मकर संक्रांति के बाद से खरमास खत्म होते ही लग्न मुहुर्त शुरू हो गया है। देश में शादियों का माहौल है। ऐसे मौके पर सोने की ज्वेलरी बनवाने का दौर फिर शुरू हो गया है।
आज सोने की कीमत भले ही हर 1 तोला (लगभग 11.7 ग्राम) 58 हजार रुपए के पार पहुंच गई हो, मगर आपको एक दिलचस्प फैक्ट यह बता दें कि 1947 में दिल्ली से मुंबई फ्लाइट का किराया 140 रुपए था। जबकि इसी दौरान 10 ग्राम सोने की कीमत 88 रुपए थी। यानी 10 ग्राम सोने की कीमत फ्लाइट के किराए से करीब आधी थी।
देश के बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत और बिजनेसमैन वीरेन मर्चेंट की बेटी राधिका की बीते 19 जनवरी को सगाई हुई। खास बात यह रही कि एंगेजमेंट सेरेमनी में रिंग उनका डॉग लेकर पहुंचा, जो सभी के लिए सरप्राइज रहा।
इससे पहले मेहंदी की रस्म के दौरान राधिका मर्चेंट ने पिंक कलर के लहंगे के साथ 'रानी हार' पहन रखा था, जो उन्हें बेहद खूबसूरत लुक दे रहा था।
अब तो कई बॉलीवुड एक्ट्रेस भी अपनी शादी में 'रानी हार' पहनना पसंद करती हैं। सोनम कपूर, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा और ऐश्वर्या राय भी ऐसा कर चुकी हैं। हाल ही में मिस यूनिवर्स पीजेंट में हिस्सेदारी करने वाली दिविता राय ने सोने की चिड़िया बनकर सुर्खियां बटोरीं।
कहने का मतलब है कि देश में शादी का सीजन शुरू होते ही ज्वेलरी की खरीदारी करने, पहनने और गिफ्ट देने का दौर चल पड़ा है।
जन्म से लेकर मरने तक भारतीय संस्कृति में सोने की अहमियत
हिंदू परंपराओं में 16 संस्कारों के तहत पैदा होने से लेकर मरने तक में सोने के इस्तेमाल की अहमियत रही है। बच्चा जब जन्म लेता है तो उसे कमर पर सोने की ‘लटकन’ पहनाई जाती है। यज्ञोपवीत संस्कार के वक्त, शादी में मायके से बेटी के लिए और घर में पहला कदम रखने पर सास अपनी बहू को सोने के नए-पुराने जेवर देती है। यही नहीं, 16 संस्कारों में अंतिम यानी मृत्यु के बाद महापात्र को दान भी स्वर्ण का ही किया जाता है।
यही वजह है कि हर शुभ मुहूर्त, शादी, त्योहार पर सोना खूब खरीदा-बेचा जाता है। जहां मैरिज फंक्शन में अमेरिका और यूरोप में 9 कैरेट की गोल्डन रिंग से ही काम चल जाता है, वहीं भारतीयों में 24 कैरेट यानी शुद्ध सोने की हद दर्जे तक दीवानगी है।
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि हमारे देश में महिलाएं कितना सोना पहनती हैं-
22 हजार टन सोना पहनती हैं भारतीय महिलाएं, 5 देशों के कुल स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) से भी ज्यादा
त्योहार हो या शादी, हर मौके पर भारतीय महिलाओं को ज्वेलरी पहनना बेहद पसंद है। इस बात को वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) भी मान चुकी है। WGC की मई, 2019 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय महिलाओं के पास ज्वेलरी के रूप में 22 हजार टन सोना जमा था। यह दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना माना गया।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारतीय महिलाएं दुनिया के कुल गोल्ड रिजर्व का 11 प्रतिशत हिस्सा आभूषणों के रूप में पहनती हैं।
