दुनिया में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए फ्रांस ने पहला और इकलौता डेटिंग ऐप और वेबसाइट बनाई- Gleeden। इस ऐप को एक महिला ने ही महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया। इससे चलाने वाली पूरी टीम भी महिलाओं की है। ये ऐप महिलाओं के लिए बिल्कुल फ्री है, जबकि पुरुषों को इसके इस्तेमाल के लिए पैसे देने पड़ते हैं।
वैसे तो फ्रांस में यह ऐप 2009 में लॉन्च हुआ था लेकिन भारत में इसकी एंट्री साल 2017 में हुई। पांच साल पुराने ऐप से जुड़ी नई खबर ये है कि इस पर यूजर्स की संख्या एक करोड़ पहुंच गई है। इसमें 20 लाख यूजर्स अकेले भारत से हैं जो सितंबर 2022 के बाद 11 फीसदी की दर से बढ़े हैं।
दिल्ली-मुंबई ही नहीं छोटे शहरों में भी ऐप के जरिए एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर
डेटा के मुताबिक, भारत के हर शहर के यूजर्स एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें 66 फीसदी यूजर्स टियर-1 सिटीज से हैं, जबकि 34 फीसदी टियर 2 और 3 सिटीज के हैं। यानी इस डेटिंग ऐप की पहुंच न सिर्फ मुंबई, बेंगलुरू, दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों तक है बल्कि मेरठ, भोपाल, पटना जैसे शहरों में भी लोग इसे यूज कर रहे हैं। ऐप पर साल 2019 में बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, जयपुर, भोपाल, इंदौर, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, गुरुग्राम, अहमदाबाद, चंडीगढ़, लखनऊ, कोच्चि, नोएडा, गुवाहाटी, विशाखापट्टनम, नागपुर, सूरत और भुवनेश्वर के पुरुषों ने ही नहीं महिलाओं ने भी रजिस्ट्रेशन किया था।
बेंगलुरु बन रहा देश का बेवफा शहर
बेंगलुरु में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स तेजी से आम हो रहा है, जिसकी वजह से इसे ‘देश की बेवफाई की राजधानी’ कहा जाने लगा है। ग्लीडेन पर बेंगलुरु यूजर्स हर दिन एवरेज डेढ़ घंटा बिताते हैं। ऐप यूज करने का उनका समय 12-3 बजे यानी कि लंच के समय या 10 से आधी रात होता है। ऐप पर जहां पुरुष 24-30 साल की महिलाओं को, वहीं महिलाएं 31-40 की उम्र वाले पुरुषों को तलाशती हैं। मेल यूजर्स हर चीज के लिए ओपन है। खासकर कुछ रोमांचकारी, जबकि महिलाएं अधिक सर्तकता से वर्चुअल रिश्ते को प्रिफरेंस देती हैं। साल 2020 के अप्रैल में, वेबसाइट ने पूरे भारत में एक सर्वे किया। इस सर्वे में शामिल पुरुषों और महिलाओं से पूछा गया कि उन्होंने अपने पार्टनर को धोखा क्यों दिया? उन लोगों का जवाब जो रहा, उसे नीचे दिए गए ग्राफिक में देखिए।
भारतीय महिलाओं की बेवफा होने की बड़ी वजह शादी में बोरियत
डेटिंग ऐप Gleeden का सर्वे भी यही कहता है कि भारतीय महिलाओं की शादी में बेवफाई की 77 फीसदी वजह नीरसता है। अंग्रेजी शब्द Boredom का हिंदी मायना निकाला जाए तो बोरियत, नीरसता, अरुचि, ऊब जैसे शब्द सामने आते हैं। भारत में शादियां दो लोगों से ज्यादा फैमिली को ध्यान में रखकर की जाती हैं। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रांची (CIP) में अस्टिटेंट प्रोफेसर डॉक्टर संघमित्रा गोडी कहती हैं कि शादी में बोरियत के पीछे सबसे बड़ी वजह कम्युनिकेशन का न होना है। महिलाएं इमोशनल इंटिमेसी चाहती हैं। वहीं, पुरुषों को फिजिकल इंटिमेंसी चाहिए होती है। दोनों ही अपने पार्टनर से न तो खुलकर बात करते हैं और न ही प्यार, अफेक्शन, तारीफ जाहिर करते हैं। टेक्नोलॉजी के आने के बाद से आपसी कम्युनिकेशन भले ही कम हुआ हो, मगर बाहरी कम्युनिकेशन बढ़ा है। जिसने हमारे यहां शादी के कॉन्सेप्ट को चटका दिया है।
बेवफाई में आगे लेकिन तलाक की वजह भी यही
भारत में तलाक लेने की दर दुनिया में सबसे कम है। हालांकि, देश में पिछले कुछ सालों में तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं। UN वुमन की ‘प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड्स वुमन’ रिपोर्ट बताती है कि भारत में तलाक की दर 1.1 फीसदी है। मतलब 100 कपल की शादी में से औसतन 1 कपल का तलाक होता है। उसमें भी एडल्ट्री एंड इंकम्पैटिबिलिटी के कारण ज्यादातर शादियां टूट रही हैं।
एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की पीछे की वजह क्या?
