फरवरी की शुरुआत में चीनी गुब्बारे को मिसाइल से मार गिराने के बाद से अमेरिका बौखलाया हुआ है। उसकी खुफिया रिपोर्ट ने यहां तक दावा किया है कि चीन भारत सहित कई देशों की जासूसी कर चुका है।
हालांकि यह भी सच है कि चाहे जाूससी हो या फिर दूसरे देशों पर प्रतिबंध लगाने की बात हो अमेरिका ने ही सबसे ज्यादा गुुब्बारे को बतौर हथियार इस्तेमाल किया है।
अमेरिका ने एक तरफ गृह युद्ध के दौरान आजादी हासिल करने के लिए गुब्बारों का इस्तेमाल किया तो वहीं, दूसरे विश्व युद्ध और शीत युद्ध में जासूसी के लिए गुब्बारों को हथियार बनाया। लेकिन अब अमेरिका में पार्टियों, शादियों, खेल सहित सभी तरह के जलसों में गुब्बारों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए अमेरिका के कुछ प्रांतों ने पर्यावरण पर बैलून के नेगेटिव असर को देखते हुए उन पर बैन तक लगा दिया है।
वर्ष 2018 में जब अमेरिका ने क्यूबा के लिए गुब्बारे सहित कई चीजों को बैन कर दिया तो वहां के लोगों ने गुब्बारे का विकल्प कंडोम में ढूंढ लिया। तब यहां के लोगों ने बर्थडे पार्टी, हेयर बैंड समेत कई कामों में बैलून या रबर का रिप्लेसमेंट कंडोम में तलाशा।
गुब्बारे का इस्तेमाल करने में तस्कर भी पीछे नहीं हैं। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर तस्करों ने नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए गुब्बारों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। फरवरी में बीएसएफ द्वारा जब्त किए गए हेरोइन के पैकेट से इस बात का खुलासा हुआ है।
खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय भी देते चलिए-
आइए सबसे से पहले जासूसी गुब्बारे के कुछ पहलुओं को ग्राफिक के जरिए समझते हैं-
भारत और अमेरिका में घुसकर जिस गुब्बारे से जासूसी की जा रही है, वो मामूली गुब्बारा नहीं। उसका इतिहास दूसरे विश्वयुद्ध से जुड़ा है।
फ्रांस ने शुरुआत की, अमेरिका ने उठाया फायदा
जासूसी और युद्ध में गुब्बारों का पहली बार इस्तेमाल फ्रांसीसी क्रांति के दौरान 1794 में किया गया। फ्रांसीसी एयरोस्टेटिक कॉर्प्स ने ‘एंटरप्रीटेंट’ (Entreprenant) गुब्बारे का इस्तेमाल किया था।
बाद में अमेरिकी गृह युद्ध में कई गुब्बारे प्रयोग किए गए। टेक्नोलॉजी में सुधार आया तो पहले विश्वयुद्ध के दौरान फोन लाइनों को गुब्बारों से जोड़ा गया ताकि रियल टाइम में सूचनाएं भेजी जा सकें। दूसरे विश्व युद्ध में तो अमेरिका ने बैलून का भरपूर इस्तेमाल किया। जापान सहित दुश्मन देशों की मिलिट्री लोकेशन, मूवमेंट जानने के लिए US ने हजारों की संख्या में गुब्बारों का इस्तेमाल किया। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने ‘प्रोजेक्ट मोबी डिक’ और ‘प्रोजेक्ट जेनेट्रिक्स’ को सफलतापूर्वक चलाया। इन प्रोजेक्ट के तहत सोवियत यूनियन के ऊपर से US ने हजारों की संख्या में बैलून उड़ाए जिनमें कैमरे लगे थे।
स्पाई सैटेलाइट से ज्यादा स्मार्ट जासूसी गुब्बारे, रडार को देते चकमा