यह विश्व के 5 टॉप देशों के कुल सोने के भंडार से भी अधिक है, जिसमें अमेरिका (8,000 टन), जर्मनी (3,300 टन), इटली (2,450 टन), फ्रांस (2,400 टन) और रूस (1,900 टन) जैसे बड़े देश आते हैं। दक्षिण भारतीयों का देश की कुल ज्वेलरी खरीदारी में 40 फीसदी हिस्सा है। अकेले तमिलनाडु में यह औसत 28 फीसदी है।
महिलाओं के बाद भारतीय मंदिरों में सबसे ज्यादा सोना
महिलाओं के बाद भारतीय मंदिर में सबसे ज्यादा सोना पाया गया। ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल’ की रिपोर्ट-2020 के मुताबिक, भारतीय महिलाओं के पास 24 हजार टन स्वर्ण भंडार है, इसके बाद 4 हजार टन सोना मंदिरों में है। अकेले केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 1,300 टन सोना और आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में 250-300 टन सोना दर्ज है। ये सोना सदियों से भक्त अपने देवी-देवताओं को स्वर्ण आभूषणों सहित कई रूपों में दान करते आ रहे हैं।
7 हजार साल पहले हड़प्पाई महिलाएं पहनती थीं सोने के आभूषण
हड़प्पा सभ्यता में भी पुरुष और महिलाओं दोनों में गोल्ड ज्वेलरी का क्रेज था, ऐसा कई साक्ष्यों से पता चला है। मई 2022 में हड़प्पाई स्थल राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान सोने के कड़े, बाली समेत कई आभूषण मिले। कई अन्य स्थलों से तो चूड़ियां, लटकन, हार, अंगूठी, झुमके भी मिले, जिनसे पता चलता है कि गोल्ड ज्वेलरी को लेकर भारतीय सदियों से क्रेजी रहे हैं।
दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में भी सृष्टि की उत्पत्ति हिरण्यगर्भ नामक सोने के अंडे रूपी बीज से मानी गई है। शायद यही वजह है कि भारतीयों को गोल्ड से इतना लगाव है।
चीन के बाद दुनिया में गोल्ड का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार भारत
जुलाई 2022 में घरेलू करेंसी पर दबाव कम करने और गोल्ड के इंपोर्ट को कम करने के लिए सोने पर आयात शुल्क 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया था।
ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि साल 2021-22 में देश में सोने के आयात में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। सोने के कुल आयात की कीमत करीब 37,44 अरब रुपए (46.14 बिलियन डॉलर) थी।
सोने का सबसे बड़ा खरीदार बन सकता है भारत
यहां बता दें कि गोल्ड खरीदने के मामले में दुनिया में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर आता है। सोने की डिमांड के पीछे बड़ा हाथ भारतीयों का है, क्योंकि भारत की बड़ी आबादी सोना किसी न किसी रूप में पहनती या इस्तेमाल करती है, जिस वजह से भी सोने के भाव सातवें आसमान पर हैं। भारत में हर घर में नए मेहमान के आने पर उसके लिए सोने के आभूषण बनाए जाते हैं। अगले कुछ साल में भारत सबसे ज्यादा आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। ऐसे में भारत अगर कुछ समय बाद सोने का सबसे बड़ा खरीदार देश बन जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
