कचहरी में जहां कुछ लोग अपने वकील से केस को और स्ट्रॉन्ग बनाने की गुहार लगा रहे होते हैं। वहीं काउंसलर के सामने कुछ लोग फूट-फूट कर रो पड़ते हैं तो कुछ एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ उछालते हैं। दरअसल, यह नजारा फैमिली कोर्ट में आम होता है। जन्म-जन्मांतर का बंधन यानी शादी के टूटने के समय ऐसा देखा जाना आम है। महिलाओं पर तलाक के एवज में मोटी रकम मांगने और तलाक को पैसा कमाने का बिजनेस बनाने जैसे संगीन आरोप भी लगाए जाते हैं। पढ़िए, इस मुद्दे पर भास्कर वुमन की पड़ताल...
पत्नी ने मांगे 70 लाख रुपये और मकान में हिस्सा
दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत सुबोध ठाकुर (बदला हुआ नाम) की शादी दो साल पहले हुई थी। शादी मंदिर में हुई थी और बाद में घर पर रिसेप्शन। सुबोध संपन्न परिवार से हैं। अचानक एक रोज पत्नी नाराज होकर मायके चली गई। उन्होंने पत्नी को मनाकर लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं लौटी। कुछ दिन बाद तलाक के पेपर्स भेज दिए। सुबोध की पत्नी ने एलिमनी के तौर पर 70 लाख रुपये और मकान में हिस्सा मांगा था। इसकी खबर लगने के बाद सुबोध समेत उसका परिवार अवाक रह गया।
बहू ने लगाए संगीन आरोप और मांगे 55 लाख रुपये
गाजियाबाद के मुकेश दीक्षित (बदला हुआ नाम) के परिवार की परेशानी भी कुछ ऐसी ही है। मुकेश के बेटे की शादी एक साल पहले हुई थी। शादी समारोह बड़े ही साधारण तरीके से आयोजित किया गया था। अब बहू ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए तलाक मांगा है। साथ ही एलिमनी में 55 लाख रुपये की डिमांड की है। आरोपों से आहत मुकेश की पत्नी कहती हैं कि महानगरों की लड़कियों ने तलाक को धंधा बना लिया है। अच्छे घर के लड़के देखकर शादी करती हैं और एक-डेढ़ साल बाद ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाती हैं। फिर तलाक के एवज में मोटी रकम की मांग करती हैं।
तलाक को बना लिया धंधा!
कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे मनीष भदौरिया कहते हैं कि जब लोग शादी करते हैं, तब साथ रहने और रिश्ता निभाने के लिए करते हैं। उस वक्त लड़की या लड़का कोई भी यह सोचकर शादी नहीं करता है कि उसे शादी के बाद तलाक लेना है। पति या पत्नी तभी तलाक का केस फाइल करते हैं, जब उन्हें लगता है कि अब रिश्ते में कुछ बचा ही नहीं है। हालांकि, मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि अब पति-पत्नी छोटी-छोटी बातों पर भी अलग होने का फैसला कर लेते हैं। ऐसे कई मामलों में काउंसिलिंग के बाद सुलह हो जाती है तो कई बार डिवोर्स हो जाता है।
मोटी रकम मांगने के पीछे हैं कई कारण
एडवोकेट मनीष भदौरिया कहते हैं कि तलाक के ज्यादातर केस पति फाइल करते हैं और मेंटेनेंस के केस पत्नियां। तलाक के दौरान मोटी रकम मांगने के पीछे की एक वजह नेगोशिएशन भी है। अगर कोई महिला 20 लाख मांगती है, तब नेगोशिएट होने के बाद 5 से 7 लाख मिलते हैं। वहीं दिल्ली के एक फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल काउंसलर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि तलाक के दौरान ज्यादा मुआवजा मांगने की वजह से कई रिश्ते बच भी जाते हैं। ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें पत्नी ने तलाक के एवज में मोटी रकम मांगी। जब पति उस रकम को नहीं दे पाया तो उन्होंने अपने रिश्ते को एक बार फिर बचाने की पहल की। साथ रहने की पहल की और आज दोनों साथ में खुश हैं। उनके बच्चे भी हैं।
मध्यस्थता से सुलझ जाते हैं ज्यादातर मामले
साल | कोर्ट | मध्यस्थता के लिए भेजे गए केस | कुल सेटल केस |
2005-2021 | तीस हजारी कोर्ट | 1,11,995 | 96,377 |
2005-2021 | कड़कड़डूमा कोर्ट | 63,862 | 49,276 |
2009-2021 | रोहिणी कोर्ट | 51,152 | 39,906 |
2009-2021 | द्वारका कोर्ट | 45,046 | 36,350 |
2013-2021 | साकेत कोर्ट | 38,970 | 31,808 |
2015-2021 | पटियाला कोर्ट | 13,166 | 10,799 |
भविष्य सुरक्षित करना होती है बड़ी वजह
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट डॉ. सर्वम ऋतम खरे का कहना है कि जब कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी करता है तो वह उसके फ्यूचर को सिक्योर करने के लिए हर संभव प्रयास करता है। जब तलाक होता है तो वह सिक्योरिटी खत्म हो जाती है। तलाक के एवज में मोटी रकम मांगने के पीछे का एक बेसिक कंसर्न लड़की के लिए सिक्योरिटी भी होता है। हालांकि, कोर्ट हर पहलू की जांच करने के बाद ही फैसला करता है कि जो एलिमनी मांगी है वो दी जानी चाहिए या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट मनवेंद्र सिन्हा ने एक मामला साझा किया, जिसमें पति-पत्नी दोनों मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं। दोनों ने एक-दूसरे पर अलग-अलग आरोपों में डेढ़ दर्जन से ज्यादा केस फाइल कर रखे हैं। लड़की के मां-पापा और यहां तक लड़की भी जेल गई। जमानत के बाद लड़की जब फैमिली कोर्ट आई तो उसने कहा कि मुझे कोई एलिमनी नहीं चाहिए। बस मेरे परिवार पर जो केस लगे हैं, उन्हें खत्म करवा दीजिए। लड़के के परिवार वालों ने हां भी कर दिया, लेकिन बाद में पलट गए। आज करीब 7 साल बीत गए और वो केस अब भी चल रहा है। उनका कहना है कि कोर्ट में कमिटमेंट करने के बाद बाहर आते ही एक पक्ष का पलटी मार लेना भी एक वजह हो सकता है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.