शादी या रिश्ते में चीटिंग की लोगों के पास अपनी वजहें होती होंगी। लेकिन कुछ सर्वे की मानें तो घरेलू हिंसा, कम्युनिकेशन गैप, अटेंशन न मिल पाना, अकेलापन, बच्चे की जिम्मेदारी, शारीरिक असंतोष, भावनात्मक लगाव न होना, कम उम्र में शादी हो जाना, गलत वजहों से शादी कर लेना, बुनियादी मूल्यों पर असहमति, लाइफ की प्रॉयरिटी अलग होना, कॉमन इंटरेस्ट का न होना, रिश्ते में एक्साइटमेंट की कमी होना, करियर अचीवमेंट जैसी तमाम बातों की वजह से लोग एक्स्ट्रा मैरिटल की तरफ जाते हैं। लेकिन इन सबमें सब आम कारण शारीरिक जरूरतों का पूरा न होने से भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर शुरू होते हैं।
पटना की मैरिज काउंसलर अर्चना सहाय कहती हैं कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की कोई एक वजह नहीं होती, लेकिन ऐसे लोगों की सोच आज में जीने की होती है। वो भविष्य का नहीं सोचते हैं। उन्हें लगता है कि आज जो है बस वही सब कुछ है। ऐसे लोग आत्मकेंद्रित होते हैं। हमारे समाज में शादी का आधार ही भरोसा है। दो लोग भरोसे की वजह से एक रिश्ते में आते हैं। जब दोनों में से कोई भी पार्टनर उस भरोसे को तोड़ता है यानी वो शादी के आधार को ही खारिज कर रहा है।
मैरिड होते हुए भी फ्लर्ट करना कितना सही?
कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स में वर्कप्लेस में ‘पॉजिटिवली एक्सपीरिएंस सोशल सेक्शुअल बिहेवियर’ को लेकर एक रिसर्च की गई। इसमें लाइट फ्लर्टिंग और कलीग के साथ हंसी-मजाक जैसी बातों को शामिल किया गया। रिसर्च का दावा है कि वर्कप्लेस पर कलीग के साथ लाइट फ्लर्टिंग हार्मलेस और फायदेमंद हो सकती है। कैजुअल फ्लर्टिंग से स्ट्रेस कम होता है। फ्लर्ट और चीटिंग के बीच बारीक अंतर होता है। रिश्ते में होते हुए आप किसी से फ्लर्ट कर रहे हैं तो उस लाइन को समझना होगा। एक्सपर्ट भी कहते हैं कि हेल्दी फ्लर्टिंग गलत नहीं है, अगर अपनी सीमाओं को याद रखा जाए तो। रिश्ते की बाउंड्री भी हर कपल के लिए अलग हो सकती है। रिश्ते और व्यवहार में कुछ ऐसे संकेत मिलते है, जिससे आप या आपका पार्टनर बेवफाई की तरफ बढ़ रहा है, यही समय रिश्ते का रेड फ्लैग कहलाता है। जैसे-
कब फ्लर्टिंग चीटिंग में बदल जाती है, पहचानें ‘रिश्तों की लक्ष्मणरेखा’
कोरोना के दौरान का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर इमोशनल
इथोपिया के WOLLEGA यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग में बतौर अस्टिटेंट प्रोफेसर पढ़ा रहे डॉक्टर अभाष परिदा कहते हैं- कई स्टडी का दावा है कि ऐसे लोग जो अक्सर यात्रा करते थे या जो घर से बाहर रहना पसंद करते थे, आमतौर पर वो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की तरफ ज्यादा जाते हैं। लेकिन कोरोना के दौरान सबका मूवमेंट बंद हुआ। घर पर रहने के दौरान घरेलू हिंसा, इमोशनल आउटबर्स्ट, सुसाइड और डिप्रेशऩ के मामले बढ़े। कोविड के दौरान अधिकांश एक्स्ट्रा मैरिटल के पीछे सेक्स एडिक्शन या सेक्शुअल एनकाउंटर नहीं, बल्कि इमोशनल हीलिंग वजह थी। एक रिसर्च के मुताबिक, केवल 10% एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर ही सेक्शुअल एनकाउंटर, जबकि 90% इमोशनल सूदिंग के लिए होते हैं।
अर्चना कहती हैं- आज पार्टनर्स रिश्तों में एक-दूसरे की थोड़ी सी बेवफाई नजरअंदाज या हजम कर रहे हैं। एक-दूसरे को चिढ़ाने या बदला लेने के भाव से भी पार्टनर ऐसा कर रहे हैं। इमोशनल रिलीफ और स्ट्रेस रिलीज करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसके रेड फ्लैग को पहचानना जरूरी है। अगर ये बेवफाई अपनी हद के बाहर नहीं जाती तो इग्नोर हो जाती है लेकिन रिश्ते के रेड सिग्नल को न पहचान पाए और बेवफाई हजम नहीं हुई होती तो अभी जो देश में 1.1 फीसदी तलाक के मामले हैं तो इसकी गिनती ज्यादा होती।
ग्राफिक्स: सत्यम परिडा
नॉलेज बढ़ाने और जरूरी जानकारी देने वाली ऐसी खबरें लगातार पाने के लिए डीबी ऐप पर 'मेरे पसंदीदा विषय' में 'वुमन' या प्रोफाइल में जाकर जेंडर में 'मिस' सेलेक्ट करें।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.