आजादी के बाद से ऐसे बढ़े सोने के भाव, आज 58 हजार प्रति 10 ग्राम से भी ज्यादा
आजादी के समय, भारत में सोने का भाव 88.62 रुपए था। 1964 में सोना सबसे सस्ता था। उस वक्त 10 ग्राम सोना सिर्फ 63.25 रुपए में बिकता था। आज सोना 58 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम से ज्यादा के भाव पर बिक रहा है।
भारी मात्रा में आयात के चलते, तेल की तरह सोने की कीमतें भी अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं।
सोने और महंगाई का चोली-दामन का साथ है मगर थोड़े अलग अर्थ में। जब महंगाई बढ़ती है तो सोने के दाम गिरते हैं। 1942 में जब दूसरा विश्वयुद्ध और देश में 'भारत छोड़ो आंदोलन' चरम पर था, सोने का भाव 44 रुपए प्रति 10 ग्राम था। आजादी के वक्त, 1947 में सोने का भाव 88.62 रुपए हुआ करता था। स्वतंत्रता के बाद सोने की कीमत में सबसे बड़ी गिरावट आई 1964 में। उस वक्त 10 ग्राम सोना सिर्फ 63.25 रुपए में बिक रहा था।
75 साल में देश में सोने के भाव पर एक नजर
इंडियन पोस्ट गोल्ड कॉइन सर्विसेज के अनुसार, 1947 में 10 ग्राम एक तोले सोने का भाव 88.62 रुपए था। उस वक्त दिल्ली से मुंबई तक की फ्लाइट का किराया 10 ग्राम सोने के रेट से ज्यादा था। इस तारीख से महज 5 साल पहले, 1942 में सोने का भाव 44 रुपए प्रति 10 ग्राम हुआ करता था। आजादी के साथ ही सोने के दाम बढ़ने लगे। 1950 से 60 के दशक में सोने पर करीब 12% का रिटर्न मिला।
1970 में 10 ग्राम सोने का औसत मूल्य 184 तक पहुंच गया। 1980 में यह 1,330 रुपए हुआ और 1990 आते-आते 3,200 रुपए को पार कर गया। HDFC सिक्योरिटीज के अनुसार, 2000 से 2010 के बीच सोने का रेट 4,400 से बढ़कर 18,500 हो गया। अगले दशक में कीमतें तिगुने से भी ज्यादा हो गईं। 2021 में सोने का औसत भाव 48,720 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा।
हमने भारतीय महिलाओं में सोने का क्रेज और इतिहास के साक्ष्यों के बारे में पढ़ा। अब, असल जीवन में ज्वेलरी की खरीदारी करते वक्त ध्यान रखने वाली बातें जान लेते हैं।
सोने के गहने कभी 100% शुद्ध नहीं हो सकते, जानिए इसकी वजह
सोना पुराना हो या फिर नया, बहुमूल्यता के मामले में यह लोगों की पहली पसंद सदियों से रहा है। हालांकि, सोना कितना ही खरा क्यों न हो, वह 100% शुद्ध नहीं हो सकता।
दरअसल, सोना इतना सॉफ्ट मेटल है कि बिना मिलावट के उसके गहने बन ही नहीं सकते। यही वजह है कि सोने की शुद्धता मापने की यूनिट कैरेट के हिसाब से तय होती है। 24 कैरेट का सोना भी 99.9 फीसदी ही शुद्ध माना जाता है। आम तौर पर गहने 22, 18 या 14 कैरेट के बनवाए जाते हैं। इसकी शुद्धता की गणना ऐसे करते हैं - 22 कैरेट यानी 22/24x100 यानी 91.66 फीसदी सोने की शुद्धता है।
असली के चक्कर में नकली ज्वेलरी, कहीं आप तो नहीं हुए शिकार?
