उम्र कुछ भी हो लेकिन हर कोई खूबसूरत और जवान दिखना चाहता है। आप बॉलीवुड की सदाबहार हीरोइन रेखा, हेमा मालिनी या अनिल कपूर को ही देख लीजिए। इन सबकी उम्र 65 पार हो चुकी है, लेकिन आज भी ये स्टार चेहरे से युवा दिखते हैं। 50 पार की माधुरी दीक्षित को देखकर भी लगता है कि उनकी उम्र थम-सी गई है।
लेकिन क्या ये संभव है कि उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर झुर्रियां न आएं? तो इसका जवाब है- नहीं। माना जाता है कि एजिंग के लक्षण 30 साल की उम्र के बाद ही शुरू होने लगते हैं, लेकिन बढ़ता स्ट्रेस, खराब डाइट और लाइफस्टाइल से भी समय से पहले चेहरे पर झुर्रियां आ जाती हैं।
हालांकि, आजकल ऐसे कई ब्यूटी ट्रीटमेंट आ चुके हैं जो स्किन को यंग बनाए रखने में मदद करते हैं। ऐसा ही एक ट्रीटमेंट है ‘बोटॉक्स।’ हालांकि, अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर भी आप आसानी से जवां दिख सकते हैं। इसके बारे में बाद में बात करेंगे। पहले बोटॉक्स के बारे में जान लेते हैं।
ब्यूटी ट्रीटमेंट की कहानी आगे पढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय साझा करते चलें...
कई नामी सेलेब्स इस ब्यूटी ट्रीटमेंट को अपना रहे हैं। 90 के दशक में बॉलीवुड एक्ट्रेस रहीं नीलम कोठारी सोनी ने कुछ समय पहले ‘बोटॉक्स’ कराते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो डाला था। हॉलीवुड अभिनेत्री किम कर्दाशियां ने भी अपनी खूबसूरती का यही राज फैंस के साथ शेयर किया।
एक तरह का जहर है ‘बोटॉक्स’
‘बोटॉक्स’ एक ड्रग है जो असल में पॉइजन है। यह क्लॉस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium Botulinum) नाम के बैक्टीरिया से बनता है। यह वही जहर है जो फूड पॉइजनिंग का काम करता है। मगर आजकल इसका ब्यूटी ट्रीटमेंट के लिए खूब इस्तेमाल हो रहा है। ‘बोटॉक्स’ फेस फ्रीजिंग इंजेक्शन है जिससे चेहरे की मांसपेशियों को फ्रीज कर दिया जाता है।
दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर फाइन लाइन्स दिखने लगती हैं क्योंकि कसावट कम होने पर त्वचा ढीली पड़ने लगती हैं इसलिए झुर्रियां नजर आती हैं।
आगे बढ़ने से पहले इस ग्राफिक्स के जरिए जान लीजिए कि किस उम्र में इस ट्रीटमेंट को कराना चाहिए:
‘बोटॉक्स’ कोई ट्रीटमेंट नहीं, ब्रांड है
आज भले ही झुर्रियों को रोकने के लिए ‘बोटॉक्स’ पॉपुलर हो गया है लेकिन यह कोई ट्रीटमेंट नहीं, बल्कि कंपनी का ब्रांड नेम है। सबसे पहले इसी ब्रांड ने एंटी एजिंग के लिए Botulinum नाम के इंजेक्शन बनाए। आजकल एंटी एजिंग के लिए कई ब्रांड मार्केट में आ गए हैं।
समझिए कैसे काम करता है ‘बोटॉक्स’
‘बोटॉक्स’ इंजेक्शन के जरिए दिमाग से चेहरे की मांसपेशियों तक पहुंचने वाले सिग्नल को ब्लॉक कर दिया जाता है, ताकि चेहरे की मांसपेशियां सिकुड़ें नहीं। आसान शब्दों में कहें तो ‘बोटॉक्स’ इंजेक्शन मसल्स को कुछ समय के लिए पैरालाइज्ड कर देते हैं जिससे एजिंग पर कुछ समय के लिए फुलस्टॉप लग जाता है। उम्र के असर को रोकने का असल खेल यही है।
इसका इंजेक्शन फोरहेड लाइन्स यानी माथे, क्रो फीट यानी आंखों के पास की लाइनों और फ्राउन लाइन्स यानी भौंहों के बीच के भाग में लगाया जाता है। यह कुछ मिनटों का ही प्रॉसेस है। इसमें बेहोश करने की जरूरत नहीं होती और यही कॉस्मेटिक सर्जरी कहलाती है।
