समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की कंप्लीट शालीन लुक वाली वाइफ डिंपल यादव की साड़ी ड्रेपिंग स्टाइल वाकई अट्रैक्ट करता है।
चुनाव प्रचार हो या संसद, उनका प्लीटेड पल्लू उनके व्यक्तित्व की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है। वैसे साड़ी ड्रेपिंग का यह स्टाइल टीचर्स और एयर होस्टेस के बीच लोकप्रिय होता है।
आमतौर पर डिंपल यादव अपने आंचल को तीन चाैड़ी प्लीट्स बनाकर कंधे पर लेती है। वहीं राजनेता स्मृति ईरानी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने के लिए और पल्लू को अपने काबू में रहने के लिए पूरे आंचल को दो बड़ी प्लीट में समेटकर या तो कंधे पर लेती हैं या दूसरे कंधे से घुमाकर सामने ले आती हैं।
ऐसा लगता है जैसे वह अपने व्यक्तित्व और सोच को सशक्त अंदाज में सामने रख रही हैं। राजनेता के रोल से अलग भूमिका निभाने के दौरान कभी-कभी डिंपल यादव पल्लू को लहराते स्टाइल में भी लेती हैं।
कांस फिल्म फेस्टिवल के लिए ऐश्वर्या की भी पसंद थी साड़ी
विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय बच्चन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात के दौरान नीली रंग की साड़ी पहनी थी। आज भी उस मौके की तस्वीर लोगों को याद है। इसके अलावा कांस फिल्म फेस्टिवल के मौकों के लिए भी उन्होंने कई बार साड़ी को चुना और ड्रेपिंग स्टाइल के साथ कई एक्सपेरिमेंट किए।
साल 2003 में कांस फेस्टिवल के रेड कार्पेट पर चलने के लिए उन्होंने ‘पैरेट ग्रीन’ की साड़ी चुनी। इसमें उन्होंने सीधे पल्लू के ड्रेपिंग स्टाइल को अपनाया। वहीं इस फिल्म फेस्टिवल में ‘देवदास’ के प्रमोशन के लिए उन्होंने येलो साड़ी पहनी थी।
साड़ी ने 74 प्रतिशत महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया
दिल्ली विश्वविद्यालयों की शिक्षिकाओं पर हुई एक स्टडी में करीब 74 प्रतिशत ने माना कि साड़ी पहनने से उनका आत्मविश्वास अधिक हो जाता हैं। इस स्टडी से जुड़ी डॉ. सुनंदा भारती के अनुसार, “साड़ी में महिलाएं अधिक अनुशासित, गंभीर और विचारवान नजर आती हैं। स्टूडेंट्स को पढ़ाते समय कम उम्र की शिक्षिकाओं का कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है।”
ड्रेपिंग स्टाइल को मिले प्रोटेक्शन
ज्योग्राफिकल इंडिकेक्शन्स ऑफ गुड्स एक्ट 1999 के तहत रजिस्टर्ड 344 जीआईएस (ज्योग्राफिकल इंडिकेक्शन्स) वस्तुओं में 27 वस्तुएं साड़ी से संबंधित हैं।
अगर इसमें भागलपुरी सिल्क, कांचीपुरम सिल्क, मैसूर और मूगा सिल्क को भी शामिल कर दिया जाए, तो इसकी संख्या बढ़कर 31 हो जाएगी। लेकिन इनके साथ साड़ी शब्द का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं होने की वजह से साड़ी की वैराइटी की गिनती 27 तक ही सीमित रह जाती है।
इंदिरा गांधी भी विदेशी दौरों के लिए साड़ियां चुनती थी
डाॅ. सुनंदा भारती का कहना है कि साड़ी पहनने का भारतीय स्टाइल देश की विविधता की झलक देता है और स्थानीय संस्कृति की कहानी कहता है। डॉ. सुनंदा के अनुसार, साड़ी ड्रपिंग स्टाइल एक तरह का ट्रेडिशनल नॉलेज (टीके) है, जो ट्रेडिशनल कल्चरल एक्सप्रेशन (टीसीई) को दिखाता है। इसलिए यह जरूरी है कि ड्रेपिंग स्टाइल को प्रोटेक्ट किया जाए और तरह-तरह से पल्लू लेने के तरीकों को अपनी पहचान मिले।
मेरे अनुसार, महिला राजनेताओं को साड़ी पहनना एक अलग ही आत्मिवश्वास देता होगा। हमारी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस आत्मविश्वास का बेहतरीन उदाहरण है जिन्हें सभी अंतरराष्ट्रीय अवसरों पर देश की विविध कलाकारी से सजी खूबसूरत साड़ियों में देखा जाता रहा है।
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