आजकल कम कैरेट वाले सोने के आभूषणों में डिजाइन की वजह से ज्यादा टांके लगते हैं। लेकिन तैयार गहने के वजन में कैरेट के हिसाब से कीमत वसूली जाती है। बड़े-बड़े विज्ञापनों के जरिए महिलाओं को लुभाते हैं कि वे अपने पुराने सोने को लेकर आएं और नए डिजाइन का गहना ले जाएं। इसमें मेकिंग चार्ज भी नहीं लगेगा।
हालांकि, मेकिंग चार्ज के नाम पर एक्सट्रा गहना महंगा हो जाता है। अगर ऐसा नहीं कर पाते तो कोड वर्ड के जरिए आंखों में धूल झोंकने का काम किया जाता है।
कम जानकारी का फायदा उठाते हैं ज्वेलर्स, कोड वर्ड का करते इस्तेमाल
UP के मऊ जिले में एक बड़े ज्वेलरी शॉप में करीब 19 साल से काम कर रहे योगेंद्र चौहान बताते हैं कि देश में कहीं भी कोई भी ज्वेलर हो, उसका अपना एक कोडवर्ड होता है, जिसमें वह बात करते हैं, जो सामने खड़ा ग्राहक भी जान नहीं पाता। सोने के गहने में हेरफेर की कई तरह से गुंजाइश होती है।
एक तो यह कि आप जो सोने का गहना लेकर जा रही हैं, उसके वजन या उसकी शुद्धता के बारे में आपको जानकारी नहीं होती है। महिलाओं को सोने का भाव चाहे पता, मगर यह नहीं जान पातीं कि जो गहना खरीद रही हैं, उसमें कितना टांका लगा है या खोट है।
धोखेबाजी रोकने के लिए सरकार ने शुरू की अनिवार्य हॉलमार्किंग
सरकार ने जून 2021 में लोगों को ठगी से बचाने के लिए 256 जिलों में सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य की थी और पिछले साल से पूरे देश में यह लागू किया गया।
हालांकि, इसके बाद सोने के मिलावटी गहने अब भी देश में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। पिछले महीने हॉलमार्किंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (HFI) के प्रेसीडेंट जेम्स जोस ने कहा था कि कुछ लोग सोने के आभूषणों पर नकली हॉलमार्किंग कर ग्राहकों को चूना लगा रहे हैं।
जोस के मुताबिक, सरकार ने अभी तक हॉलमार्किंग के पुराने लोगो पर बैन नहीं लगाया है, जिसकी आड़ में नकली हॉलमार्किंग कर कम कैरेट वाले सोने के गहने ग्राहकों को ज्यादा कैरेट के बताकर बेचे जा रहे हैं। सरकार को इसे पूरी तरह बैन कर देना चाहिए।
जानिए, कौन-से फैक्टर्स डालते हैं सोने के रेट पर असर?
गोल्ड का रेट कितना है यह डिमांड पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है। सोने की डिमांड जितनी ज्यादा होगी, कीमत भी उसी अनुपात में बढ़ती है।
इसके अलावा ग्लोबल मार्केट्स में सोने का उतार-चढ़ाव असर डालता है। निवेश के लिहाज से दुनिया भर में लोग सोने को सबसे भरोसेमंद विकल्प मानते हैं। साथ ही पॉलिटिकल फैक्टर्स और सरकारी पॉलिसी का असर भी गोल्ड की कीमतों पर पड़ता है।
अमेरिका गोल्ड अथॉरिटी के मुताबिक, पिछले दो दशक यानी 2001 से 2021 के बीच इंटरनेशनल मार्केट में यूएस डॉलर की पर्चेजिंग पावर में गिरावट आई। डॉलर का खरीदारी मूल्य 2001 में 97 सेंट था जो 2021 में 63 सेंट ही रह गया। ठीक इसी समय सोने की कीमतों में 570 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
वहीं, ब्रिक्स (BRICS-ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका) की तरफ से सोने की डिमांड में बढ़ोतरी ने भी कीमतों में इजाफा किया।
भारत की तरह चीन में भी बच्चे के जन्म, शादी और नए साल के सेलिब्रेशन में गोल्ड ज्वेलरी का भरपूर इस्तेमाल होता है। इसके अलावा गोल्ड बिस्किट और इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माण सहित कई और वजहों से चीन बड़ी मात्रा में गोल्ड आयात करता है।