ट्रीटमेंट लेने से पहले स्किन की जांच जरूरी
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. विनय सिंह ने बताया कि 30 साल के बाद चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं, क्योंकि त्वचा को जवान बनाने वाला प्रोटीन फाइबर ‘कोलेजन’ कम होने लगता है। इसका कारण वर्कप्रेशर, पर्यावरण में बदलाव या हॉर्मोन बदलना हो सकता है।
‘बोटॉक्स’ हमेशा अच्छे स्किन स्पेशलिस्ट से ही कराना चाहिए, क्योंकि अगर इसे गलत तरीके से किया जाए तो चेहरा बिगड़ सकता है। इसे कराने से पहले स्किन स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।
डर्मेटोलॉजिस्ट सबसे पहले स्किन की जांच करते हैं और यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि किस जगह कितनी यूनिट Botulinum दिया जाएगा। सबकी त्वचा अलग होने के साथ-साथ एजिंग प्रॉसेस भी अलग होती है। ऐसे में Botulinum की मात्रा भी उसी हिसाब से तय होती है।
डॉक्टर विनय सिंह कहते हैं कि बोटॉक्स सेफ है। जांच के बाद स्किन स्पेशलिस्ट को पता चल जाता है कि ट्रीटमेंट लेने वाले की उम्र किस रफ्तार से बढ़ रही है। झुर्रियां कितनी गहरी हैं, कौन सी मसल्स को फ्रीज करना है।
बोटॉक्स ट्रीटमेंट झुर्रियों के हिसाब से किया जाता है। आइए ग्राफिक्स के जरिए झुर्रियों को समझते हैं:
कई तरह के होते हैं बोटॉक्स ट्रीटमेंट
मेसोबोटॉक्स (Mesobotox) : यह बोटॉक्स का बेबी वर्जन है। इसमें बोटॉक्स को कम मात्रा में इंजेक्ट किया जाता है। इससे पता चल सकता है कि शरीर में इसका असर कैसा हो रहा है। इसे एक तरह का टेस्टिंग प्रॉसेस भी कहते हैं।
मास्सेटर बोटॉक्स (Masseter botox) : यह जॉ लाइन का बोटॉक्स होता है। इसमें Masseter नाम की मांसपेशी को रिलैक्स किया जाता है। यह मांसपेशी खाना चबाने के काम आती है। बोटॉक्स इंजेक्शन देने के बाद जॉ स्क्वॉयर हो जाता है जिससे चेहरा पतला दिखने लगता है। हमारे देश में 22 साल की उम्र के लोग इसे लेने लगे हैं। इसके जरिए फेस की शेप में बदलाव आता है। इसका असर 8 महीने तक रहता है।
नेफर्टिटी लिफ्ट बोटॉक्स (Nefertiti lift Botox): इसमें गले पर इंजेक्शन लगाया जाता है। इसका मकसद गले और जॉ लाइन में कसावट लाना होता है।
बोटॉक्स ट्रीटमेंट के कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जो कुछ समय बाद ठीक भी हो जाते हैं। ग्राफिक्स से समझें:
ट्रीटमेंट लेने वालों में 70 फीसदी महिलाएं
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. ललित चौधरी ने बताया कि एजिंग की पहली स्टेज पर केमिकल पील, लेजर जैसे ट्रीटमेंट दिए जाते हैं। जब चेहरे के एक्सप्रेशन और बात करते समय चेहरे की लाइनें ज्यादा दिखने लगे तो उसके लिए बोटॉक्स ट्रीटमेंट लिया जाता है ।
जब झुर्रियां ज्यादा हों तो स्किन लिफ्टिंग टेक्निक इस्तेमाल की जाती है। कुछ लोग ‘थ्रेड लिफ्ट’ जैसा नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट कराते हैं जिनसे बचना चाहिए। इनका असर लंबे समय तक नहीं रहता। साथ ही इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं। इससे चेहरे पर धब्बे हो सकते हैं और चेहरा खराब भी हो सकता है। इसलिए एक अच्छा स्किन स्पेशलिस्ट कभी इसकी सलाह नहीं देता।
एंटी एजिंग ट्रीटमेंट के लिए महिला-पुरुष दोनों आते हैं लेकिन इनमें 70 फीसदी महिलाएं ही होती हैं। हर रोज कम से कम 5 लोग इस ट्रीटमेंट के लिए पहुंचते हैं।
