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​​​​​​​हमारे टूटे चावलों की वाइन बनाकर पी रहा चीन:नूडल्स भी बना रहा, भारत का करीब आधा चावल खरीदता है-इसमें 97% रहता है टूटा हुआ

नई दिल्लीएक वर्ष पहले
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दुनिया में सबसे ज्यादा चावल उत्पादन करने वाला देश चीन हमारे देश का करीब आधा चावल खरीदता है। इसमें से 97% चावल टूटा हुआ रहता है। इससे चीनियों का फेवरेट फूड वाइन और नूडल्स बनाया जा रहा है।

एक समय पर अफ्रीकी देशों को चावल निर्यात करने वाला चीन आज भारत के बासमती और टूटे चावल का मुरीद बन गया है। कोरोना काल और रूस-यूक्रेन युद्ध का असर चीन की इकोनॉमी पर इस कदर पड़ा है कि वह भारत से चावल आयात कर रहा है।

चीन ने भारत से आयात के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहले के मुकाबले भारत चीन को 392% अधिक चावल निर्यात कर रहा है। पहले चीन भारत से 3.31 लाख मीट्रिक टन एलएमटी (LMT) चावल खरीदता था। 2021-22 में वित्तीय वर्ष में इसकी खरीद बढ़ाकर 16.34 एलएमटी कर दी है।

क्या होता है टूटा चावल ?
अगर चावल बीज के साइज का नहीं है तो उसे टूटा चावल कहा जाता है। असल में जब धान से भूसी को अलग करने के लिए मशीन चलाते हैं तो उसमें से तीन से चार तरह के चावल निकलते हैं। साबुत, कम टूटा, बीच से टूटा और कई टुकड़े वाला चावल।

फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक जो एक साबुत चावल के 3/4 हिस्से तक टूटा चावल है या बीच से आधा टूटा चावल है उसे भी टूटा चावल कहा जाता है। इसके अलावा 1/4 हिस्से में टूटा चावल को छोटा टूटा चावल कहा जाता है। अगर बासमती का टुकड़ा है तो टूटे चावल से भी खुशबू आएगी। इसकी कीमत जरूर कम होती है, लेकिन स्वाद साबुत चावल जैसा ही होता है।

छोटे चावल पकने के बाद आपस में चिपक जाते हैं, इसलिए इससे कई चीजें बनाना आसान होता है।
छोटे चावल पकने के बाद आपस में चिपक जाते हैं, इसलिए इससे कई चीजें बनाना आसान होता है।

भारत का 42% चावल चीन को जा रहा
चीन इस वक्त भारत से टूटे चावल आयात करने वाला सबसे बड़ा ख़रीददार बना है। भारत ने 2021-22 के बीच 83 देशों में 38.64 एलएमटी चावल बेचा है। जिसमें से सबसे ज्यादा 42% चावल सिर्फ चीन को बेचा जा रहा है।

कोरोना-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाए मक्के के दाम, तब चावल आया काम
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया कहती हैं कि चीन मुख्य रूप रूप से टूटे चावल इसलिए खरीद रही है क्योंकि वह इसकी नूडल्स और वाइन बना रहा है। चीन ने कोरोना से पहले एक प्रतिनिधिमंडल को भारत भेजा था। जिसने यहां आकर कई चावल मीलों का दौरा किया। इसके बाद रिपोर्ट्स बनाकर चीन में भेजी। इसके बाद चीन ने भारत के चावल से रेस्टोरेंट में परोसी जाने वाली वाइन और नूडल्स को तैयार करने का फैसला लिया।

व्यापार विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चावल से वाइन बनाने के पीछे एक बड़ा कारण मक्के की बढ़ी कीमतें भी हैं। खाद्य पदार्थों की कीमतों में हाल ही के महीनों में वृद्धि देखी गई है। चावल की मांग ऐसे समय बढ़ी है जब रूस यूक्रेन युद्ध के कारण दुनियाभर में मक्के और अन्य खाद्य पदार्थ के दामों में तेजी आई है।

भारत और चीन दोनों ही अफ्रीकन देशों को बेचते थे चावल
चीन में बढ़ी चावल की मांग से पहले चीन और भारत दोनों ही देश बड़ी संख्या में अफ्रीकी देशों को चावल निर्यात करते थे। चीन में बेचा जा रहे कुल 16.34 एलएमटी चावल में से 15.76 एलएमटी टूटा चावल बेचा जा रहा है। टूटे चावल से सबसे ज्यादा वाइन आदि प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। इसलिए इनकी कीमतों में उछाल आया है।