स्विटजरलैंड से भारत मंगाता है सबसे ज्यादा सोना
जेम ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (GJEPC) के मुताबिक, हम लगभग आधा सोना स्विटजरलैंड से आयात करते हैं। आल्प्स की पहाड़ियों में बसा यह देश सोने का सबसे बड़ा ट्रांजिट हब भी है। वहां की बेहतरीन रिफाइनरियों में तराशा गया सोना पूरी दुनिया में हाथों-हाथ बिकता है।
GJEPC के मुताबिक, 2021-22 में सोने के कुल आयात में स्विटजरलैंड का हिस्सा 45.8% था। उसके बाद 12.7% हिस्सा यूएई से, 7.3 प्रतिशत दक्षिण अफ्रीका और गिनी से और करीब 5 फीसदी सोना पेरू से भी आता है। एक वक्त देश के गोल्ड इम्पोर्ट में स्विस भागीदारी 60% से ज्यादा थी।
दिसंबर में सरकार ने 20 टन सोना किया आयात, हुई कई गुना कमी
भारत ने दिसंबर 2022 में 20 टन सोना (1.18 बिलियन डॉलर) आयात किया है जो पिछले साल दिसंबर में हुए 95 टन (4.73 बिलियन डॉलर) आयात के मुकाबले बेहद कम है।
अगर पूरे साल की बात की जाए तो 2022 में गोल्ड का कुल आयात 706 टन रहा जो पिछले साल 1068 टन के मुकाबले 362 टन कम है।
बीते साल भारत में स्मगलर लाए 3 टन से ज्यादा गोल्ड
नवंबर 2022 तक देशभर में 3,083 किलोग्राम यानी करीब 3 टन सोना स्मगलिंग करने वाले लोगों से जब्त किया गया है। इस मामले में केरल टॉप पर रहा है। पिछले दो साल की बात करें तो 2021 में 2,383 किलोग्राम और 2020 में 2,154 किलो सोना देशभर में जब्त किया गया था। 12 दिसंबर, 2022 को सरकार ने संसद में यह जानकारी दी थी।
सोने की तस्करी एक बेहद गंभीर समस्या है, लेकिन इसे रोकने के लिए चाहे जितने तरीके अपनाए जाएं, तस्कर नए-नए तरीके ईजाद कर लेते हैं। जानिए, कुछ हैरान कर देने वाले वाकए-
सिर से हुई सोने की बारिश, मानव मल की तरह पेस्ट बनाकर छिपाया सोना
चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट कस्टम ऑफिसर्स ने दुबई से आए 14 संदिग्ध यात्रियों का जब मुंडन कराया तो सिर से सोने की बारिश हो गई। यात्रियों ने विग पहनी थी, जिनके नीचे गोल्ड पेस्ट के रूप में सोना छिपा था। जब तस्कर सोने का पेस्ट बनाकर लाते हैं तो यह देखने में बिल्कुल मानव मल जैसा लगता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पेस्ट मेटल डिटेक्टर में पकड़ में नहीं आता।
दिल्ली में राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने सोने की एक बड़ी खेप पकड़ी थी। 166 ग्राम की 400 गोल्ड छड़ों की शक्ल में बरामद हुई, जिसका वजन 66.4 किलो और कीमत 35 करोड़ रुपए निकली। यह सोना भारत-म्यांमार सीमा से तस्करी कर ट्रक के फ्यूल टैंक में छिपाकर पंजाब ले जाया जा रहा था।
सोना और ड्रग्स दोनों की स्मगलिंग इकोनॉमी के लिए घातक
अगर सोना देश की इकोनॉमी को नुकसान पहुंचाएगा तो ड्रग्स कई पीढ़ियां खराब कर देगा। यह बात कोई और नहीं बल्कि देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सीमा शुल्क एक्ट के 60 साल पूरे होने के मौके पर कह चुकी हैं।
सोना हो या ड्रग्स दोनों की तस्करी के तार कहीं न कहीं क्राइम और टेररिज्म से जुड़े हैं। ऐसे तस्कर नई टेक्नोलॉजी और नायाब तरीकों का इस्तेमाल करने में भी पीछे नहीं हैं। यही वजह है कि वित्त मंत्री भी कस्टम अफसरों से स्मगलिंग पर नकेल कसने के लिए डार्कनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वेब3 और मेटावर्स का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही हैं।
ग्राफिक्स: सत्यम परिडा
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