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सुबह उठने का सही समय क्या है:हर व्यक्ति के जागने का वक़्त अलग, सूरज उगने के साथ उठेंगे तो बीमारियां दूर रहेंगी

10 महीने पहलेलेखक: मरजिया जाफर
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'अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज, मेक्स अ मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज’- अंग्रेजी की ये कहावत बहुत पुरानी है। इसका मतलब है कि जल्दी सो कर सुबह जल्दी उठना बहुत फायदेमंद है। ये आदत व्यक्ति को सेहतमंद, दौलतमंद और अक्लमंद बनाती है। बड़े-बुजुर्ग इसीलिए सुबह जल्दी उठने की सलाह देते हैं। ऐसे में यह समझना बड़ा मुश्किल है कि आखिर जागने का सबसे अच्छा समय कौन सा हो सकता है। दिल्ली के पंचकर्म अस्पताल के आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. आर पी पराशर सुबह उठने के फायदे बता रहे हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में जागना है अच्छा

हमारे बुजुर्ग हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में जागने की सलाह देते थे। ब्रह्म मुहूर्त शुभ समय है, जो सूर्योदय से 1 घंटे 36 मिनट पहले शुरू होता है और इसके 48 मिनट पहले समाप्त होता है। इस समय जागने पर व्यक्ति खुद को चुस्त-दुरुस्त और फुर्तीला महसूस करता है।

​ब्रह्म मुहूर्त ही क्यों

डॉ. पराशर कहते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में जागने से हमें कई तरह से फायदा मिलता है। इस समय जागकर आप अध्यात्म से जुड़ सकते हैं, क्योंकि यह ज्ञान प्राप्त करने का समय होता है। मेमोरी और कंसंट्रेशन में सुधार करने के लिए ये समय जागने के लिए बहुत अच्छा है। मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए इस समय पर जागना अच्छा माना गया है। इस समय चारों तरफ शांति रहती है, हवा साफ होती है। ये वक्त मेडिटेशन के लिए बेस्ट है, आध्यात्मिक किताबें पढ़ने और व्यायाम करने का सबसे अच्छा समय है।

सुबह जागने का सबसे अच्‍छा समय कब है

ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय के बीच किसी भी समय जागना बहुत अच्छा है। इस समय प्रकृति में सात्विक गुण होते हैं। इससे मन को शांति और इंद्रियों को ताजगी मिलती है इसलिए सूर्योदय से पहले उठना बहुत अच्छा है।​

कौन किस समय जागे

डॉ. पराशर ने बताया कि सूर्योदय भी ऋतुओं के अनुसार बदलता रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए व्यक्ति को अपनी मूल प्रकृति, मन और शरीर की प्रवृत्ति के मुताबिक जागना चाहिए। आयुर्वेद में शरीर की प्रकृति तीन तरह की बताई गई है- वात, पित्त और कफ।

आयुर्वेद के मुताबिक, हमारा शरीर तीन प्रकृति वात, पित्त और कफ से मिलकर बना है। इनका असंतुलन 80 प्रतिशत बीमारियों की वजह बनता है, यानी वो लोग जो अक्सर बीमार पड़ जाते हैं। एक के बाद दूसरी बीमारी लगी रहती है। इलाज करवाते हैं, लेकिन बीमारी फिर से लौटकर आती है। ये सब वात, पित्त और कफ का बैलेंस बिगड़ने से होता है। खराब लाइफस्टाइल और खानपान शरीर के 'त्रिदोष' पर असर डालता है और बीमारियों की वजह बनता है। योग और आयुर्वेदिक विद्या से वात, पित्त और कफ को बैलेंस किया जा सकता है।

​सुबह इस बीच जागने की कोशिश करें

रफ्तार भरी जिंदगी में लोग रात की नींद तक सुकून से नहीं ले पाते। कई लोग ऐसे हैं, तो देर रात तक काम करते हैं इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में जागना मुमकिन नहीं हो पाता। डॉ.पराशर का कहना है कि ऐसे में सुबह 6:30 बजे से 7 बजे के बीच जागने की कोशिश करनी चाहिए।

सूरज निकलते ही जागना सेहत के लिए फायदेमंद

सूरज निकलने से पहले जागना आपको एनर्जी, पॉजिटिविटी से भर देता है। इस समय जागना दिमाग और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह किसी भी व्यक्ति की बायोलॉजिकल क्लॉक को नियमित करता है। सूर्योदय के साथ जागने से पाचन, अवशोषण और आत्मसात करने में मदद मिलती है। जीवन में अनुशासन, शांति, खुशी और लंबी आयु पाने के लिए सुबह सूर्य के साथ या उससे पहले जागना बहुत जरूरी है।

सुबह जल्दी उठने के फायदे

सुबह उठने वाले सेहत का ज्यादा ख्याल रखते हैं। रात में देर तक जागने वालों के मुकाबले, डिप्रेशन का शिकार नहीं होते हैं। अक्ल के मामले में भी सुबह उठने वाले बेहतर होते हैं। उनकी काम करने की रफ्तार भी ज्यादा होती है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक कैथरीना वुल्फ़ कहती हैं कि हर इंसान के शरीर में एक कुदरती घड़ी है। उनकी नींद और सोना-जागना उसी हिसाब से चलता है। इसे सर्काडियन क्लॉक कहते हैं। इसी घड़ी के हिसाब से शरीर को सोने-जागने का मन होता है।

सुबह उठने वाले सफल होते हैं

इसमें कोई दो राय नहीं कि सुबह उठने के कई फायदे होते हैं। तड़के उठकर आपको वर्जिश करने का मौका मिल जाता है। दुनिया में करीब एक चौथाई ऐसे लोग हैं, जो सुबह उठना पसंद करते हैं।

जबरदस्ती सुबह उठने के नुकसान

बॉडी से जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। शरीर जब ​​​​​​​सिर्काडियन क्लॉक यानी जैविक घड़ी के हिसाब से चलता है, तो उसका परफॉर्मेंस बेहतर होता है। देर रात तक जागने वाले को सुबह जल्दी उठने के लिए मजबूर करेंगे, तो वह दिनभर आलसी रहेगा। काम में मन नहीं लगेगा। दिमाग का भी अच्छे से इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। वजन बढ़ता है और सेहत खराब हो सकती है। कैथरीना वुल्फ़ कहती हैं कि सुबह जल्दी उठने या रात में देर तक जागने की आदत मां-बाप से मिलती है। ये हमारे डीएनए में ही होता है कि हम आगे चलकर सुबह जल्दी उठने की आदत पाएंगे, या रात में देर तक जागेंगे।

शरीर के हार्मोन अक्सर बॉडी क्लॉक के हिसाब से रिलीज होते हैं। आदत बदलने से हार्मोन का तालमेल बिगड़ सकता है। रात में देर तक जागने वाला यदि सुबह जल्दी उठेगा, तो उसके शरीर को यही लगेगा कि वो सो रहा है। उसके हार्मोन देर से रिलीज होंगे। इसका सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।