हालांकि, खूबसूरत दिखने के लिए झुर्रियों को छुपाना कोई नई बात नहीं है। सदियों से महिलाएं ऐसा करती आई हैं। तब इसके तरीके अलग-अलग थे। आइए इतिहास के पन्नों को पीछे पलटते हुए आपको ले चलते हैं मिस्र में।
लेकिन इससे पहले बताते हैं कि किन लोगों को बोटॉक्स ट्रीटमेंट से बचना चाहिए:
मिस्र की रानी क्लियोपैट्रा गधी के दूध से नहाती थीं
2000 साल पहले की बात है जब मिस्र में रानी क्लियोपैट्रा का राज था। उनकी खूबसूरती के चर्चे पूरी दुनिया में थे। बताते हैं कि क्लियोपैट्रा अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए गधी के दूध से नहाती थीं। आपको हैरानी तो हो रही होगी मगर हकीकत यह है कि गधी के दूध में फैटी एसिड्स होते हैं जिनमें एंटी एजिंग गुण होते हैं। यह दूध चेहरे की फाइन लाइन्स को कम करता है और डैमेज स्किन सेल्स को रिपेयर करता है।
प्राचीन यूनान और रोम में मगरमच्छ के मल को मिट्टी में मिलाकर फेस पैक बनाया जाता था।
15वीं सदी में हंगरी पर राज करने वालीं Elizabeth Báthory de Ecsed जवान लड़कियों को मारकर उनके खून से नहाती थीं ताकि हमेशा जवान दिख सकें। उन्हें सीरियल किलर कहा गया।
वहीं 15वीं से 16वींं सदी तक इंग्लैंड की महिलाएं झुर्रियों से बचने के लिए अपने चेहरे पर कच्चा मीट लगाती थीं। फ्रांस में इसके लिए रेड वाइन और अंडे का इस्तेमाल होता।
एंटी एजिंग के लिए यूं तो कई तरीके अपनाए गए लेकिन बोटॉक्स की खोज के पीछे किसी तरह का ब्यूटी ट्रीटमेंट का आइडिया नहीं था। इस बारे में हम आपको आगे बताएंगे लेकिन इससे पहले जाने लें कि किन बॉलीवुड अभिनेत्रियों की बोटॉक्स ट्रीटमेंट लेने की चर्चा रहती है:
1800 में खोजा गया बोटूलिनम टॉक्सिन
जर्मनी के डॉक्टर Justinus Kerner ने 1800 में Botulinum Toxin की खोज की। दरअसल, जर्मनी में कई लोगों की अधपके मीट (Blood Sausages) खाने से जान चली गई थी। Dr. Justinus Kerner इस केस की स्टडी कर रहे थे। जब उन्हें बैक्टीरिया Botulinum Toxin मिला, जिसे न्यूरोटॉसिन भी कहा जाता है तो उन्होंने माइक्रोस्कोप पर इसकी स्टडी करने की जगह इसका इंजेक्शन खुद लिया। इसका उन पर असर तो दिखा लेकिन वह समझ गए थे कि इस जहर को उपचार के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस बैक्टीरिया पर लगातार रिसर्च चलती रही। फिर 1978 में अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ. एलन बी. स्कॉट को बोटॉक्स को इंसानों में कम मात्रा में इंजेक्ट करने की मंजूरी मिली। तब उन्होंने इस बैक्टीरिया को एंटी एजिंग के लिए इस्तेमाल किया। 1991 में फार्मा कंपनी Allergan ने इस न्यूरोटॉसिन के राइट्स खरीदे और इसे बोटॉक्स नाम दिया।
लड़कों को लगती हैं लड़कियों के मुकाबले ज्यादा डोज
लड़कियों के मुकाबले लड़कों को बोटॉक्स की हाई डोज लगती। उन्हें भी महिलाओं की तरह इंजेक्शन की डोज से गुजरना पड़ता है लेकिन इसकी डोज की मात्रा ज्यादा होती है।
डॉ. ललित चौधरी ने बताया कि पुरुषों की स्किन महिलाओं के मुकाबले मोटी होती है। महिलाओं में एंटी एजिंग ट्रीटमेंट के रिजल्ट जल्दी दिखते हैं, जबकि पुरुषों में इसका असर बाद में दिखना शुरू होता है।
दुनिया में बढ़ रही बोटॉक्स की पॉपुलैरिटी