अमेरिकी वायुसेना के एयर कमांड और स्टाफ कॉलेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये जासूसी गुब्बारे कई बार सैटेलाइट्स से भी ज्यादा बेहतर खुफिया मशीनरी साबित होते हैं। ये गुब्बारे संवेदनशील खुफिया जानकारी आसानी जुटा सकते हैं, जो कि सैटेलाइट के लिए मुश्किल काम है। निगरानी के लिए सैटेलाइट्स महंगी साबित होती है, क्योंकि इसके लिए स्पेस लॉन्चर्स की जरूरत पड़ती है। हीलियम गैस भरे होने की वजह से जासूसी गुब्बारे हल्के होते हैं और इनमें लगे एडवांस कैमरे सेना की तैनाती और उसके मूवमेंट का भी पता लगाने के साथ ही रडार को चकमा दे देते हैं। ये सैटेलाइट की तुलना में साफ फोटो खींचते हैं, क्योंकि सैटेलाइट 90 मिनट में पृथ्वी का चक्कर काटते हैं और इस स्पीड की वजह से उनके कैमरे से फोटो धुंधली आती है।
जासूसी के अलावा अब गुब्बारों का इस्तेमाल कई तरीके से किया जाने लगा है। इसके साथ ही आजकल तरह-तरह के गुब्बारे मिलते हैं। जानिए इन ग्राफिक्स में-
240 साल पहले इंसान को आकाश में उड़ने का पहला अनुभव ‘हॉट एयर बैलून’ ने दिया
आज से करीब 240 साल पहले इंसान को आकाश में जाकर धरती पर लौटने का पहला अनुभव हॉट एयर बैलून के जरिए हुआ था। फ्रांस के जोसेफ-मिशेल भाइयों ने 4 जून 1783 को दुनिया का पहला हॉट एयर बैलून बनाया, जो करीब 10 मिनट तक हवा में उड़ा। इसके लगभग ग्यारह महीनों बाद यानी 21 नवंबर 1783 को उनके हॉट एयर बैलून ने पेरिस में दो इंसानों- जीन फ्रैंकोइस और फ्रैंकोइस लॉरेंट को लेकर पहली उड़ान भरी। यह करिश्मा राइट ब्रदर्स के हवाई जहाज की पहली उड़ान भरने से लगभग 120 साल पहले हुआ था।
आजकल तुर्की में मौजूद कप्पासोडिया ‘हॉट एयर बैलून राइड’ करने वालों के लिए बेहद फेमस है। यहां की सुंदर और ऊंची पहाड़ियों के बीच भव्य घाटियां गुब्बारों से उड़ान भरने वालों के लिए रोमांच पैदा कर देती हैं।
आगे बढ़ने से पहले यह भी समझते चलिए कि आजकल कौन-से ऐसे मैटेरियल हैं जिनसे गुब्बारे बनते हैं-
अब बैलून केवल डेकोरेशन और जासूसी करने के लिए ही इस्तेमाल नहीं हो रहे, बल्कि इनसे मोटापा कम करने और दिल को दुरुस्त रखने में भी मदद ली जा रही है।
पेट में डालिए बैलून, 20 किलो तक कम हो जाएगा वजन
एक खास तरह के बैलून की मदद से एक साल में आसानी से 15 से 20 किलो तक का वजन घट सकता है। लिक्विड से भरा यह बैलून पेट में एक खास जगह रहकर भूख को कंट्रोल करता है। इससे व्यक्ति की खुराक कम हो जाती है और वजन घटने लगता है।
SGPGI लखनऊ के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर प्रवीर राय ने एक वर्कशॉप में कहा कि गैस्ट्रिक बैलून मोटापा कम करने का आसान तरीका बन चुका है। इसमें एंडोस्कोपी के जरिए मरीज के पेट में एक सिलिकॉन बैलून डाला जाता है जो 300 से 800 एमएल लिक्विड की क्षमता वाला होता है।
गुब्बारे को पेट में डालने के बाद उसमें नीले रंग का लिक्विड भर दिया जाता है ताकि पेट के अंदर अगर गुब्बारे से रिसाव हो तो उसे पहचाना जा सके। यह बैलून एक साल तक व्यक्ति के पेट में रह सकता है।
हार्ट को मजबूत करने में बैलून थेरेपी कारगर, अटैक आने पर भी इस्तेमाल
दिल को मजबूत रखने के लिए बैलून थेरेपी का भी इस्तेमाल होने लगा है। जब नसों में ब्लड फ्लो ठीक से नहीं होता तो हार्ट को कई खतरों का सामना करना पड़ता है। इससे सीने में दर्द या एंजाइना अटैक आ सकता है। और अगर कोरोनरी आर्टरीज पूरी तरह से ब्लॉक हो जाएं तो हार्ट अटैक होता है। ऐसे में बैलून थेरेपी यानी कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (Coronary Angioplasty) की प्रक्रिया अपनाई जाती है जिससे बंद आर्टरीज को खोला जाता है। कोरोनरी एंजियोप्लास्टी में एक बेहद छोटी गुब्बारेनुमा डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है। यह डिवाइस धमनी के अंदर जाकर फूलती है और उसे चौड़ा करने में मदद करती है।
