फैमिली या फ्रेंड्स की आपने जितनी भी परिभाषा सुनी या पढ़ी होगी, उसे अब भूल जाइए। इन दिनों दोस्ती पर अब बाजार हावी हो चुका है। दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई, चंडीगढ़, पुणे, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे शहरों में एकाकी जीवन जी रहे लोगों, खास तौर पर बुजुर्गों की देखभाल और युवाओं को टारगेट कर किराए के दोस्त अवेलेबल करवाए जा रहे हैं। लोग वेबसाइट्स व कंपनियों के जरिए अपने साथ घूमने, खाना खाने, बर्थडे केक शेयर करने जैसी साधारण बातों के अलावा मीटिंग अटेंड करने के लिए भी हायर करते हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि कुछ लोग अकेलापन महसूस करते हैं, कुछ लोग अकेले कहीं बाहर आने-जाने में शर्माते हैं, इसलिए वे नए दोस्तों को हायर कर रहे हैं।
अकेलेपन से पैदा होती भयंकर समस्या
यूं तो अकेलापन कहने को महज एक शब्द है, लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन दुनिया भर के युवाओं की मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। इसका सबसे बड़ा कारण अकेलापन ही है। ऐसे में खराब होती स्थितियों के चलते विभिन्न देशों ने अब इसे गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।
WHO के मुताबिक, भारत में 20 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन सहित अन्य मानसिक बीमारियों के शिकार हैं। वहीं, एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 42% कर्मचारी डिप्रेशन और एंग्जाइटी से पीड़ित हैं।
ऐसे में जिस तरह फ्लैट, गाड़ी या ड्रेस में अलग-अलग तरीके से रेंट पर ले सकते है, उसी तरह अलग-अलग रेंज में दोस्त अवेलेबल हैं। आप डिनर के लिए या फिर मूवी थियेटर जाने के लिए दोस्त मंगवा सकते हैं। नर्सिंग केयर, Rentafriend.com, findfriends.com के माध्यम से दिन के हिसाब से बुकिंग की जाती है। वहीं, ऐसे कई युवाओं के संगठन भी हैं, जो बुजुर्गों की देखभाल के लिए आगे आए हैं।
इन गतिविधियों के लिए भी किराए पर मिल रहे दोस्त
जिम के लिए, बिजनेस इवेंट, बेकिंग और कुकिंग, खेल खेलने के लिए, पार्क में घूमने, फोटोग्राफी, घूमने के लिए, डिनर, बाइकिंग, लॉन्ग ड्राइव और पिकनिक पर साथ जाने के लिए।
बच्चों की तरह संबल बनकर बुजुर्गों संग रहते हैं खड़े
हेल्थ केयर नर्सिंग के शिवांग द्विवेदी बताते हैं कि कई लोग अपने मां-बाप से दूर विदेश में रह रहे हैं। इन बच्चों को अपने बूढ़े पेरेंट्स की फिक्र तो है, लेकिन व्यावसायिक मजबूरियों के कारण वे साथ रहकर उनकी सेवा नहीं कर पातें। ऐसे बुजुर्गों व दूर रह रहे उनके बच्चों के बीच हेल्थ केयर नर्सिंग कड़ी का काम कर रहा है। कई केयर काउंसलर देश के विभिन्न शहरों में सैकड़ों बुजुर्गों की देखभाल बिल्कुल अपने परिवार के सदस्यों की तरह करते हैं।
खासतौर से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब रोज दहलाने वाली खबरों के बीच अकेले रह रहे बुजुर्गों का आत्मविश्वास टूटने लगता है। उस दौर में भी केयर काउंसलर बिल्कुल उनके अपने बच्चों की तरह संबल बनकर उनके साथ खड़े रहे। न जाने कब डॉक्टर, एंबुलेंस या अस्पताल की जरूरत पड़ जाए, ऐसी स्थिति में काफी लोगों ने केयर काउंसलर की बुकिंग पर जोर दिया।
हेमलता के लिए बेटी से कम नहीं है केयर काउंसलर
दिल्ली निवासी 72 वर्षीय हेमलता बताती हैं, मेरे दोनों बच्चे विदेश में रहते हैं। इस बार अपने 72वें जन्मदिन पर बहुत खुश थी। क्योंकि पहली बार मैं अकेले नहीं थी। मेरे साथ केयर काउंसलर रितिका थी। पूरे भारतीय तौर-तरीकों से दीप जलाकर व मिठाई खिलाकर जन्मदिन मनाया। कोरोना काल में भी इस मुंहबोली बेटी ने काफी मदद की।
हर घंटे के हिसाब से किराया
एक वेबसाइट से जुड़े दिल्ली के अविनाश सिंह बताते हैं कि किराए के दोस्त के साथ समय बिताने के लिए भुगतान भी आपको ही करना होता है। ये डेटिंग वेबसाइट नहीं होती, बल्कि फ्रेंडली एक्टिविटीज के लिए सर्विसेज दी जाती है। एक घंटे के हिसाब से 500 रुपए चुकाने होंगे। रेंट इस बात पर निर्भर करता है कि दोस्त को डिनर पर ले जा रहे हैं या फिर मूवी पर। कई वेबसाइट किराए के अलावा 1500 से लेकर 2 हजार रुपए तक शुरुआती सदस्यता शुल्क भी लेते हैं।
हायर करने से पहले इन बातों का रखें ख्याल
साइबर एक्सपर्ट विवेक तिवारी बताते हैं, आए दिन ऑनलाइन फ्रेंड्स को लेकर कई घटनाएं भी सामने आई हैं। वेबसाइट से जुड़े सदस्यों का सही से वैरिफिकेशन न होने से जोखिम की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, नर्सिंग केयर प्रोवाइडर में देखभाल करने के अलावा पेशेंट्स के प्रति आत्मीयता होना जरूरी है। किसी भी तरह का संशय होने पर दूसरों से कॉल कर या मिलकर जरूरी पूछताछ कर लें।
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