साल 2011 की एक स्टडी के मुताबिक बोटॉक्स इंजेक्शन सेफ है। इसकी लगातार डोज लेने से माथे पर झुर्रियां लंबे समय तक गायब रहती हैं। स्टडी में 30 से 50 साल की उम्र की महिलाएं शामिल हुईं, जिन्हें माथे पर Botulinum Toxin की कम मात्रा में डोज दी गई। यह ट्रीटमेंट लगातार 2 साल तक दिया गया। अंतिम डोज पर देखा गया कि बोटॉक्स ने उनकी झुर्रियों को काफी कम कर दिया था।
अमेरिकन सोसायटी ऑफ प्लास्टिक सर्जन के अनुसार अमेरिका में साल 2020 में 40 लाख से ज्यादा महिलाओं ने यह ट्रीटमेंट लिया। यह ट्रीटमेंट 18 साल की उम्र से कम लोगों के लिए ब्रिटेन में बैन है। भारत में भी 18 साल के बाद ही यह ट्रीटमेंट दिया जाता है।
बोटॉक्स इंजेक्शन का असर 6 महीने तक रहता है
बोटॉक्स एक महंगा ट्रीटमेंट हैं जिसका असर 6 महीने तक रहता है। रिपीट डोज न लेने पर झुर्रियां वापस लौट आती हैं।
डॉ. विनय सिंह कहते हैं कि यह ट्रीटमेंट हर स्किन टाइप को सूट करता है, लेकिन अगर किसी को वायरल इंफेक्शन होता हो या न्यूरोलॉजिकल या ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो तो बोटॉक्स ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता। डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर में उन्हें कंट्रोल में रखने के बाद ही ट्रीटमेंट दिया जाता है।
इस ग्राफिक्स से जानिए कि ब्यूटी ट्रीटमेंट के बाद क्या एहतियात बरतने पड़ते हैं:
स्किन को यंग रखने के और भी हैं कई तरीके
स्किन की झुर्रियों को मिटाने और जवां दिखने के लिए नॉन सर्जिकल कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट भी बाजार में मौजूद हैं।
रिसर्फेसिंग टेक्नीक: इसमें डैमेज स्किन की परत को केमिकल्स या लेजर के जरिए साफ किया जाता है। इस टेक्नीक में 3 तरीके शामिल होते हैं।
1- केमिकल पील: इसमें चेहरे की डेड स्किन रिमूव की जाती है, जिसमें 3 तरह की पीलिंग होती है-सुपर फेशियल, मीडियम और डीप पील। सुपरफेशियल में त्वचा की ऊपरी परत (एपिडर्मिस) और बीच की परत (डर्मिस) के स्किन सेल्स को रिमूव किया जाता है। सुपर फेशियल का असर 2 से 3 हफ्ते तक रहता है, जबकि मीडियम केमिकल पीलिंग का असर 6 हफ्ते तक रहता है।
डीप पील में चेहरे का रंग डार्क या लाइट हो सकता है। इसके बाद धूप में नहीं निकलना चाहिए। चेहरे पर सूजन आ सकती है और इंफेक्शन भी फैल सकता है।
डीप पील क्लीनिंग में कार्बोलिक एसिड, यानी फिनाइल का इस्तेमाल होता है जो दिल, किडनी और लिवर पर बुरा असर डाल सकता है।
इसमें स्किन पर ग्लाइकोलिक एसिड, ट्राइक्लोरोएसिटिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, लैक्टिक एसिड और कार्बनिक एसिड लगाए जाते हैं।
2- माइक्रोडर्माब्रेशन: इसमें अल्यूमिनियम ऑक्साइड या सोडियम बाइकार्बोनेट का स्प्रे कर त्वचा की बाहरी परत उतारी जाती है। जिसके बाद धूप में निकलने या टैनिंग क्रीम का इस्तेमाल करने की मनाही होती हैॅ।
3-लेजर रिसर्फेसिंग: इसमें लोकल एनेस्थीसिया देकर लेजर से स्किन के ऊपरी हिस्से से झुर्रियों को हटाया जाता है। इस प्रोसेस से 4 हफ्ते पहले से विटामिन, मिनरल्स समेत कई सप्लीमेंट दिए जाते हैं।
इंजेक्शन: इसमें बोटॉक्स ट्रीटमेंट के अलावा कोलेजन स्टिमुलेटर भी शामिल होता है। इसमें चेहरे पर पॉली एल लैक्टिक एसिड लगाया जाता है। इस केमिकल के बाद कोलेजन बनने लगता है जिससे झुर्रियां दूर हो जाती हैं।