किसी भी सेलिब्रेशन में गुब्बारे से डेकोरेशन किया जाना आम बात है। पर आपको शायद ही पता हो कि रबर के गुब्बारे का आविष्कार करीब 200 साल पहले माइकल फैराडे ने 1824 में किया था। ये गुब्बारे रबड़ के पेड़ों से निकलने वाले लेटेक्स से बनते हैं। रबर का एक पेड़ करीब 40 साल तक लेटेक्स दे सकता है।
कभी एक खेल का नाम था गुब्बारा
मैकमिलन डिक्शनरी के मुताबिक, गुब्बारा यानी बैलून शब्द संभवतः इतालवी शब्द 'पैलोन' से आया है जिसका अर्थ है 'बड़ी गेंद'। 1570 के दशक में, गुब्बारा एक लोकप्रिय खेल हुआ करता था जिसे एक बड़ी फूली हुई लेदर बॉल का उपयोग करके खेला जाता था जिसे किक करके आगे और पीछे उछालते थे। 1590 के दशक तक, गुब्बारे शब्द का प्रयोग गेंद के लिए ही किया जाता रहा।
प्लास्टिक गुब्बारे में LPG भर कर जमाखोरी कर रहे पाकिस्तानी
पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली के बाद से दिनों-दिन महंगाई बढ़ी तो रोजमर्रा की चीजों की किल्लत भी हो रही है। इस साल जनवरी में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें देखा गया कि रसोई में इस्तेमाल होने वाली LPG गैस को लोग सिलिंडर के बजाय प्लास्टिक के गुब्बारे में भर रहे थे। खबरों के मुताबिक, लोग ऐसा इसलिए कर रहे थे ताकि ज्यादा से ज्यादा गैस जमा करके रखी जा सके।
14 करोड़ की हेरोइन तस्करी के लिए किया गया दो गुब्बारों का इस्तेमाल
पाकिस्तानी तस्करों ने भारत के सीमावर्ती इलाकों में हेरोइन की तस्करी के लिए ड्रोन की बजाय गुब्बारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। बीती 16 फरवरी को BSF ने अमृतसर में किसानों की मदद से 14 करोड़ रुपए की कीमत की दो पैकेट हेरोइन जब्त की।
सड़क पर गुब्बारे बेचते-बेचते राजस्थानी लड़की बन गई मॉडल
एक साल पहले केरल की सड़कों पर घूम-घूमकर गुब्बारे बेचने वाली लड़की किस्बू अब अपनी खूबसूरत अदाकारी के लिए जानी जा रही हैं। केरल में अंडालूर कावु फेस्टिवल के दौरान फोटोग्राफर अर्जुन कृष्णन की नजर गुब्बारे और रोशनी के बीच खड़ी किस्बू पर पड़ी तो उन्होंने फौरन उसकी एक तस्वीर खींच ली। इसके बाद उन्होंने इस फोटो को इंस्टाग्राम पर शेयर किया तो वह फोटो वायरल हो गई।
अर्जुन के बाद उनके दोस्त श्रेयस ने भी किस्बू की एक तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर की। वह भी कुछ ही देर में वायरल हो गई। इसके बाद किस्बू के परिवार से उनके लिए मेकओवर फोटोशूट कराने लिए कॉन्टैक्ट किया गया। फिर स्टाइलिस्ट रेम्या की मदद से किस्बू का मेकओवर किया गया।
अमेरिका ने क्यूबा के लिए बैलून किए बैन, लोगों ने कंडोम को बना लिया विकल्प
5 साल पहले 2018 में अमेरिका ने क्यूबा पर बैलून सहित तमाम जरूरी चीजों के लिए बैन लगा दिया था। उसके बाद क्यूबाई लोग कंडोम का इस्तेमाल बर्थडे पार्टी, फेस्टिवल सहित कई अवसरों में गुब्बारे की जगह करने लगे। देश में तमाम कमियों को देखते हुए यहां के लोगों ने उपलब्ध चीजों से ही बाकी के काम पूरा करना बेहतर समझा।
अमेरिका में कई प्रांतों ने बैलून पर लगाया प्रतिबंध, अगले साल पूरी तरह बैन की तैयारी
अमेरिका के वर्जिनिया, मैरीलैंड और हवाई प्रांतों में हर तरह के मैटेरियल से बने बैलून पर प्रतिबंध के बाद अब कैलिफोर्निया ने भी पूरी तरह बैलून को बैन कर दिया है। इसके बाद न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में भी ऐसा ही कदम उठाने की तैयारी चल रही है।
