आपने देश में पैसे लेकर नेताओं की रैलियों में जाने की कहानी तो सुनी ही होगी। यह भी सुना होगा कि रैली में जाने वालों के लिए खाने और कई दफे पीने का भी बंदोबस्त होता है। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि ब्रिटेन जैसे अमीर देश में भी ऐसा होता है। जहां भर पेट भोजन और कंबल के लालच में आम लोग किसी भी तरह के प्रोटेस्ट में जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। भले ही उन्हें उस प्रोटेस्ट का मतलब और उसके आयोजकों के बारे में भी पता न हो।
इंग्लिश पत्रकार ने खोली पोल
पिछले दिनों ब्रिटेन और दुनिया भर में प्रोटेस्ट के कुछ अनोखे तरीके अपनाए गए। कहीं पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ऑयल पेंटिंग पर सॉस उड़ेलकर विरोध किया तो कहीं वैक्स म्यूजियम में पुतलों को नुकसान पहुंचाया गया।
ऐसे ही एक मामले में प्राइवेट जेट का विरोध कर रही एक लड़की ने पूर्व ब्रितानी सैनिक कैप्टन टॉमस मूर के स्टैच्यू पर पेशाब और मल उड़ेल दिया। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि एक सैनिक के स्टैच्यू को पर्यावरण की चिंता के लिए क्यों गंदा किया गया। पूरे देश में 21 साल की लड़की के इस कदम की काफी आलोचना हुई।
अब ‘द संडे टाइम्स’ में ब्रितानी पत्रकार जेरनी कलर्कसन ने ऐसे प्रोटेस्टर्स की पोल खाली है।
खाने और कंबल के लालच में आते हैं प्रोटेस्टर्स
जेरनी कलर्कसन ने बताया कि युवाओं में बर्गर और कंबल के बदले रैलियों में जाकर विरोध का चलन बढ़ा है। इनकी उम्र ज्यादातर 20-22 होती है और ये बेरोजगार होते हैं। ऐसे में खाने और घूमने का मौका मिलते ही वो किसी भी प्रदर्शन में पहुंच जाते हैं। इन्हें घर से लाने- ले जाने का जिम्मा भी प्रदर्शन आयोजित करने वाले संगठनों का होता है।
सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड कर बनते हैं कूल
पैसे और खाने के लालच में प्रोटेस्ट करने वाले युवा बाद में उन्हीं फोटो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर कूल भी बनते हैं। बता दें कि ब्रिटेन में चल रहे कुछ प्रदर्शनों पर पूरी दुनिया की नजर है। यहां नर्स और जूनियर डॉक्टर सैलरी हाइक की डिमांड को लेकर हड़ताल पर हैं। हजारों रेल कर्मचारियों की हड़ताल फिलहाल टल गई है, लेकिन सैलरी और काम करने के हालात को लेकर ये फिर हड़ताल पर जा सकते हैं। हीथ्रो एयरपोर्ट के कर्माचारी भी प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
इन प्रदर्शनों को लेकर मिलीजुली राय देखने को मिल रही है। कुछ इसे किराए पर आने वाले प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा बता रहा है तो कई का मानना है कि ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति डंवाडोल होने की वजह से लोगों में असुरक्षा की भावना है।
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