सर्जरी: इनमें ऑपरेशन के जरिए चेहरे में बदलाव किया जाता है। इसमें 2 तरह की सर्जरी की जाती है:
1- लिपोसक्शन: इसमें गालों से फैट सेल्स को हटाया जाता है। 30 मिनट से 1 घंटे का समय लगता है। 3 से 4 हफ्ते के बाद चेहरा पतला और जवां दिखने लगता है।
2- फेस लिफ्ट: गाल, जॉ लाइंस और गले को ठीक किया जाता है, जिससे लूज स्किन को कसा जाता है। एक्स्ट्रा स्किन हटा दी जाती है। इसमें 4 घंटे का समय लगता है। डॉक्टर सर्जरी के बाद 3 हफ्ते का बेड रेस्ट बताते हैं।
वैंपायर फेशियल: वैंपायर फेशियल को पीआरपी यानी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा फेशियल भी कहते हैं। इसमें कस्टमर का ब्लड निकालकर प्लेटलेट्स अलग किए जाते हैं। प्लेटलेट्स में कुछ न्यूट्रियंट्स मिक्स करके वापस चेहरे में इंजेक्ट करते हैं। इस ट्रीटमेंट से कोलेजन बनता है और चेहरे पर ताजगी लौट आती है।
लिफ्ट ट्रीटमेंट के बाद नहीं कराना चाहिए फेशियल
डॉ. ललित चौधरी के अनुसार लिफ्ट ट्रीटमेंट के बाद फेशियल कराने को मना किया जाता है। फेशियल कराना भी हो तो नीचे से ऊपर की तरफ हल्के हाथ से कराना चाहिए। दरअसल इससे स्किन के लिगामेंट लूज हो जाते हैं।
जितनी भी लिफ्ट सर्जरी होती हैं, वह 10 साल तक चलती है क्योंकि एजिंग रुकती नहीं है। जो लोग स्मोकिंग करते हैं उन्हें कोई एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता। वहीं, इस थेरेपी के बाद स्मोकिंग और ड्रिकिंग की मनाही होती है।
आगे आपको बताएंगे दुनिया के कुछ शक्तिशाली नेताओं के बारे में जो जवां दिखने के लिए बोटॉक्स ट्रीटमेंट लेते हैं। लेकिन इससे पहले ग्राफिक से जानिए उम्र को रोकने के आसान तरीके :
रूस के राष्ट्रपति भी लेते हैं बोटॉक्स का सहारा?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में कहा जाता है कि वह यंग दिखने के लिए बोटॉक्स कराते हैं। ब्रिटेन के मशहूर अखबार ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने बोटॉक्स ट्रीटमेंट अक्टूबर 2011 में यूक्रेन के कीव दौरे के बाद शुरू किया। उस समय वह रूस के प्रधानमंत्री थे। उस दौरान उनकी आंखों के चारों ओर नीले निशान देखे गए थे। माना गया कि ये बोटॉक्स इंजेक्शन का असर था। इस पर सोशल मीडिया पर उनको खूब ट्रोल भी किया था।
वहीं, नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग और लीबिया के मोहम्मद गद्दाफी के बारे में भी यही कहा जाता है।
ढेर सारा पानी और विटामिन सी युक्त फल डाइट में करें शामिल
डायटीशियन कामिनी सिन्हा के अनुसार, एजिंग थामने के लिए शुद्ध देसी उपचार करना चाहिए। पानी ज्यादा पीना चाहिए ताकि स्किन ड्राई न हो। पानी वाले फल जैसे तरबूज, खरबूज और खीरा भी लें। विटामिन ए, सी, के समेत एंटीऑक्सीडेंट गुण वाले फल और सब्जियां खाएं।
पपीता और संतरा विटामिन सी का अच्छा सोर्स है। ब्लूबेरी में विटामिन ए और सी होता है। इसमें एंथोसाइनिन नाम का एक गुण होता है जो स्किन के कोलेजन को ठीक लेवल पर रखता है। पालक से स्किन में रैशेज नहीं होते। ड्राई फ्रूट स्किन की सेल मेम्ब्रेन को सुधारता है और सूरज से होने वाले डैमेज से बचाता है। अनार में विटामिन के होता है। फ्राइड फूड और प्रिजरवेटिव फूड से बचना चाहिए।
ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा
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