माइक्रोप्लास्टिक पर स्टडी करने वाली स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ऑशियानोग्राफी की शोधकर्ता कारा विगिनी कहती हैं, बैलून जीवों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। जैसे- पानी में तैरने वाले बैलून को समुद्री जीव खा जाते हैं। अगर समुद्री चिड़िया इसे खा ले तो उनके मरने का खतरा 32 गुना तक बढ़ जाता है। जंगली जानवर के पेट में भी पहुंचने का खतरा है।
अमेरिका में आग बुझाने वाले स्थानीय कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि फॉयल बैलून बिजली की लाइन में फंस जाते हैं और शहर में ब्लैक आउट के साथ आग लगने का खतरा भी बढ़ता है। विशेषज्ञों का कहना है, कई बार बैलून के कारण आग लगने की घटना को बढ़ावा मिलता है। अगर ऐसा जंगलों में होता है तो आग बड़े स्तर पर फैल जाती है।
पानी भरे गुब्बारे राहगीरों पर फेंके तो मिलेगी सजा
होली तो चली गई है लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर किसी राहगीर पर बिना पूछे गुब्बारे फेंके जाएं तो फेंकने वाले पर कार्रवाई की जा सकती है। दिल्ली कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील दिलीप कुमार का कहना है कि अगर कोई किसी की सहमति के बिना पानी से भरे गुब्बारे या कोई ठोस या तरल पदार्थ दूसरे व्यक्ति पर फेंकता है तो आईपीसी की धारा 352 के तहत भी मारपीट का मामला दर्ज किया जा सकता है, जिसमें 3 महीने की सजा का प्रावधान है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार, किसी को चोट पहुंचाने, जबरदस्ती करने से जुड़े केस में मामला दर्ज हो सकता है। इसमें एक महीने तक जेल या दो सौ रुपये तक का जुर्माना संभव है। महिलाएं भारतीय संहिता की धारा 509 के तहत छेड़खानी की शिकायत कर सकती हैं। इस धारा में दोषी पाए जाने पर एक साल का कारावास या जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
अडानी पर रिपोर्ट देने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी का भी है गुब्बारे से कनेक्शन
अडानी ग्रुप पर उंगली उठाने वाली हिंडनबर्ग कंपनी का नाम भी एक गुब्बारे पर ही रखा गया है। दरअसल 'हिंडनबर्ग' नाम आज से करीब 86 साल पहले 6 मई 1937 की दुर्घटना के बाद चर्चा में आया। इस तारीख को जर्मनी का फेमस एयरशिप 'हिंडनबर्ग' अमेरिका के न्यू जर्सी के पास नेकहेर्स्ट नेवल एयरस्टेशन पर उतरने वाला था। लेकिन एयरशिप में हाइड्रोजन गैस से भरा बैलून या गैस बैग फट गया और विमान में सवार कुल 97 में से 35 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। बाकी ने 200 मीटर ऊंचाई पर मौजूद हिंडनबर्ग एयरशिप से कूद कर जान बचाई थी।
आरोप लगाया जाता है कि हाइड्रोजन के गुब्बारों में पहले भी हादसे हो चुके थे, ऐसे में यह हादसा टाला जा सकता था। लेकिन एयरलाइंस ने इस स्पेसशिप में जबरन 100 लोगों को बैठाया। हिंडनबर्ग कंपनी का दावा है कि इसी हादसे की तर्ज पर वो शेयर बाजार में हो रही गड़बड़ियों पर नजर रखते हैं और उनकी पोल खोलते हैं।
आखिर में गुब्बारों से जुड़े कुछ और तथ्यों पर भी गौर कर लीजिए-
ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा
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