रिब्यूनल की तरफ से समन भेजा गया तो मेरे लिए सदमे जैसा था। मेरे भाई के साथ जो कुछ भी हुआ, उसकी वजह हमने बहुत कुछ झेला था। हमें विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर प्रधानमंत्री ने जो कहा उसके बाद भी मेरी मां को फिर से इन सबसे गुजरना पड़ेगा। इस पूरे मामले में हमारे लिए राहत भरी बात ये थी कि स्थानीय वकीलों ने काफी मदद की। उन्होंने हमसे कुछ भी चार्ज नहीं लिया।
अकोल हमेशा से ही भारतीय नागरिक थीं
इंडियन एक्सप्रेस बात करते हुए अकोल के वकील अनिल देय ने कहा- अकोल असम की असली निवासी हैं। वो यहीं जन्मीं और पली-बढ़ी हैं। साल 1965, 1970, 1977 की मतदाता सूची में उनका नाम है। इसके अलावा उनके नाम पर असम में 1971 से पहले जमीन रजिस्टर है। हमने उनकी नागरिकता इस आधार पर साबित की है।
ट्रिब्यूनल में, अकोल ने ये साबित किया कि उनके पिता गोपी राम नामासुधरा हरितिकर के स्थायी निवासी थे। वहीं अनंत कुमार नामासुधरा से शादी के बाद उन्होंने पहली बार 1965 के चुनाव में कटिगोरा विधानसभा में वोट दिया था। जांच-पड़ताल में अकोल ने कहा कि उनकी बेटी को उनके वोटर डॉक्यूमेंट के आधार पर 2015 में भारतीय नागरिक घोषित किया गया था।
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